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सोमवार, 1 मई 2023

शिक्षक संघों का विरोध: शिक्षकों ने मांगे तबादले, मिला शिविरों का जिम्मा


 शिक्षक संघों का विरोध: शिक्षकों ने मांगे तबादले, मिला शिविरों का जिम्मा

श्रीगंगानगर. प्रदेशवासियों को राहत दिलाने के लिए महंगाई राहत कैम्प में शिक्षकों की भागीदारी करने को लेकर विरोध के स्वर मुखर होने लगे हैं। शिक्षक संघ पदाधिकारियों का कहना है कि 10 में से एक भी योजना शिक्षा विभाग से संबंधित नहीं है, ऐसे में इन शिविरों में शिक्षकों को लगाना उनके गले नहीं उतर रहा। वहीं, कई थर्ड ग्रेड शिक्षकों ने अपने तबादले के लिए राज्य के शिक्षा विभाग से गुहार की तो इनमें से अधिकांश की इन महंगाई राहत कैम्पों में ड्यूटियां लगा दी गई। इसके साथ-साथ दूरदराज जिले से इस जिले के विभिन्न स्कूलों में कार्यरत शिक्षक ग्रीष्मकालीन अवकाश में अपने परिवार के पास जाने को तैयार थे लेकिन उससे पहले ही कैम्पों में डयूटियां करने के आदेश आ गए। कई शिक्षक कैम्पों की व्यवस्था भी संभाल रहे हैं।


इधर, अधिकारियों का कहना है कि एलडीसी और मंत्रालयिक कार्मिकों की हड़ताल के कारण कैम्पों की व्यवस्था के लिए शिक्षकों को वैकल्पिक तौर पर लगाया गया है। विदित रहे कि जिले में तीन स्तर के कैम्प आयोजित किए जा रहे हैं। पहला प्रशासन गांव के संग अभियान, दूसरा प्रशासन शहरों के संग अभियान और तीसरा महंगाई राहत कैम्प भी है। महंगाई राहत कैंप के विशेष काउंटर लगाए गए हैं, इसमें एलडीसी की कमी को देखते हुए वहां शिक्षकों को जिम्मेदारी दी जा रही है। ये कैम्प तीस जून तक लगातार आयोजित होंगे। इधर, शिक्षा विभाग का तर्क है कि राज्य सरकार के आदेश की पालना करवा रहे हैं।


इसलिए मुखर हो रहे विरोध के स्वर

अधिकतर शिक्षक दूर-दराज जिलों में लगे हुए हैं और पिछले कई सालों से तबादले नहीं होने से उन्हें घर जाने का मौका केवल ग्रीष्म और शीतकालीन अवकाश में ही मिलता है। शिक्षक संघ से जुड़े प्रतिनिधि बताते हैं कि वर्षों से सरहदी जिले व दूरस्थ गांवों में ड्यूटी दे रहे बाहरी जिलों के शिक्षक तबादले को लेकर चिंतित हैं। वे लंबे समय से गृह जिले में स्थानांतरण की मांग भी कर रहे थे। इन दिनों शिक्षक विद्यालय में कई प्रकार की परीक्षाओं का जिम्मा संभाल रहे थे। साथ ही दो मई तक उन्हें परीक्षा परिणाम जारी करना है। इन्हीं अधिकतर शिक्षकों को माशिबो की कक्षा 10 और 12 की पुस्तिकाएं जांचने का कार्य आवंटित हो चुका है।


स्कूलों की व्यवस्था चरमराएगी

शिक्षक संघ प्रगतिशील के पूर्व मुख्य महामंत्री अभिमन्यू भदोरिया का कहना है कि शिक्षा पूर्ण रूप से नि:शुल्क है। ऐसे में शिक्षकों को मंहगाई राहत कैम्प में शामिल करना उचित नहीं है। यह राजस्व विभाग का कार्य है और इस विभाग के अधीन शिक्षकों को लगाना न्यायसंगत नहीं। इसका साइड इफेक्ट यह रहेगा कि सरकारी स्कूलों की व्यवस्था पटरी से उतर जाएगी।


अपने-अपने तर्क

सभी कार्यालय और विभाग में फाइव-डे वीक है। विद्यालय में शनिवार को भी कार्यदिवस होता है। बाहरी जिलों के अधिकांश शिक्षक शीत और ग्रीष्मकालीन अवकाश के समय ही अपने गांव जाते हैं। इसके बावजूद गैर शैक्षिक कार्यों में शिक्षकों की डयूटियां लगाई जा रही हैं। सोमवार से चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम सर्वे में छह साल तक आयु वर्ग के बच्चों को वापस स्कूलों से जोडऩे की जिम्मेदारी शिक्षकों की है। ऐसे में कैम्पों में डयूटियां लगाकर सर्वे को कागजी बना दिया जाएगा। - हरीश खत्री, जिलाध्यक्ष, राजस्थान शिक्षक संघ सीयाराम।


महंगाई राहत कैम्प में शिक्षकों की ड्यूटी लगाना दुर्भावनापूर्ण निर्णय है। शिक्षक दूर-दराज व अभावग्रस्त इलाकों में सेवा दे रहे हैं और हमें केवल ये ही अवकाश मिलते हैं। इसमें पाबंदी का विरोध करेंगे। सरकार से शिक्षकों की मांगों को लेकर फरियाद कर रहे हैं। तबादले की मांग तक करने को मजबूर हैं, लेकिन सरकार सुनवाई नहीं कर रही। -राधेश्याम यादव, प्रदेश कोषाध्यक्ष, राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत।

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