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शुक्रवार, 26 मई 2023

बिना एग्जाम 10वीं पास करने का नुकसान 12वीं में झेला:पिछले साल 70% ही सिलेबस था, इस बार पूरा कोर्स; स्कूलों में हिंदी-इंग्लिश के टीचर ही नहीं



 बिना एग्जाम 10वीं पास करने का नुकसान 12वीं में झेला:पिछले साल 70% ही सिलेबस था, इस बार पूरा कोर्स; स्कूलों में हिंदी-इंग्लिश के टीचर ही नहीं

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (RBSE) का 12वीं आट्‌र्स का परिणाम 92.35% रहा। पिछले साल के मुकाबले (96.33%) रिजल्ट में 4% की गिरावट रही। भास्कर ने रिजल्ट में आई गिरावट के कारण समझने के लिए एक्सपट्‌र्स से बात की।एक्सपट्‌र्स का कहना है कि रिजल्ट में गिरावट का सबसे बड़ा कारण है फुल सिलेबस। कोरोना के कारण पिछले तीन साल से सिलेबस में 30 प्रतिशत तक कटौती की जा रही थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। इसके अलावा एक बड़ी वजह ये भी है कि 12वीं में कई कमजोर स्टूडेंट्स हैं, जो 10वीं में बिना एग्जाम पास हुए। इस बार एग्जाम में बेसिक कमजोर होने के कारण अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए।


रिजल्ट कम होने के कारण एक्सपट्‌र्स ने ये बताए कारण....

पहला: कोरोना में प्रमोट हुए बच्चे


कोरोना के दौरान एग्जाम नहीं करवाए गए। एक तय फॉर्मूले के आधार पर स्टूडेंट्स को अगली कक्षा में प्रमोट किया। ये वो ही स्टूडेंट्स हैं, जो इस साल 12वीं के एग्जाम में बैठे। स्कूल में रिटर्न वर्क पर बच्चों ने खास फोकस नहीं किया। जब एग्जाम में लिखने की बारी आई तो कई स्टूडेंट्स को तकलीफ हुई। पिछले साल कोरोना इफेक्ट के चलते बाधित हुई पढ़ाई के कारण सिलेबस में 30 प्रतिशत की कटौती की गई। जब इस बार फुल सिलेबस था, इस वजह से भी रिजल्ट कम रहा।-रामप्रसाद मीणा, प्रिंसिपल, हायर सेकेंडरी स्कूल


दूसरा: मोबाइल का असर

कोरोना काल के दौरान बच्चों ने ऑनलाइन पढ़ाई की। इस दौरान बच्चों में मोबाइल के प्रति लगाव बढ़ा, यह अब भी कम नहीं हो रहा है। बच्चों में दसवीं की पढ़ाई अहम होती है। जब ये बच्चे दसवीं में थे तो कोरोना काल रहा। इस दौरान बच्चों की बेसिक कमजोर रही। प्रतिशत हाई होने के कारण अपनी कमी नहीं देख पाए। कक्षा में सीखने-सिखाने की प्रैक्टिस होती है, लेकिन आदत बदल जाने से उसमें बच्चे कम ध्यान दे रहे थे। उनको लगता था कि मोबाइल से ही पढ़ाई हो जाएगी और इग्नोरनेस रखी, लेकिन इस का असर रिजल्ट पर पड़ा।-घीसालाल कुमावत, रिटायर्ड सीनियर टीचर


तीसरा: तीन साल में 5 हजार से ज्याद स्कूल क्रमोन्नत, लेकिन स्टाफ नहीं

एक्सपट्‌र्स की माने तो एक वजह प्रदेश के सरकारी स्कूलाें में खाली चल रहे व्याख्याताओं के पद भी है। एक अनुमान के मुताबिक अलग-अलग सब्जेक्ट के करीब 15 हजार लेक्चरर की कमी है। वहीं दूसरा सबसे बड़ा कारण पिछले तीन सालों में क्रमोन्नत हुए स्कूल है। तीन साल के आंकड़े देखे तो करीब 5 हजार से ज्यादा स्कूलों को क्रमोन्नत तो कर दिया गया लेकिन इनमें स्टाफ की कमी रही। प्रदेश की बात की जाए तो हिंदी और इंग्लिश में फर्स्ट ग्रेड के स्तर से 70% पद खाली है। ऐसे में सेकेंड ग्रेड शिक्षकों से ही काम चला रहे हैं। ऐसे ही हिस्ट्री और पॉलिटिकल साइंस विषय में भी 50% से ज्यादा पद खाली है। जो नई स्कूल बनी है उनके लिए नई फर्स्ट ग्रेड टीचर्स की व्यवस्था नहीं की है।


कॉमर्स-साइंस का भी कम रहा था रिजल्ट

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से 18 मई की रात आठ बजे कॉमर्स व साइंस का रिजल्ट घोषित किया था। कॉमर्स का 96.60% और साइंस का रिजल्ट 95.65% रहा। पिछले साल की तुलना में इस साल साइंस का रिजल्ट 0.88 और कॉमर्स का 0.93 प्रतिशत कम रहा। जबकि कोरोना काल के दौरान साल 2021 के रिजल्ट से तुलना की जाए तो कॉमर्स का रिजल्ट इस साल 3.13 प्रतिशत कम रहा। जबकि साइंस का रिजल्ट 3.87 प्रतिशत कम हुआ है।


बिना एग्जाम पहली बार एक साथ तीनों रिजल्ट

साल 2021 में पहली बार ऐसा हुआ, जब एक साथ साइंस, आट्‌र्स और कॉमर्स तीनों के रिजल्ट जारी किए गए। गौरतलब है कि साल 2021 में कोरोना के कारण एग्जाम नहीं हुए थे। इस दौरान फॉर्मूले से प्रमोट हुए थे।


12वीं आट्‌र्स .... स्टूडेंट्स और रिजल्ट


कुल स्टूडेंट्स रजिस्टर्ड7 लाख 19 हजार 743
परीक्षा में हुए शामिल7 लाख 5 हजार 415
फर्स्ट डिवीजन3 लाख 26 हजार 413
सेकेंड डिवीजन2 लाख 69 हजार 154
थर्ड डिवीजन55 हजार 855
पास62
सप्लीमेंट्री16838
बॉयज का पासिंग प्रतिशत90.65
गर्ल्स का पासिंग प्रतिशत94.06


कोरोना काल में फॉर्मूला से हुआ था रिजल्ट तैयार

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की स्थापना 4 दिसंबर 1957 को हुई थी। हर साल बोर्ड परीक्षा आयोजित करता था। कोरोना के कारण 2021 में परीक्षा नहीं हो पाई। सरकार ने स्टूडेंट्स को प्रमोट करने का निर्णय लिया। मार्क्स के लिए राज्य सरकार ने कमेटी का गठन किया। कमेटी के बताए फॉर्मूले के आधार पर स्कूलों ने अपना रिजल्ट तैयार कर बोर्ड को भेजा। इसके बाद बोर्ड ने अपना परीक्षा परिणाम घोषित किया।

साइंस .... स्टूडेंट्स और रिजल्ट



कुल स्टूडेंट्स रजिस्टर्ड279911
परीक्षा में हुए शामिल277375
फर्स्ट डिवीजन208766
सेकेंड डिवीजन50752
थर्ड डिवीजन387
पास5392
सप्लीमेंट्री2284
बॉयज का पासिंग प्रतिशत94.72
गर्ल्स का पासिंग प्रतिशत97.39

कॉमर्स .... स्टूडेन्ट्स और रिजल्ट

कुल स्टूडेंट्स रजिस्टर्ड29387
परीक्षा में हुए शामिल29030
फर्स्ट डिवीजन17043
सेकेंड डिवीजन9252
थर्ड डिवीजन1741
पास8
सप्लीमेंट्री423
बॉयज का पासिंग प्रतिशत95.85
गर्ल्स का पासिंग प्रतिशत98.01

12वीं का रिजल्ट, कब हुआ जारी पिछले सालों में....

साल

एग्जाम की लास्ट डेट

रिजल्ट

समय लगा

2018

2 अप्रैल

साइंस 23 मई

कॉमर्स 23 मई

आट्‌र्स 1 जून

49 दिन

2019

2 अप्रैल

साइंस 15 मई

कॉमर्स 15 मई

आट्‌र्स 22 मई

49 दिन

2020

कोविड के कारण 30 जून

साइंस 8 जुलाई

कॉमर्स 13 जुलाई

आट्‌र्स 21 जुलाई

76 दिन

2021

परीक्षा नहीं हुई

साइंस 24 जुलाई

कॉमर्स 24 जुलाई

आट्‌र्स 24 जुलाई

....

2022

26 अप्रैल

साइंस 1 जून

कॉमर्स 1 जून

आट्‌र्स 6 जून

28 दिन

2023

12 अप्रैल

18 मई-साइंस-कामर्स

25 मई -आर्टस

37 दिन

44 दिन





2020 में ये रहा था रिजल्ट

साल 2020 में 12वीं कला संकाय के 5 लाख 80 हजार 725 शामिल हुए और 5 लाख 26 हजार 726 परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए। परीक्षा परिणाम 90.70 फीसदी रहा।12वीं कॉमर्स का परिणाम 94.49% परिणाम रहा। कुल 36,068 विद्यार्थियों में से 34,079 विद्यार्थी उत्तीर्ण घोषित किए गए हैं। 12वीं साइंस वर्ग में 2 लाख 37 हजार 305 छात्र-छात्राओं ने परीक्षा दी। इनमें से कुल 2 लाख 18 हजार 232 स्टूडेंट्स पास हुए। परीक्षा परिणाम 91.96 फीसदी रहा।

अब इन 10 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स को रिजल्ट का इंतजार....

10वीं में कुल स्टूडेंट्स 10 लाख 68 हजार 383 , 10वीं की परीक्षाएं 16 मार्च से 11 अप्रैल तक हुईं।
इन सब्जेक्ट में पूरे में पूरे अंक भी मिले

हिन्दी व अंग्रेजी अनिवार्य, हिंदी साहित्य, अंग्रेजी साहित्य, पंजाबी साहित्य, उर्दू साहित्य, राजस्थानी साहित्य, संस्कृत साहित्य, राजनैतिक विज्ञान, इकोनॉमिक्स, कम्प्यूटर साइंस,ब्यूटी एंड वैलनेस, सितार, होम साइंस, ड्राइंग, वोकल म्यूजिक, मैथ्स, जियोग्राफिक, हिस्ट्री में कई स्टूडेंट्स को 100 प्रतिशत अंक मिले।

इन सब्जेक्ट में सभी स्टूडेंट्स पास हो गए, एक भी फेल नहीं

गुजराती साहित्य, तबला, साइकोलाजी





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