शिक्षकों ने बदली गांव की तकदीर:समितियों में 10 करोड़ से ज्यादा जमा राशि, 1500 की आबादी वाला गुराडी गांव स्वावलंबन का बेहतरीन उदाहर
राजस्थान के मनोहरथाना क्षेत्र में करीब 1500 की आबादी वाला गुराडी गांव स्वावलंबन का बेहतरीन उदाहरण है। बीते डेढ़ दशक में ग्रामीणों ने सामूहिक प्रयासों से गांव की तस्वीर और तकदीर दोनों ही बदल दी। अब गांव में मसाले, वॉशिंग पाउडर व सीमेंट समेत कई तरह के उद्योग स्थापित हो गए हैं।ग्रामीण बताते हैं कि पहले गुराडी में काम-धंधा नहीं था। इसके चलते लोग कोटा, कैथून, बूंदी, भीलवाड़ा और जयपुर जाकर मजदूरी करते थे। गांव के अधिकतर घर बंद ही रहते थे। बस, तीज-त्योहारों पर ही यहां आते थे। गांव के शिक्षक रमेश शर्मा और राधेश्याम लोधा ने समस्या को समझा।
उन्हाेंने गांव के लोगों को छोटे उद्योग-धंधे लगाने काे कहा। इसके लिए पैसों की जरूरत थी। शिक्षकाें ने इसके लिए 15 ग्रामीणाें की समिति बनाई। इसके जरिए गांव के लोगों से ही पैसा लिया गया। बदले में जमा राशि के हिसाब से ब्याज देना शुरू किया।कोई भी उद्योग या धंधे के लिए समिति में 2% ब्याज पर कर्ज ले सकता था। धीरे-धीरे ऐसी 5 समितियां बन चुकी हैं। हर समिति के पास करीब 2 करोड़ रुपए तक जमा राशि है। इसी राशि से ग्रामीणों काे फायदा मिल रहा है।
शिक्षकों ने बदली गांव की तकदीर, समितियों में 10 करोड़ से ज्यादा जमा राशि...
शुरुआत में लोगों ने किराना, रेस्तरां और कपड़ाें की दुकानें खोलीं। समय पर पैसा जमा होने लगा तो समिति की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हाेने लगी। इसके बाद कुर्सी निर्माण जैसे छोटे उद्योग भी लगने लगे। जगमोहन साहू, बद्रीलाल व मांगीलाल बताते हैं कि मजदूरी के लिए वे करीबी कस्बों में जाते थे।अब तो पिपलादी, जालमपुरा, कंडारी, झीरी, आंवलहेड़ा व बिसलाई सहित अन्य गांवों के लोग यहां आकर काम मांगने लगे हैं। सरपंच रामकिशन लोधा बताते हैं कि गांव में कोई बेरोजगार नहीं है। सभी किसी न किसी काम से जुड़े हैं। समितियों की वजह से गांव की यह कायापलट हो सकी है।
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