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सोमवार, 12 दिसंबर 2022

69000 Shikshak Bharti : आरक्षण विवाद पर बहस पूरी, फैसला रिजर्व, पढ़िए क्या कहा कोर्ट ने



  69000 Shikshak Bharti : आरक्षण विवाद पर बहस पूरी, फैसला रिजर्व, पढ़िए क्या कहा कोर्ट ने

पिछले 2 वर्षों से गतिमान 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाले को लेकर याचियो ने कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसकी सुनवाई कोर्ट में संपन्न हुई।इससे पहले लखनऊ हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने फैसला रिजर्व करते हुए 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती मामले में 20 हजार सीटों पर हुए आरक्षण घोटाला मामले की सुनवाई गुरुवार को पूरी की। जस्टिस ओपी शुक्ला ने सुनवाई के बाद ऑर्डर को रिजर्व कर लिया। साथ ही उन्होंने केस की पैरवी कर रहे अधिवक्ताओं से एक सप्ताह के अंदर लिखित सबमिशन दाखिल करने को कहा है।

पिछले 2 वर्षों पहले संपन्न हो चुकी 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आरक्षण विभाग घोटाले की बहस को पूरी करते हुए आर्डर रिजर्व कर लिया। 69000 शिक्षक भर्ती मैं कोर्ट की लड़ाई लड़ रहे याचियों का कहना था कि बेसिक शिक्षा परिषद ने 69000 शिक्षक भर्ती की बनी मेरिट में केवल ने 0.38 नंबर के अंतर में बनी मेरिट से आरक्षित सीटों को दरकिनार करते हुए उन पर तकरीबन 18,598 अनारक्षित अभ्यर्थियों को चयनित कर लिया था जिसके चलते 69000 शिक्षक भर्ती में 20 हजार ओबीसी-एससी अभ्यर्थी नियुक्ति पाने से वंचित रह गए।

गुरुवार को संपन्न हुई लखनऊ हाईकोर्ट की सिंगल बेंच की सुनवाई में जज के द्वारा आदेश रिजर्व होने से पहले आरक्षण घोटाले में नियुक्तियों से वंचित याचियों के सीनियर अधिवक्ता सुदीप सेठ एवं बुलबुल गोदियाल ने बहस के दौरान अभ्यर्थियों का पक्ष रखते हुए जस्टिस ओपी शुक्ला को बताया कि 69000 शिक्षक भर्ती में बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 और आरक्षण नियमावली 1994 का उल्लंघन किया गया है जिसके चलते इस भर्ती में ओबीसी अभ्यर्थियों को 27% आरक्षण के बजाय 3.80% और एससी वर्ग के अभ्यर्थियों को 21% आरक्षण के बजाय 16.2% ही आरक्षण मिला।

अधिवक्ताओं ने कहा इस आरक्षण विसंगति के चलते 69 हजार शिक्षक भर्ती में 20 हजार से अधिक सीटों पर आरक्षण घोटाला हुआ और पात्र अभ्यर्थी नियुक्ति पाने से वंचित रह गए। याचियों के अधिवक्ता द्वारा दी गई दलील का जस्टिफाई जज ने मांगी लिस्ट में दिए गए आंकड़ों को देखकर सहमति जताई। कोर्ट में याचियों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़े में कहा गया कि 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती में 28 हजार आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की ओवरलैपिंग कराई जानी थी, लेकिन शासन ने एक विशेष वर्ग (सामान्य वर्ग) को फायदा पहुंचाने के लिए इस भर्ती प्रक्रिया में 13007 आरक्षित वर्ग के अंतर्गत ओबीसी अभ्यर्थियों को चयनित किया।

नियुक्ति से वंचित याचियों के अधिवक्ताओं ने ने आरोप लगाया कि इस भर्ती में अनारक्षित वर्ग की कट ऑफ 67.11 थी। ओबीसी की कट ऑफ 66.73 थी। ऐसी स्थिति में सरकार ने किस तरह से अनारक्षित वर्ग की कट ऑफ से नीचे 0.38 नंबर के अंतर में 18598 पद भर लिए,यह समझ से परे है। याचियों के अधिवक्ता सुदीप सेठ ने कोर्ट में बताया कि 20 हजार आरक्षण घोटाले के सापेक्ष सरकार द्वारा 6800 पदों की जो सूची जारी की गयी है, वह पूरी तरह से गलत है क्योंकि शासन द्वारा दी गई 6800 की लिस्ट ओबीसी तथा एससी वर्ग की न होकर महिलाओं और दिव्यांगो की लिस्ट है जिस पर लखनऊ हाई कोर्ट की सिंगल बेंच एवं डबल बेच रोक भी लगा चुकी है। कोर्ट ने रोक लगाते हुए कहा था कि एक पद पर 2 अभ्यर्थियों का चयन नहीं किया जा सकता।

अधिवक्ता बुलबुल गोदियाल ने कहा कि पारदर्शिता के चलते शिक्षक भर्तियों में अभ्यर्थियों के गुणांक, कैटेगरी और सब-कैटेगरी की एक मूल चयन सूची बनाई जाती है लेकिन सरकार ने इस भर्ती में अभ्यर्थियों के गुणांक, कैटेगरी तथा सबकैटेगरी को छुपा लिया जो पूरी तरह नियमों के विरुद्ध है। पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कश्यप एवं संरक्षक भास्कर सिंह यादव ने भरोसा जताते हुए कहा कि लखनऊ हाई कोर्ट एकल पीठ के जस्टिस ओपी शुक्ला एवं सरकार आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों को निश्चित रूप से न्याय देगी।


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