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सोमवार, 30 जनवरी 2023

जानें, शिक्षा को लेकर क्या हैं आपके अधिकार

 जानें, शिक्षा को लेकर क्या हैं आपके अधिकार

दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह शिक्षा को गरीबी से लड़ने का सबसे बड़ा हथियार बताया। कोर्ट ने 14 वर्ष की दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग को गर्भपात की अनुमति देते हुए विधिक सेवा प्राधिकरण से वंचित वर्गों को शिक्षा के अधिकारों के बारे में जागरूकता अभियान चलाने को कहा है। कानून में शिक्षा के अधिकारों के बारे में बता रहे हैं .


2009 में शिक्षा मौलिक अधिकार बना

केंद्र ने 2002 में संविधान में 86वें संशोधन के जरिये अनुच्छेद 21ए को शामिल कर शिक्षा को मौलिक अधिकार घोषित किया। इसे अमलीजामा पहनाने के लिए केंद्र ने पहली अप्रैल, 2010 से शिक्षा के अधिकार अधिनियम को देशभर में लागू किया। इससे पहले, शिक्षा संवैधानिक अधिकार था।


दाखिला देना सरकार की जिम्मेदारी

आरटीई अधिनियम के तहत बच्चे को पड़ोस के स्कूल में दाखिला पाने का भी हक है। आरटीई की धारा 8 और 9 के तहत यह प्रावधान है कि सरकार बच्चे को खोजकर लाए और दाखिला दिलाए। इसमें कहा गया है कि सरकार सुनिश्चित करे कि कोई बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।


निजी स्कूलों में पढ़ने का हक

छह से 14 साल तक के कम आय वर्ग और वंचित समूह के बच्चों को निजी और विशेष स्कूलों में 25 फीसदी सीटों पर मुफ्त शिक्षा पाने का हक है।


हर स्कूल में हों एक विशेष शिक्षक

केंद्र सरकार ने पिछले साल सितंबर में आरटीई में संशोधन करते हुए सभी स्कूलों में चाहे वह सरकारी हो या निजी, कम से कम एक विशेष शिक्षक की नियुक्ति को अनिवार्य कर दिया है। इस हिसाब से देश में 15 लाख विशेष शिक्षकों की जरूरत होगी।


मुफ्त शिक्षा पाने का हक


1. आरटीई अधिनियम की धारा-3 में बच्चों को निशुल्क शिक्षा पाने का अधिकार है।


2. शिक्षा पाने की राह में बच्चों को आने वाली हर बाधा को दूर भी सरकार करेगी।


3. किताब, कॉपी, वर्दी, फीस, यहां तक कि दिव्यांग बच्चे को पढ़ने के लिए विशेष उपकरण आदि का प्रबंध भी सरकार को करना होगा।


आरटीई कानून.....

आरटीई कानून को लागू हुए 13 वर्ष बीत गए, लेकिन अब तक यह कानून प्रभावी तरीके से लागू नहीं हो सका है। स्कूलों में शिक्षकों कमी है। बच्चों के लिए स्वच्छ पेयजल, मध्याह्न भोजन पकाने के लिए रसोई आदि की अभी समस्या है। सरकार के साथ ही समाज को लीगल एड क्लीनिक के तहत कानून को प्रभावी तौर पर लागू कराने के लिए आगे आना चाहिए। - अशोक अग्रवाल, अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट एवं शिक्षा के अधिकार कार्यकर्ता

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