आगरा में सरकारी स्कूल की इमारत गिरी, 13 साल पहले ही हुआ था निर्माण, बड़ा हादसा टला
आगरा के एत्मादपुर के रसूलपुर स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय की इमारत मंगलवार की दोपहर में भरभराकर गिर गई। इसे बने महज 13 साल ही हुए थे। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने निर्माण प्रभारी को निलंबित कर दिया है। जांच के निर्देश दिए हैं। तीन महीने पहले ही इमारत को जर्जर घोषित कर बच्चों को दूसरे स्कूल में स्थानांतरित कर दिया था। लेकिन यहां मध्याह्न भोजन बनता था। बच्चे इमारत के बरामदे में खेलने के लिए भी पहुंच जाते थे। हादसे के वक्त बच्चे इमारत के सामने के मैदान में बैठकर भोजन कर रहे थे। गनीमत रही कि सभी बच्चे इमारत से दूर थे।
इमारत का निर्माण नौ लाख रुपये से वर्ष 2009 में हुआ था। इसमें पांच कमरे, बरामदा समेत शौचालय बने हैं। दो-तीन साल पहले से ही इसका प्लास्टर गिरने लगा था। दीवारें भी दरकने लगी थीं। शिक्षकों की शिकायत पर 29 अगस्त को इस स्कूल में पढ़ने वाले 65 बच्चों को सामने स्थित सरकारी स्कूल में स्थानांतरित कर दिया गया था।
मंगलवार की दोपहर करीब 12:30 बजे इसके पांच कमरे और बरामदा भरभरा कर गिर गया। स्कूल के मैदान में बच्चे मध्याह्न भोजन कर रहे थे। हालांकि वह इमारत से दूर थे। तेज आवाज और धूल से बच्चे घबरा गए और खाना छोड़कर भाग गए। जानकारी पर बीएसए और एसडीएम भी पहुंचे।
निर्माण प्रभारी को किया निलंबित
बीएसए प्रवीन कुमार तिवारी ने बताया कि इसके निर्माण के दौरान प्रभारी रहे रमेश चंद्र जयंत को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। वह वर्तमान में एत्मादपुर के प्राथमिक विद्यालय बास शोभा में प्रधानाध्यापक के पद पर तैनात हैं। इसके निर्माण की जांच कराई जा रही है। जांच के लिए स्कूल की इमारत से नमूने भी लिए जाएंगे।
चंद दूरी पर मध्याह्न भोजन कर रहे थे 32 बच्चे
स्कूल में पढ़ाई नहीं की जा रही थी, लेकिन इसके मैदान में मध्याह्न भोजन बनता है। मंगलवार को भी यहां 32 बच्चे मैदान में भोजन कर रहे थे। कई बार बच्चे खेलते हुए बरामदे में पहुंच जाते हैं। एसडीएम अभय कुमार का कहना है कि शुक्र है कि हादसा भोजन करते वक्त हुआ। खेलते वक्त भवन गिरता तो किसी बच्चे के चपेट में आने की आशंका रहती।
50 से अधिक स्कूलों की जर्जर हालत
युनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राठौर का कहना है कि गुड़ की मंडी, सौंठ की मंडी, जगदीशपुरा स्थित सरकारी स्कूलों समेत 50 से अधिक भवन जर्जर हैं। इसमें भी कभी भी हादसा हो सकता है। महानगर मंत्री राजीव वर्मा ने कहा कि 200 से अधिक जर्जर स्कूलों को दूसरे स्कूलों में स्थानांतरित कर अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी खत्म कर ली है।
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