डूंगर कॉलेज के प्रोफेसरों ने तैयार किया नैक निरीक्षण की प्रक्रिया का राज्य स्तरीय मॉड्यूल
बीकानेर. प्रदेश के राजकीय कॉलेजों में नैक निरीक्षण के दौरान सेल्फ स्टडी रिपोर्ट (एसएसआर) भरते समय किसी भी तरह की परेशानी नहीं हो, इसके लिए एक खास मॉड्यूल तैयार किया गया है। इससे कॉलेजों को फॉर्म भरते समय काफी सहूलियत मिलेती।दरअसल, राजकीय डूंगर महाविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. दिव्या जोशी और डॉ. नरेंद्र भोजक ने नैक निरीक्षण की प्रक्रिया का एक राज्य स्तरीय मॉड्यूल तैयार किया है। इसमे उनके द्वारा प्रकाशित 20 से अधिक शोध पत्रों से प्राप्त निष्कर्षों, प्रतिक्रियाओं एवं संदर्भों को आधार बनाया गया है।
इस मॉड्यूल का उपयोग राज्य के विभिन्न कॉलेजों के साथ-साथ अन्य प्रदेशों के महाविद्यालय व विश्वविद्यालयों में किया जा सकेगा। इस मॉड्यूल को सभी कॉलेजों को भी उपलब्ध करवाया जाएगा, जिससे नैक निरीक्षण के दौरान ग्रेडिंग के लिए नंबर भी सही हो सकेंगे। साथ ही एसएसआर कैसे भरनी है, इसको लेकर भी जानकारी मिल सकेगी।डॉ.जोशी और डॉ. भोजक राजकीय डूंगर महाविद्यालय आईक्यूएसी के सदस्य होने के साथ राज्य स्तरीय आंतरिक मूल्यांकन समिति के एसेसर के रूप में 30 से अधिक कॉलेजों को नैक निरीक्षण एवं तैयारियों का प्रशिक्षण दे चुके हैं।
सूचनाएं भरते समय मिलेगा लाभ
नैक निरीक्षण के दौरान सात पैमानों पर इंडिकेटर होते हैं, जिसके तहत कॉलेज-विश्वविद्यालय की सूचनाएं भरी जाती हैं। उन्होंने बताया कि राजकीय महाविद्यालयों में निरीक्षण के दौरान अक्सर कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसकी वजह से समिति की ओर से मिलने वाले नंबर भी कम रह जाते है। सबसे पहले डेटा फॉर्म भरते समय किस प्रश्न का क्या उतर देना है, इसकी भी समस्या का सामना करना पड़ता है।अलग-अलग तरह के डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन करवाकर भी लगाने होते हैं। इसकी भी जानकारी इस मॉड्यूल में मौजूद है।
तीन चरणों में होता है निरीक्षण
नैक निरीक्षण तीन चरणों में होता है। आईआईक्यूए, एसएसआर, पीटीवी। इन तीनों में सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया एसएसआर भरना होता है। इसमें सात पैमानों पर 134 इंडिकेटर होते हैं। डाटा टेम्पलेट, विस्तार लेखन, सपोर्टिंग डाटा द्वारा विभिन्न बिंदुओं के माध्यम से ऑनलाइन पोर्टल पर भरना होता है। शोध पत्र, मॉड्यूल्स के माध्यम से इन प्रोफेसर्स ने सूचना भरने संबंधित पूरी प्रक्रिया को विस्तार से समझाया है।
डॉक्युमेंटेशन के लिए विद्यार्थियों की उपलब्धियों का रिकॉर्ड, सामाजिक विषयों और सामाजिक दायित्वों के प्रति जागरूकता एवं योगदान, परिणाम आधारित पाठ्यक्रम, रोजगारोन्मुखी कोर्स, नवाचार, अनुसंधान का विशेष ध्यान रखना होता है। सभी स्टेकहोल्डर्स के फीडबैक और सुझाव का विशेष योगदान होना चाहिए ।-डॉ.दिव्या जोशी, अंग्रेजी विभागाध्यक्ष, राजकीय डूंगर महाविद्यालय
20 से अधिक शोध पत्रों से प्राप्त निष्कर्षों, प्रतिक्रियाओं एवं संदर्भों को आधार बनाकर राज्य स्तरीय मॉड्यूल तैयार किया गया है। नैक निरीक्षण के लिए प्रयोगशालाओं में आधुनिक एवं मूलभूत प्रयोगों को करवाना, ग्रीन आडिटिंड, जेंडर आडिटिंड, ऊर्जा ऑडिट के साथ- साथ संस्थान की बेस्ट प्रैक्टिसेज का होना आवश्यक है। राजकीय डूंगर महाविद्यालय ने इसके प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर विशेषज्ञता हासिल की है।-डॉ. नरेंद्र भोजक, प्रोफेसर जीसीआरसी, राजकीय डूंगर महाविद्यालय
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