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मंगलवार, 6 दिसंबर 2022

72825 शिक्षक भर्ती में ठगे गए बीएड 2011 टेट अभ्यर्थी, शिक्षामित्रों की अस्मिता भी हुई थी तार तार, जानिए वजह



 72825  शिक्षक भर्ती में ठगे गए बीएड 2011 टेट अभ्यर्थी, शिक्षामित्रों की अस्मिता भी हुई थी तार तार, जानिए वजह

212 में समाजवादी पार्टी के अखिलेश सरकार बनने के बाद 2012 में 72825 शिक्षक भर्ती का विज्ञापन मायावती सरकार में निकली 72825 शिक्षक भर्ती के विज्ञापन को रद्द करके निकाला गया था। या यूं कहें कि सरकारों की महत्वाकांक्षाओं के बीच शिक्षक भर्तियां भेंट चढ़ गई और शिक्षामित्रों का शिक्षक पद से समायोजन निरस्त हो गया।


न्यू ऐड पर क्यों नहीं हो सकी शिक्षक भर्ती

सुप्रीम कोर्ट में चली लंबी सुनवाई के बाद मायावती सरकार के विज्ञापन को सही ठहराते हुए कोर्ट के अंतरिम और अंतिम आदेश के तहत 2011 में निकले 72825 शिक्षक भर्ती के विज्ञापन पर ही अचयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी गई जिसके बाद 2012 में अखिलेश सरकार के द्वारा निकाले गई नए विज्ञापन पर 72825 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया अटक गई। मायावती और अखिलेश सरकार में निकाले गए शिक्षक भर्ती के विज्ञापन की चयन प्रक्रिया की नियमावली अलग-अलग रखी गई थी।


न्यू ऐड पर योगी सरकार की कार्यवाही

72825 शिक्षक भर्ती का विवाद सन 2012 में समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार बनने के साथ से शुरू हुआ और 2017 में समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार के सत्ता से बाहर होने के साथ जाकर खत्म हुआ क्योंकि इसके बाद उत्तर प्रदेश में आई भाजपा की योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी के बावजूद 72825 शिक्षक भर्ती के नए विज्ञापन पर कोई सुनवाई नहीं की। न्यू एड पर अब तक किसी भी अचयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं मिली।


सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मिली थी 2011 के 72825 शिक्षक भर्ती के विज्ञापन से नियुक्ति

गौर करने वाली बात यह है कि मायावती शासन में निकली शिक्षक भर्ती समाजवादी शासन से होते हुए 2017 में बीजेपी की योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद समाप्त हुई। अगर यहां यह माना जाए कि सुप्रीम कोर्ट का 2017 में अंतिम आदेश नहीं आता तो आज भी मायावती शासन में निकले विज्ञापन पर अभ्यर्थियों की नियुक्ति नहीं मिलती। और हुआ भी यही मायावती सरकार में निकली 72825 शिक्षक भर्ती के रिक्त 6170 पदों की सुनवाई आज तक किसी भी सरकार में नहीं हुई और शिक्षक भर्तियों में 30 से ₹35000 खर्च करने वाले अभ्यर्थी आज भी अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं।

शिक्षामित्रों का समायोजन सुप्रीम कोर्ट ने किया निरस्त

शिक्षक भर्तियों का विवाद इतना बढ़ गया कि समाजवादी सरकार में शिक्षामित्रों का शिक्षक पद पर किया गया समायोजन भी सुप्रीम कोर्ट के द्वारा रद्द कर दिया गया। शिक्षामित्रों का शिक्षक पद पर समायोजन समाजवादी की अखिलेश सरकार ने शिक्षामित्रों को दूरस्थ शिक्षा बीटीसी करवा कर पिछले दरवाजे से किया जिसे सुप्रीम कोर्ट ने गलत माना और शिक्षा मित्रों को 2 साल सहायक अध्यापक पर नौकरी करने के बाद वापस अपने शिक्षामित्र के मूल पद पर लौटना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट के शिक्षामित्रों के पद के समायोजन निरस्त होने से उत्तर प्रदेश के 137000 शिक्षामित्र प्रभावित हुए।


सुप्रीम कोर्ट ने टेट पास शिक्षामित्रों को अगली दो लगातार भर्तियों में अप्लाई करने का दिया आदेश


सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षामित्रों का शिक्षक पद से समायोजन निरस्त करने के बाद यह आदेश दिया कि टेट पास शिक्षामित्रों को उत्तर प्रदेश में होने वाली अगली 2 शिक्षक भर्ती में शामिल होने का मौका दिया जाए जिसके लिए कोर्ट द्वारा शिक्षामित्रों के लिए शिक्षक भर्ती में भारांक भी निश्चित किया गया।


राजनीतिक महत्वाकांक्षा की भेंट चढ़ी 72825 न्यू ऐड शिक्षक भर्ती

मायावती शासन में निकली 72825 शिक्षक भर्ती के विज्ञापन को नष्ट करते हुए समाजवादी सरकार ने अपने शासन में नया विज्ञापन निकाला और शिक्षक भर्ती करने का मन बनाया। मगर कोर्ट में जाने के बाद अखिलेश सरकार के विज्ञापन पर अभ्यर्थियों को नियुक्त करने की लिबर्टी मिली और बसपा शासन के विज्ञापन पर अभ्यर्थियों को नियुक्ति। सुप्रीम कोर्ट से लिबर्टी पाए विज्ञापन को योगी सरकार ने सिरे से दरकिनार कर दिया। इस तरह राजनीतिक खींचतान के चलते पिछले 11 वर्षों से शिक्षक भर्तियों का विवाद निरंतर जारी है जबकि 68500 और 69 हजार शिक्षक भर्ती में नए और विवाद खड़े हुए जिनमें कुछ का पटाक्षेप हो गया और कुछ आज भी सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में लंबित है।


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