बोर्ड परीक्षा की तैयारी : मोबाइल फोन से दूरी और पूरी नींद दिलाएगी परीक्षा में अच्छे नंबर
सीबीएसई, सीआईएससीई और यूपी बोर्ड की परीक्षाएं फरवरी में शुरू होंगी। ऐसे में अच्छे नंबर हासिल करने के लिए विद्यार्थी दिन रात परीक्षा की तैयारियां में लगे हैं।सुनहरे भविष्य की चाह, मां-बाप के उम्मीदों के सपने के चक्कर में एक दिन में 10 से 12 घंटे तक किताबों को उठाए रहते हैं। या ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से मोबाइल या कंप्यूटर पर चिपके रहते हैं। जो उन्हें तनाव की चपेट में ले जा रहा है। ऐसे में विद्यार्थी परीक्षाओं तक मोबाइल फोन से दूरी बनाने के साथ-साथ पूरी नींद लें। यह उन्हें अच्छे नंबर दिलाने का मार्ग प्रशस्त करेगी।
मंडलीय मनोवैज्ञानिक केंद्र की मनोवैज्ञानिक डॉ. सीमा श्रीवास्तव ने बताया कि बोर्ड परीक्षाओं के समय अपने मन को शांत रखना अति आवश्यक है। परीक्षा परिणाम और उसके आगे पड़ने वाले प्रभावों के विषय में तो इस समय बिल्कुल नहीं सोचना चाहिए।उन्होंने कहा कि कई बार छात्र-छात्राएं यह सोचकर परेशान हो जाते हैं कि प्रश्नपत्र में क्या आएगा? तो मेरी सलाह यह है कि यह सब न सोचे। बल्कि, जितना पढ़ा है उसे बार-बार दोहराएं। नए टॉपिक को पढ़ने व समझने का ज्यादा प्रयास न करें। अपना आत्मविश्वास बनाएं रखें। तनाव लेने से आपके प्रदर्शन पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
ये करें विद्यार्थी
◆ दोस्ती, मोबाइल फोन व इंटरनेट चैटिंग से दूरी बना लें।
◆ सिलेबस को देखे और लिखकर प्रैक्टिस जरूर करें।
◆ हल्का एवं सुपाच्य भोजन लें।
◆ पानी की मात्रा दैनिक स्तर पर बढ़ा दें।
◆ हल्का व्यायाम जरूर करें। नींद जरूर पूरी करें।
◆ दोस्तों से यह न पूछे कि उन्होंने क्या पढ़ा है क्या नहीं पढ़ा है। दूसरों की सुनकर मन को भटकने न दें।
◆ परीक्षा की तैयारी के लिए जो शेड्यूल बनाया है उसका ही अनुसरण करें। कठिन टॉपिक बाद के लिए न छोड़े।
◆ 45-50 मिनट की पढ़ाई के बाद ब्रेक अवश्य लें।
अभिभावकों के लिए सुझाव
◆ बच्चों पर अच्छे अंक व प्रतिशत का दबाव न बनाएं।
◆ घर में हर समय पढ़ते रहने का दबाव न बनाएं।
◆ परीक्षा काल को एक उत्सव के रूप में मनाएं।
◆ बेवजह टीवी चलाने से बचें, घर पर मेहमानों के आने जाने में बच्चों को न शामिल करें।
◆ बच्चे यदि देर रात तक पढ़ रहे हो या सुबह उठकर पढ़ रहे हो तो आप भी खुद अपना कुछ काम करते रहिए और अपने साथ होने का एहसास कराएं।
◆ बीच-बीच में हल्का और पोषण युक्त आहार व पेय पदार्थ जैसे शिकंजी इत्यादि बच्चों को उपलब्ध कराते रहें।
◆ अन्य बच्चों से अथवा दोस्तों से अपने बच्चों की तुलना कतई ना करें।
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