शिक्षा विभाग : डीपीसी कोटे के 19 हजार पद रिक्त, निदेशक ने मांगी स्वीकृति, तदर्थ पदोन्नति से भरेंगे रिक्त पद !
बांसवाड़ा. प्रदेश में शिक्षा विभागीय पदोन्नति प्रक्रिया में 19 हजार पद रिक्त होने और शिक्षण व्यवस्था बाधित होने के बाद विभाग भी मानो पदों की गणित में उलझा हुआ है। ऐसे में अब रिक्त पदों को तदर्थ पदोन्नति से भरने की कवायद की जा रही है। इसे लेकर माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने शासन सचिव शिक्षा से प्रशासनिक स्वीकृति मांगी है। शाला दर्पण पर उपलब्ध सूचना के अनुसार प्रदेश में डीपीसी कोटे के लगभग 19 हजार पद रिक्त होने से शिक्षण व्यवस्था बाधित हो रही है। इस पदोन्नति से रिक्त होने वाले संभावित पदों की गणना तृतीय श्रेणी के सीधी भर्ती के पदों के लिए भी की गई थी। ऐसे में परिणाम आने पर पदस्थापन के लिए रिक्त पद उपलब्ध नहीं हो सकेंगे। पदोन्नति से इन पदों को न्यायालय के स्थगन तक नहीं भर सकते हैं। इस कारण अब निदेशालय का मानना है कि इन पदों को राजस्थान शिक्षा (राज्य एवं अधीनस्थ सेवा) नियम 2021 के नियम-35 तदर्थ पदोन्नति के अन्तर्गत आवश्यक अस्थाई रूप से डीपीसी होने तक अथवा आरपीएससी की सहमति से 6 माह बढ़ा सकने की स्थिति पर भरा जा सकता है।
उदयपुर मण्डल शेष
जानकारी के अनुसार तदर्थ पदोन्नति में डीपीसी के लिए पात्र कार्मिकों का ही पदस्थापन किया जाता है। वर्ष 2021-22 की डीपीसी के लिए पहले तैयारियां की जा चुकी थी। उदयपुर मण्डल के अतिरिक्त प्रदेश के सभी शिक्षा मंडलों की डीपीसी हो चुकी है, जिसमें 3975 तृतीय श्रेणी अध्यापकों को वरिष्ठ अध्यापक पद पर चयन करने की अनुशंषा पदोन्नति समिति की ओर से की जा चुकी है। 3975 कार्मिकों को सम्मिलित करते हुए एवं वर्ष 2021-22 की डीपीसी के लिए बनाई पात्रता सूची में से शेष रहे रिक्त लगभग 15 हजार कार्मिकों को 6 माह के लिए तदर्थ पदोन्नति पर पदस्थापन कर रिक्त पदों को भरा जा सकता है। इस संभावना को देखते हुए निदेशालय ने प्रशासनिक स्वीकृति मांगी है, जिससे नवीन सत्र में पद रिक्त के कारण शिक्षण व्यवस्था बाधित ना हो।
कोर्ट का है स्टे
न्यायालय में वरिष्ठ अध्यापक पद पर पदोन्नति को अंतिम रूप देने पर स्थगन होने से 2021-22 की पदोन्नति उपरान्त पदस्थापन की कार्रवाई नहीं हो पाई है। वहीं सर्वोच्च न्यायालय में दायर विशेष याचिका ठाकराराम बनाम राज्य सरकार में डीपीसी पर स्टे के आदेश के कारण 2022-23 एवं 2023-24 की पदोन्नति कार्यवाही भी प्रारम्भ नहीं हो सकी है।
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