बिना एग्जाम 10वीं पास करने का नुकसान 12वीं में झेला:पिछले साल 70% ही सिलेबस था, इस बार पूरा कोर्स; स्कूलों में हिंदी-इंग्लिश के टीचर ही नहीं
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (RBSE) का 12वीं आट्र्स का परिणाम 92.35% रहा। पिछले साल के मुकाबले (96.33%) रिजल्ट में 4% की गिरावट रही। भास्कर ने रिजल्ट में आई गिरावट के कारण समझने के लिए एक्सपट्र्स से बात की।एक्सपट्र्स का कहना है कि रिजल्ट में गिरावट का सबसे बड़ा कारण है फुल सिलेबस। कोरोना के कारण पिछले तीन साल से सिलेबस में 30 प्रतिशत तक कटौती की जा रही थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। इसके अलावा एक बड़ी वजह ये भी है कि 12वीं में कई कमजोर स्टूडेंट्स हैं, जो 10वीं में बिना एग्जाम पास हुए। इस बार एग्जाम में बेसिक कमजोर होने के कारण अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए।
रिजल्ट कम होने के कारण एक्सपट्र्स ने ये बताए कारण....
पहला: कोरोना में प्रमोट हुए बच्चे
कोरोना के दौरान एग्जाम नहीं करवाए गए। एक तय फॉर्मूले के आधार पर स्टूडेंट्स को अगली कक्षा में प्रमोट किया। ये वो ही स्टूडेंट्स हैं, जो इस साल 12वीं के एग्जाम में बैठे। स्कूल में रिटर्न वर्क पर बच्चों ने खास फोकस नहीं किया। जब एग्जाम में लिखने की बारी आई तो कई स्टूडेंट्स को तकलीफ हुई। पिछले साल कोरोना इफेक्ट के चलते बाधित हुई पढ़ाई के कारण सिलेबस में 30 प्रतिशत की कटौती की गई। जब इस बार फुल सिलेबस था, इस वजह से भी रिजल्ट कम रहा।-रामप्रसाद मीणा, प्रिंसिपल, हायर सेकेंडरी स्कूल
दूसरा: मोबाइल का असर
कोरोना काल के दौरान बच्चों ने ऑनलाइन पढ़ाई की। इस दौरान बच्चों में मोबाइल के प्रति लगाव बढ़ा, यह अब भी कम नहीं हो रहा है। बच्चों में दसवीं की पढ़ाई अहम होती है। जब ये बच्चे दसवीं में थे तो कोरोना काल रहा। इस दौरान बच्चों की बेसिक कमजोर रही। प्रतिशत हाई होने के कारण अपनी कमी नहीं देख पाए। कक्षा में सीखने-सिखाने की प्रैक्टिस होती है, लेकिन आदत बदल जाने से उसमें बच्चे कम ध्यान दे रहे थे। उनको लगता था कि मोबाइल से ही पढ़ाई हो जाएगी और इग्नोरनेस रखी, लेकिन इस का असर रिजल्ट पर पड़ा।-घीसालाल कुमावत, रिटायर्ड सीनियर टीचर
तीसरा: तीन साल में 5 हजार से ज्याद स्कूल क्रमोन्नत, लेकिन स्टाफ नहीं
एक्सपट्र्स की माने तो एक वजह प्रदेश के सरकारी स्कूलाें में खाली चल रहे व्याख्याताओं के पद भी है। एक अनुमान के मुताबिक अलग-अलग सब्जेक्ट के करीब 15 हजार लेक्चरर की कमी है। वहीं दूसरा सबसे बड़ा कारण पिछले तीन सालों में क्रमोन्नत हुए स्कूल है। तीन साल के आंकड़े देखे तो करीब 5 हजार से ज्यादा स्कूलों को क्रमोन्नत तो कर दिया गया लेकिन इनमें स्टाफ की कमी रही। प्रदेश की बात की जाए तो हिंदी और इंग्लिश में फर्स्ट ग्रेड के स्तर से 70% पद खाली है। ऐसे में सेकेंड ग्रेड शिक्षकों से ही काम चला रहे हैं। ऐसे ही हिस्ट्री और पॉलिटिकल साइंस विषय में भी 50% से ज्यादा पद खाली है। जो नई स्कूल बनी है उनके लिए नई फर्स्ट ग्रेड टीचर्स की व्यवस्था नहीं की है।
कॉमर्स-साइंस का भी कम रहा था रिजल्ट
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से 18 मई की रात आठ बजे कॉमर्स व साइंस का रिजल्ट घोषित किया था। कॉमर्स का 96.60% और साइंस का रिजल्ट 95.65% रहा। पिछले साल की तुलना में इस साल साइंस का रिजल्ट 0.88 और कॉमर्स का 0.93 प्रतिशत कम रहा। जबकि कोरोना काल के दौरान साल 2021 के रिजल्ट से तुलना की जाए तो कॉमर्स का रिजल्ट इस साल 3.13 प्रतिशत कम रहा। जबकि साइंस का रिजल्ट 3.87 प्रतिशत कम हुआ है।
बिना एग्जाम पहली बार एक साथ तीनों रिजल्ट
साल 2021 में पहली बार ऐसा हुआ, जब एक साथ साइंस, आट्र्स और कॉमर्स तीनों के रिजल्ट जारी किए गए। गौरतलब है कि साल 2021 में कोरोना के कारण एग्जाम नहीं हुए थे। इस दौरान फॉर्मूले से प्रमोट हुए थे।
12वीं आट्र्स .... स्टूडेंट्स और रिजल्ट
कुल स्टूडेंट्स रजिस्टर्ड | 7 लाख 19 हजार 743 |
परीक्षा में हुए शामिल | 7 लाख 5 हजार 415 |
फर्स्ट डिवीजन | 3 लाख 26 हजार 413 |
सेकेंड डिवीजन | 2 लाख 69 हजार 154 |
थर्ड डिवीजन | 55 हजार 855 |
पास | 62 |
सप्लीमेंट्री | 16838 |
बॉयज का पासिंग प्रतिशत | 90.65 |
गर्ल्स का पासिंग प्रतिशत | 94.06 |
कुल स्टूडेंट्स रजिस्टर्ड | 279911 |
परीक्षा में हुए शामिल | 277375 |
फर्स्ट डिवीजन | 208766 |
सेकेंड डिवीजन | 50752 |
थर्ड डिवीजन | 387 |
पास | 5392 |
सप्लीमेंट्री | 2284 |
बॉयज का पासिंग प्रतिशत | 94.72 |
गर्ल्स का पासिंग प्रतिशत | 97.39 |
कॉमर्स .... स्टूडेन्ट्स और रिजल्ट
कुल स्टूडेंट्स रजिस्टर्ड | 29387 |
परीक्षा में हुए शामिल | 29030 |
फर्स्ट डिवीजन | 17043 |
सेकेंड डिवीजन | 9252 |
थर्ड डिवीजन | 1741 |
पास | 8 |
सप्लीमेंट्री | 423 |
बॉयज का पासिंग प्रतिशत | 95.85 |
गर्ल्स का पासिंग प्रतिशत | 98.01 |
12वीं का रिजल्ट, कब हुआ जारी पिछले सालों में....
साल | एग्जाम की लास्ट डेट | रिजल्ट | समय लगा |
2018 | 2 अप्रैल | साइंस 23 मई कॉमर्स 23 मई आट्र्स 1 जून | 49 दिन |
2019 | 2 अप्रैल | साइंस 15 मई कॉमर्स 15 मई आट्र्स 22 मई | 49 दिन |
2020 | कोविड के कारण 30 जून | साइंस 8 जुलाई कॉमर्स 13 जुलाई आट्र्स 21 जुलाई | 76 दिन |
2021 | परीक्षा नहीं हुई | साइंस 24 जुलाई कॉमर्स 24 जुलाई आट्र्स 24 जुलाई | .... |
2022 | 26 अप्रैल | साइंस 1 जून कॉमर्स 1 जून आट्र्स 6 जून | 28 दिन |
2023 | 12 अप्रैल | 18 मई-साइंस-कामर्स 25 मई -आर्टस | 37 दिन 44 दिन |
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