अभिभावक बच्चों की पढ़ाई पर खर्च नहीं करते डीबीटी की धनराशि
झांसी। परिषदीय स्कूलों के बच्चों के यूनिफार्म, जूता-मोजा, बैग, स्वेटर, स्टेशनरी की खरीद के लिए परिषद 1200 रुपये की धनराशि अभिभावकों के बैंक खातों में भेजी जा रही है। लेकिन स्कूल में बच्चे फिर भी बिना यूनिफार्म के ही पहुंच रहे हैं। ऐसे में शिक्षकों द्वारा लगातार अभिभावकों को बच्चों की यूनिफार्म खरीदने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
सत्र 2020-21 तक परिषदीय स्कूलों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को यूनिफार्म, जूता-मोजा, बैग, स्वेटर आदि विद्यालय स्तर पर ही वितरित कराई जाती थी। जिसके लिए परिषद से विद्यालय स्तर पर धनराशि वितरित कर दी जाती थी। लेकिन कई प्रकार की शिकायतों और गड़बड़ियों के कारण परिषद ने निर्णय लिया की इन सब की खरीद के लिए धनराशि विद्यार्थियों के अभिभावकों के बैंक खातों में ही भेजी जाएगी।
सत्र 2021-22 से यह प्रक्रिया शुरू भी की गई। जिसमें लगभग सवा लाख बच्चों के खातों में डीबीटी धनराशि पहुंचाई गई थी। वहीं इस सत्र में भी अब तक 1,17,177 बच्चों के अभिभावकों के बैंक खातों डीबीटी के जरिए धनराशि पहुंचाई जा चुकी है। बावजूद इसके स्कूलों में अधिकांश विद्यार्थी बिना यूनिफार्म ही पहुंच रहे हैं।शिक्षिका किरण लता ने बताया कि अभिभावकों को कई बार धनराशि बच्चों पर खर्च करने के लिए प्रेरित किया जाता है। तब वो ये तर्क देते हैं कि इतने से पैसे में इतना सब कैसे खरीदा जाएगा।
शिक्षिका भावना वर्मा ने बताया कि अधिकांश अभिभावक घर खर्च में इन धनराशि का इस्तेमाल कर लेते हैं। अधिकांश बच्चे तो नंगे पैर ही स्कूल आ रहे हैं।शिक्षिका रचना तिवारी ने बताया कि बच्चों की मां से बात करके उनको डीबीटी की धनराशि पढ़ाई पर खर्च करने के लिए समझाते हैं। फिर भी कई बच्चे बिना यूनिफार्म के ही स्कूल आते हैं।
शिक्षिका सीमा वर्मा ने कहा कि अब तो बच्चे पन्नी में किताबें रखकर स्कूल आ जाते हैं। हम लोग घर जाकर बच्चों के मां-बाप से बात करते हैं।अभिभावकों को जागरूक करने के लिए रैली या जागरूकता शिविर का आयोजन किए जाने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। बच्चों के लिए आई धनराशि बच्चों के हित के लिए ही इस्तेमाल होनी चाहिए। - बीएसए, नीलम यादव
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