एनसीईआरटी की डुप्लीकेट किताबों की भरमार, कुछ दिन में ही बिखर जाते हैं पन्ने
जयपुर अप्रैल का महीना शुरू हो गया है। सीबीएसई से जुड़े अधिकांश स्कूल खुल गए हैं। बाजार में किताबों की भी डिमांड आ गई है। डिमांड के बढ़ते ही जयपुर सहित प्रदेश के कई शहरों में इन दिनों एनसीईआरटी की डुप्लीकेट किताबों की भरमार है। अभिभावक जब बाजार में किताबें खरीदने जाते हैं तो उन्हें कुछ छूट का लालच देकर डुप्लीकेट किताबें थमा दी जाती है। यह किताबें घटिया क्वालिटी की होती है। इनकी ना ही प्रिंटिंग सही होती है और ना ही इनका कागज अच्छा होता है। कुछ दिनों में ही इन किताबों के पन्ने बिखर जाते हैं। इससे बच्चे पूरे साल इन पन्नों को जोड़ जोड़कर पढ़ना पड़ता है।
सरकार के पास बाजार में डुप्लीकेट किताबों की रोकथाम का कोई सिस्टम नहीं है। इस कारण ना केवल अभिभावक लुट रहे हैं बल्कि सरकार को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है। प्रदेश में एनसीईआरटी का सिलेबस लागू है। नई शिक्षा नीति के चलते इस बार एनसीईआरटी ने कोर्स में 30 फीसदी तक की कटौती की है। कटौती के हिसाब से ही राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल किताबें छपवा रहा है। यह किताबें सरकारी स्कूलों में निशुल्क वितरित होगी। साथ ही मंडल विक्रेताओं को भी उनकी डिमांड के अनुसार किताबों की सप्लाई करता है। लेकिन मंडल की किताबों पर विक्रेताओं को करीब 15 प्रतिशत कमीशन मिलता है। इसलिए कुछ विक्रेता अधिक कमिशन के चक्कर में रहता है। डुप्लीकेट किताबें बेच रहे हैं। डुप्लीकेट किताबों पर 30 से 50 फीसदी कमीशन मिल जाता है।
हर पन्ने पर मंडल का वाटर मार्क देखकर ही खरीदें
मंडल का कहना है कि उसकी किताबों के प्रत्येक पन्ने पर आरएसटीबी का वाटर मार्क अंग्रेजी में अंकित है। अभिभावक अगर ध्यान से देखेगा तो उसको यह मिल जाएगा। वाटर मार्क देखकर ही किताबें खरीदें, अगर बिना वाटर मार्क की किताब को कोई मंडल की किताब बताकर बेच रहा है तो उसकी तुरंत मंडल को शिकायत करें। मंडल की ओर से कार्रवाई की जाएगी।
डुप्लीकेट किताबें बेच रहे पुस्तक विक्रेताओं पर कार्रवाई होनी चाहिए। इसके लिए शिक्षा विभाग जल्दी ही पूरी रूपरेखा तैयार करें और कार्रवाई करे। डुप्लीकेट किताबों के पन्ने जल्दी ब खिर जाते हैं। इससे विद्यार्थी पूरे साल परेशान होता रहता है। स्नेहलता साबू, सचिव, पेरेंट्स वेलफेयर सोसायटी
अभिभावक अगर बाजार में किताबें खरीदता है और उसको लगता है कि किताब नकली है। तो उसकी तुरंत हमें शिकायत करें, ताकि ऐसे विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई की जा सके। इसके लिए अभिभावकों को भी आगे आना होगा।-विनोद पुरोहित, राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल
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