मुफ्त योजनाओं के वादों पर लगे लगाम : कोर्ट
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहार देने के वादों को रोकने के लिए एक समाधान निकालने पर जवाब मांगा है। मुफ्त उपहारों के वादे करने के खिलाफ यह याचिका भाजपा नेता वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है।
शीर्ष अदालत ने केंद्र पर सवाल उठाते हुए कहा कि आप इस मामले में हिचक क्यों रहे हैं। आप एक रुख अपनाएं, आप बताएं कि ये गंभीर मुद्दा है या नहीं। फिर कोर्ट तय करेगा कि इन मुफ्त सुविधाओं को जारी रखा जाना चाहिए या नहीं। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की पीठ ने केंद्र सरकार से वित्त आयोग में यह पता लगाने के लिए कहा कि मुफ्त उपहारों को रोकने के लिए क्या राज्यों के राजस्व आवंटन को नियंत्रित किया जा सकता है? क्या ये अर्थव्यवस्था से खिलवाड़ करते हैं? अगली सुनवाई 3 अगस्त को होगी।
कई राज्य कर से कमाई का ज्यादातर हिस्सा खर्च कर रहे
● एसबीआई इकोरैप की रिपोर्ट के मुताबिक, तेलंगाना कुल राजस्व का 35 लोकलुभावन और मुफ्त की योजनाओं पर खर्च कर रहा
● राजस्थान, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल पांच से 19 फीसदी खर्च तक खर्च कर रहे
● आधे से ज्यादा राज्य कर से कमाई का 63 तक मुफ्त की योजनाओं पर खर्च कर देते हैं
● यूपी, आंध्र प्रदेश,कर्नाटक, पंजाब, किसानों को मुफ्त बिजली दे रहे
● आम आदमी पार्टी सरकार दिल्ली के बाद पंजाब में मुफ्त बिजली दे रही, पंजाब में तो राज्य सरकार का घाटा भी काफी ज्यादा
● पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ लाभाथिर्यों को मुफ्त में अनाज वितरण हो रहा
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