स्कूलों से लेकर विश्वविद्यालय तक वैश्विक सहयोग की पहल तेज, विश्वस्तरीय शिक्षा प्रदान करने पर सरकार का जोर
नई दिल्ली। पिछले छह महीनों के भीतर करीब 50 विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों ने दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालय के साथ मिलकर ऐसे कोर्सों को शुरू किया है, जिनकी पढ़ाई के लिए अभी हर साल बड़ी संख्या में भारतीय छात्र विदेशों में जाते है। अब विश्वस्तरीय शिक्षा देने की यह पहल स्कूली शिक्षा के स्तर पर भी अमल में लाने की है। इसके तहत शिक्षा मंत्रालय अभी दुनिया के ऐसे देशों के स्कूली शिक्षा की अच्छी पहल के अध्ययन में जुटा है, जो यहां अपनाई जा सकती है।
उच्च शिक्षा के लिए अभी बड़ी संख्या में छात्र हर साल विदेश चले जाते हैं
भारतीय बच्चों को विश्वस्तरीय शिक्षा देने की मुहिम को यह रफ्तार नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के आने के बाद मिली है। जिसमें भारत शिक्षण संस्थानों को फिर से नालंदा व तक्षशिला जैसा गौरव दिलाने की सिफारिश की गई है। हालांकि इस मुहिम को पहले सिर्फ उच्च शिक्षा तक सीमित रखा गया है, क्योंकि उच्च शिक्षा के लिए अभी बड़ी संख्या में छात्र हर साल विदेश चले जाते है। इनमें ज्यादातर पढ़ाई के बाद वहीं रुक जाते है। ऐसे में देश को इसके चलते दोहरा नुकसान उठाना पड़ रहा है।
पहला पढ़ाई के साथ वह भारी मात्रा में भारतीय मुद्रा दूसरे देश में लेकर जाता है, दूसरा देश की एक प्रतिभा का भी पलायन हो जाता है। यही वजह है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) आने के बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ( यूजीसी) ने देश के शीर्ष रैंकिंग वाले सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को दूसरे देशों के शीर्ष विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर ऐसे संयुक्त कोर्स और दोहरी डिग्री कोर्स शुरू करने अनुमति दे दी, जिसके लिए बड़ी संख्या में छात्र उन विश्वविद्यालयों में जाते है। यूजीसी ने देश के करीब 230 उच्च शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों को इसके लिए पात्र पाया था।
कई विश्वविद्यालयों के साथ किया गया अनुबंध
इनमें से जेएनयू, दिल्ली विश्वविद्यालय, बीएचयू, जामिया विश्वविद्यालय जैसे देश के 50 शीर्ष संस्थानों ने अलग-अलग विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ इस संबंध में अनुबंध भी कर लिया है। बाकी 180 संस्थान भी इस दिशा में काम कर रहे है। मौजूदा समय में देश में अकेले एक हजार से ज्यादा विश्वविद्यालय है, जबकि कालेजों की संख्या भी करीब 50 हजार है। शिक्षा मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक उच्च शिक्षा के साथ विश्वस्तरीय शिक्षा देने की पहल स्कूलों में भी तेजी से अपनाने की तैयारी है। यह पहल इसलिए भी अहम है क्योंकि स्कूलों के लिए एनईपी आने के बाद से नया पाठ्यक्रम से लेकर कई नए कदम उठाए जा रहे है।
शिक्षा मंत्रालय और एनसीईआरटी की संयुक्त टीम ने किया कई देशों का दौरा
इस बीच दुनिया में बेहतर स्कूली शिक्षा देने वाले देशों की भी उन पहलों की भी अध्ययन किया जा रहा है, जो स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को विश्वस्तरीय मानकों पर मजबूती से खड़ा कर सके। इसके तहत शिक्षा मंत्रालय और एनसीईआरटी ( राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) की एक संयुक्त टीम अलग-अलग देशों का दौरा कर रही है। यह अब तक आस्ट्रेलिया, कोरिया, अमेरिका सहित करीब आधा दर्जन देशों की दौरा कर चुका है। मौजूदा समय में यह टीम फिनलैंड के दौरे पर है। एनसीईआरटी के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक विश्वगुरु बनने के लिए दुनिया का अध्ययन करना जरूरी है।
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