प्रदेश के 11 विवि में शिक्षकों के 2116 में से 909 पद खाली,प्रदेश के विवि में शिक्षकों के पद रिक्त होने से न गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल पा रही, न कैंपस प्लेसमेंट
प्रदेश में आधी उच्च शिक्षा डेपुटेशन के भरोसे चल रही है। उदयपुर के सुखाड़िया और जयपुर के राजस्थान विश्वविद्यालय सहित प्रदेश के 11 प्रमुख विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 2116 में से 909 (42.95%) पद खाली हैं। अशैक्षणिक पदों की बात करें तो 4033 में से 1925 (52.26%) खाली हैं। इन्हें भरने के लिए लंबे समय से अलग-अलग विश्वविद्यालय मांग कर रहे हैं। प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने विधानसभा में इन आंकड़ों काे रखा।
इनके अनुसार मत्स्य विवि अलवर में शिक्षकों के 30 में 30 (100%), एमएसबीवी भरतपुर में 30 में से 30 (100%), पीडीयूएसवी सीकर में 30 में से 30 (100%) और जीजीटीयू बांसवाड़ा में शिक्षकों के 30 में से 30 (100%) पद खाली हैं। ऐसे में इन विवि में अतिथि शिक्षकों, संविदा शिक्षकों और डेपुटेशन पर लगे शिक्षकों के भरोसे काम चल रहा है। पद रिक्त होने से विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है। इसके अलावा कैंपस जॉब दिलाने में भी लगातार दिक्कतें आ रही हैं।
शिक्षक नहीं होने से घटेंगी पीएचडी सीटें यूजीसी के साल 2022 में लागू किए गए पीएचडी के नए नियमों को संशोधनों को सुविवि सहित प्रदेश के सभी विवि में लागू कर दिया गया है। प इन नए नियमों के तहत अब प्रोफेसर को 8, एसोसिएट प्रोफेसर को 6 और असिस्टेंट प्रोफेसर को 4 पीएचडी स्कॉलर ही आवंटित किए जा सकते हैं। इससे पहले प्रोफेसर को 10, एसोसिएट प्रोफेसर को 8 और असिस्टेंट प्रोफेसर को 6 पीएचडी स्कॉलर आवंटित किए जाते थे। अब इन नए नियमों को देखते हुए विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने की आवश्यकता है। ताकि पीएचडी की घटती सीटों की समस्या का समाधान किया जा सके।
विवि प्रस्ताव भेजें, पद भरे जाएंगे- सचिव
उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा सचिव भवानी सिंह देथा का कहना है कि कई विवि को शैक्षणिक और अशैक्षणिक पद भरने के लिए मंजूरी दे दी है। आगे की कार्रवाई संबंधित विश्वविद्यालयों को करनी है। जिन विवि को शैक्षणिक और अशैक्षणिक रिक्त पदों को भरवाने की अनुमति नहीं दी गई है, वे लिखित मेंप्रस्ताव भेजेंगे तो उनको भी मंजूरी दे दी जाएगी।
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