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बुधवार, 1 मार्च 2023

तैयारी : बिना बीमा वाले वाहन को मौके पर पॉलिसी लेनी होगी, वाहन बीमा नीति में बदलाव होगा, पकड़े गए चालक के फास्टैग से फौरन कटेगा पैसा

 

तैयारी : बिना बीमा वाले वाहन को मौके पर पॉलिसी लेनी होगी, वाहन बीमा नीति में बदलाव होगा, पकड़े गए चालक के फास्टैग से फौरन कटेगा पैसा


नई दिल्ली। यदि आप बिना बीमा वाहन चला रहे हैं और ट्रैफिक पुलिस आपको पकड़ती है तो आपको उसी स्थान पर बीमा खरीदना पड़ सकता है। इसके लिए परिवहन मंत्रालय बड़े बदलाव की तैयारी कर रहा है। ऐेसी स्थिति में आपको फास्टैग की मदद से उसी स्थान पर तृतीय-पक्ष बीमा यानी थर्ड पार्टी बीमा मुहैया कराया जाएगा।सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में करीब 40-50 वाहन बिना बीमा के सड़कों पर धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं। इनमें से कई वाहन दुर्घटनाओं में भी शामिल होते हैं जबकि नियम के अनुसार वाहन का थर्ड-पार्टी बीमा होना अनिवार्य है। बता दें कि थर्ड-पार्टी बीमा दुर्घटना पीड़ितों के लिए चिकित्सा और उपचार व्यय को कवर करता है। खबर के अनुसार सरकार ऐसी व्यवस्था कर रही है, जिसके तहत यदि वाहन का बीमा नहीं हुआ होगा तो विभाग के नेटवर्क से जुड़े बीमाकर्ता बीमा खरीदने का विकल्प प्रदान करेंगे।


क्या होगी भुगतान की प्रक्रिया

इस तरह बिना वाहन बीमा वाले चालकों को इन पॉलिसियों के प्रीमियम के तत्काल भुगतान के लिए, बैंकों के साथ-साथ बीमा कंपनियों को भी फास्टैग प्लेटफॉर्म पर लाया जा सकता है, जिसमें फास्टैग में मौजूद राशि से प्रीमियम काटा जाएगा। एक अधिकारी के मुताबिक काउंसिल की बैठक में तत्काल बीमा पर भी चर्चा की गई थी और इसके कार्यान्वयन के लिए सिफारिशें तैयार की जा रही हैं और 17 मार्च की बैठक में इस पर चर्चा की जाएगी।


दिव्यांगों के लिए खास बीमा लाएं इरडा

तृतीय-पक्ष बीमा यानी थर्ड पार्टी बीमा के लिए प्रीमियम वाहन के आकार और उम्र पर निर्भर करता है, 1000सीसी वाले यात्री वाहनों के लिए यह 2072 रुपये, 1000-1500सीसी वाहनों के लिए 3,221 रुपये और 1,500 सीसी से अधिक इंजन वाले वाहनों के लिए 7,890 रुपये है।


नई दिल्ली, एजेंसी। बीमा नियामक इरडा ने साधारण बीमा व स्वास्थ्य बीमा कंपनियों से दिव्यांगों, एचआईवी एवं एड्स पीड़ितों और मानसिक रूप से बीमार लोगों के लिए खास बीमा उत्पाद लाने को कहा है। इरडा ने कहा, इन उत्पादों की कीमत का निर्धारण इरडा (स्वास्थ्य बीमा) नियमन, 2016 के प्रावधानों के अनुरूप करना होगा। बीमा कंपनियां ऐसी पॉलिसी लेकर आएं कि दिव्यांगों, एचआईवी एवं एड्स पीड़ितों के दावों को नकारने की स्थिति न पैदा हो।


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