Breaking

Primary Ka Master Latest Updates | Education News | Employment News latter 👇

सोमवार, 26 जून 2023

धार्मिक संस्थानों के टैक्स छूट नियमों में बदलाव, 2 लाख से अधिक दान मिलने पर बतानी होगी डिटेल

 

धार्मिक संस्थानों के टैक्स छूट नियमों में बदलाव, 2 लाख से अधिक दान मिलने पर बतानी होगी डिटेल

आयकर विभाग ने आयकर छूट का दावा करने वाले धर्मार्थ संस्थानों के लिए खुलासा मानकों में बदलाव किए हैं। इसे लेकर अब विभाग की ओर से अतिरिक्त विवरण देने को कहा गया है। आयकर नियमों में किए गए संशोधन 1 अक्टूबर से लागू होंगे। इसके मुताबिक, धर्मार्थ संस्थानों को अब यह खुलासा करना होगा कि उनकी गतिविधियां धर्मार्थ, धार्मिक या धार्मिक-सह-धर्मार्थ किस तरह की हैं। इसके अलावा एक दिन में किसी व्यक्ति से दो लाख रुपये से अधिक दान मिलने पर दान देने वाले का नाम-पता, भुगतान की राशि और पैन की जानकारी भी धर्मार्थ संस्था को अब देनी होगी। 


नांगिया एंडरसन एलएलपी के साझेदार विश्वास पंजियार ने आयकर नियमों में किए गए इस संशोधन पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार ने हाल ही में कर छूट का दावा करने या आयकर अधिनियम के तहत 80जी प्रमाणपत्र पाने के लिए धर्मार्थ संस्थानों के लिए लागू पंजीकरण जरूरत को भी नया रूप दिया था। पंजियार ने कहा, 'सरकार ने अब आयकर नियमों (नियम 2सी, 11एए और 17ए) में बदलाव किए हैं। संशोधित नियम 1 अक्टूबर 2023 से ही लागू होंगे। इसके अलावा संबंधित फॉर्म के अंत में दिए गए अंडरटेकिंग में भी थोड़े बदलाव किए गए हैं।'


... इन्हें टैक्स से मिलती है छूट

आयकर कानून के तहत धर्मार्थ संस्थानों, धार्मिक ट्रस्टों और चिकित्सा व शैक्षणिक संस्थानों की आय को कर से छूट मिली हुई है। हालांकि, इस छूट के लिए इन संस्थानों को आयकर विभाग के पास रजिस्ट्रेशन कराना होता है। आयकर विभाग से जुड़ी अन्य खबरों की बात करें तो सोमवार को उसे दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा। अदालत ने आयकर विभाग की ओर से जारी 10 करोड़ रुपये के मूल्यांकन आदेश को इस आधार पर रद्द कर दिया कि यह मृत करदाता के सिर्फ कानूनी उत्तराधिकारी के खिलाफ जारी नहीं किया जा सकता।


HC ने आयकर विभाग के अधिकारियों से याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी करने और उन्हें मामले के गुण-दोष बारे में अपना बचाव प्रस्तुत करने का अवसर देने को कहा। अदालत ने कहा, 'मृतक/करदाता के एक से अधिक कानूनी उत्तराधिकारी थे, जिनमें याचिकाकर्ता नंबर 2 और 3 भी शामिल हैं। इस स्थिति के मद्देनजर यह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि मूल्यांकन आदेश केवल दर्पण कोहली, यानी याचिकाकर्ता नंबर 1 के खिलाफ जारी किया जा सकता था। इसलिए हमारे अनुसार आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका मूल्यांकन आदेश को रद्द करना होगा।'


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें