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मंगलवार, 6 दिसंबर 2022

72825 शिक्षक भर्ती: 8 दिसंबर को होने वाली सुनवाई को लेकर कशमकश में हैं बीएड टेट 2011 के अचयनित बेरोजगार


 

72825 शिक्षक भर्ती: 8 दिसंबर को होने वाली सुनवाई को लेकर कशमकश में हैं बीएड टेट 2011 के अचयनित बेरोजगार

72825 शिक्षक भर्ती के 2012 के नए विज्ञापन पर बीएड अभ्यर्थियों के लिए नियुक्ति पाना एवरेस्ट फतह करने जैसा होगा क्योंकि 10 सालों से चली आ रही इस भर्ती के विवाद पर अभी तक सरकार द्वारा ना तो कोई निर्णय लिया गया और ना ही इस भर्ती के संबंध में किसी प्रकार की अभ्यर्थियों से कोई बात हुई।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस चंद्रचूड़ के मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद बीएड अचयनित अभ्यर्थियों में खुशी की लहर जरूर है। मगर इस लहर में जस्टिस चंद्रचूड़ के निर्देशन में बनी निचली बेंच से अभ्यर्थियों की न्याय रूपी नैया पार लगेगी यह आने वाला समय बताएगा।

बता दे कि सपा सरकार में 2012 में निकले 72825 शिक्षक भर्ती के नए विज्ञापन पर विवाद अभी थमा नहीं है जिसकी सुनवाई आगामी 8 दिसंबर को हाईकोर्ट में होने जा रही है। इस सुनवाई को लेकर नए विज्ञापन के चयनित अभ्यर्थी हताशा और निराशा के साथ बहुत उत्साहित नजर आ रहे हैं और ऐसा इसलिए है क्योंकि संगठन के अध्यक्ष सुनील यादव कोर्ट कार्यवाही में पूरी तैयारी के साथ उतर गए हैं जिन्होंने सभी को इस बात का भरोसा दिलाया है कि नियुक्ति तक विराम नहीं।

यह भी गौर करने वाली बात है कि 72825 शिक्षक भर्ती के नए विज्ञापन पर अभ्यर्थियों को नियुक्ति मिलना आसान नहीं होगा क्योंकि पिछले 10 सालों से सरकार ने इस भर्ती को ठंडे बस्ते में है डाल दिया है जब कि दूसरी ओर बीएड टेट 2011 अचयनित बेरोजगार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील यादव ने नए शिक्षक भर्ती के विज्ञापन को जमीनी स्तर से उठाकर कोर्ट की लड़ाई तक पुनर्जीवित करके अचयनित अभ्यर्थियों के दिल में आस जगा दी है।

कोर्ट की लड़ाई लड़ रहे तकरीबन 2 हजार से अधिक याचियों की ओर से संगठन के अध्यक्ष सुनील यादव भर्ती से जुड़े लीगल मुद्दों को लेकर अपने अधिवक्ताओं के साथ गुफ्तगू कर चुके हैं सुनील यादव ने कहा जब तक इस नए शिक्षक भर्ती के विज्ञापन पर सभी को नियुक्ति नहीं मिल जाती तब तक वह हार नहीं मानेंगे।

नए विज्ञापन पर अचयनित अभ्यर्थियों के स्ट्रांग पहलू

* 72825 शिक्षक भर्ती के विज्ञापन पर सपा सरकार में सन 2012 में ऑनलाइन तरीके से आवेदन मांगे गए थे इससे पहले 2011 में निकले 72825 शिक्षक भर्ती के विज्ञापन को रद कर दिया गया था। दोनों विज्ञापनों पर विवाद के बाद तत्कालीन सपा सरकार नए विज्ञापन को बचाने के लिए कोर्ट गई थी जहां कोर्ट ने नए विज्ञापन पर सरकार को लिबर्टी थी मगर सरकार बदलने के साथ कोर्ट द्वारा मिली लिबर्टी अचयनित अभ्यर्थियों के काम ना आई । या यह भी कहा जा सकता है कि सपा सरकार कोर्ट में जीत गई सत्ता से बाहर होने के बाद अभ्यर्थी नियुक्ति से वंचित रह गए। यह एक ऐसा कारण है जो अभ्यर्थियों के लिए एक स्ट्रांग पहलू है।

* 2012 मैं निकले शिक्षक भर्ती विज्ञापन पर भर्ती का स्तर एकेडमिक मेरिट रखा गया जिस पर अभ्यर्थियों द्वारा ₹500 प्रति जनपद के हिसाब से 40 से 70 जनपदों में आवेदन किया गया जबकि 2011 का विज्ञापन टेट मेरिट बेस्ड था। दोनों विज्ञापन अलग होने के साथ नियुक्ति की प्रबल दावेदारी 2012 के अचयनित अभ्यर्थियों की बनती है।

* सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए अंतिम आदेश में 72825 के दोनों विज्ञापनों को अलग-अलग माना गया जिसके चलते 2011 के विज्ञापन पर अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने के बाद 2012 के विज्ञापन पर नियुक्ति देने के लिए सरकार को लिबर्टी दी गई। अचयनित अभ्यर्थियों की मानें तो लिबर्टी का मतलब सरकार को नए विज्ञापन पर नियुक्ति देने की छूट मिल गई थी। कोटद्वार एमिली लिबर्टी क्योंकि अभ्यर्थियों के पक्ष में थी इसलिए यह पहलू भी एक स्ट्रांग पहलू है।

योगी सरकार ने दोनों विज्ञापनों को एक माना

* सुप्रीम कोर्ट के आदेश के समय तत्कालीन योगी सरकार ने कोर्ट में कहा था कि न्यू ऐड 72825 शिक्षकों की भर्ती 2011 के विज्ञापन के आधार पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व अंतिम आदेश के तहत संपन्न हो चुकी है इसलिए 2012 के आवेदन पर नियुक्ति देने का कोई मतलब नहीं। यह दोनों विज्ञापन एक ही भर्ती के दो अलग-अलग विज्ञापन हैं।

* यहां आप सभी को यह भी जानना जरूरी है कि 2011 में निकले शिक्षक भर्ती के विज्ञापन में बहुत से अभ्यर्थियों को आवेदन करने का मौका नहीं मिला था मगर सपा सरकार में निकले 2012 की शिक्षक भर्ती में इन अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। इसका कारण था इन अभ्यर्थियों का 2011 में टीईटी उत्तीर्ण ना होना। मगर बाद में टेट परीक्षा पास करके इन अभ्यर्थियों को 2012 के विज्ञापन में आवेदन करने का मौका मिला

* ऐसा होने से एक पेंच और फंस गया कि जब सुप्रीम कोर्ट के अंतिम आदेश के तहत 2011 के विज्ञापन पर शिक्षक भर्ती संपन्न हुई तो 2012 के आवेदित अभ्यर्थियों को कोर्ट में याची होने के चलते 2011 के विज्ञापन पर नियुक्ति मिल गई जबकि 2011 में ऐसे अभ्यर्थियों ने अप्लाई ही नहीं किया हालांकि यह जांच का विषय है पर इस मामले में अभी तक कोई जांच नहीं हुई।

संगठन के अध्यक्ष सुनील यादव का कहना है कि जब 72825 की दोनों शिक्षक भर्तियां अलग-अलग वर्षों में आई और दोनों शिक्षक भर्तियों के चयन की प्रक्रिया का स्तर अलग था तो दोनों भर्तियां एक कैसे हो गई।

इसी बीच कोर्ट की लड़ाई लड़ रहे हैं अभ्यर्थियों को नियुक्ति से वंचित रखने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा 2012 के आवेदन करने वालों को फीस वापसी का आदेश दिया गया जिसका हलफनामा कोर्ट में देखकर कहा गया कि न्यू ऐड के विज्ञापन पर अभ्यर्थियों को फीस वापसी की गई। मगर हकीकत यह है कि फीस वापसी का विज्ञापन जरूर निकला पर किसी भी अभ्यर्थी को कोई फीस वापस नहीं की गई जबकि इसके उलट 2012 के कई आवेदित अभ्यर्थी 2011 के भर्ती विज्ञापन पर नियुक्त होकर आज भी नौकरी कर रहे हैं।


फिलहाल कोर्ट की लड़ाई में अचयनित अभ्यर्थियों का पहलू मजबूत है और अचयनित अभ्यर्थी 2012 में निकले शिक्षक भर्ती के विज्ञापन में नियुक्ति के प्रबल दावेदार भी हैं। अगर कोर्ट की प्रक्रिया में नए शिक्षा भर्ती विज्ञापन पर सुनवाई पूरी होती है तो निश्चित रूप से पिछले 11 वर्षों की पीड़ा का अंत अचयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पाकर मिलेगा।


1 टिप्पणी:

  1. 72825 शिक्षक भर्ती 2011 के चलते आज तक बेरोजगार हो गए है हम पता नहीं इस जिन्दजी में कुछ रख्खा है या नहीं अब तो आस भी टूट गयी है बस मरने का दिल करता है कहा कहा कैसे कैसे तंगी की जिंदगी गुजार रहे है पता नहीं हमारा क्या होगा अब तो भगवान् पर से भी भरोसा उठ गया है जिंदगी के ४३ बसंत चले गए हम तो पतझड़ में ही रह गए कोई तो राह दिखाए के क्या किया जाय सरकार सुन लेती हम लोगो का दुःख अब तो आत्महत्या के आलावा कुछ नहीं रखा |

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