Breaking

Primary Ka Master Latest Updates | Education News | Employment News latter 👇

मंगलवार, 13 जून 2023

सात शिक्षक 28 साल तक गलत नामों से करते रहे नौकरी


सात शिक्षक 28 साल तक गलत नामों से करते रहे नौकरी

अलवर. जिला परिषद में चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जिले के नीमराना, बानसूर, मुंडावर, रैणी व थानागाजी क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में 7 शिक्षक 28 साल से नियुक्ति आदेश में अंकित गलत नाम के आधार पर नौकरी करते रहे। कुछ समय पूर्व इन्होंने अपने नाम, जाति व पिता का नाम बदलवाने के लिए जिला परिषद में आवेदन किया तो जिला परिषद ने पिछले नौ माह में इन सभी शिक्षकों के नाम में संशोधन भी कर दिया। एक शिक्षक के तो पिता का नाम तक बदल दिया गया। एक अन्य शिक्षक के पिता के नाम में संशोधन का प्रार्थना पत्र अभी लंबित है। यह मामला सरकार के पास पहुंचा है। कहा गया है कि यह नियुक्तियां फर्जी हो सकती हैं। इनकी विस्तृत जांच की आवश्यकता है। जिला परिषद के आधार को भी गंभीरता से परखा जाए। इन शिक्षकों ने जिला परिषद को यह स्पष्ट नहीं किया कि अब उन्हें नाम संशोधन की क्या आवश्यकता पड़ रही है और ऐसा कौन सा काम है जो बिना संशोधन के अटक रहा है।


इसलिए आशंका

नियुक्ति आदेश जारी होने के बाद दस्तावेजों का तीन स्तर पर सत्यापन हुआ लेकिन किसी ने भी नियुक्ति आदेशों में अंकित नाम का मिलान नहीं किया। सत्यापन किया है तो फिर नियुक्ति आदेश में नाम उसी समय संशोधित होने चाहिए थे? आशंका है कि नियुक्ति आदेश किसी और के नाम से जारी हुए हों और यह लोग नौकरी करते रहे हों। रिटायरमेंट के समय इन्हें लगा कि इसी कारण से पेंशन रुक सकती है, इसलिए नाम बदलवाना जरूरी है।यह प्रकरण मेरे संज्ञान में नहीं है और न इसकी कोई शिकायत मिली है। मेरी ज्वाइनिंग से पहले का मामला है, फिर भी शिकायत आएगी तो दिखवाया जाएगा।— कनिष्क कटारिया, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद 


सभी सेवाओं का मिला लाभ, अब जरूरत क्यों

वर्ष 1994 एवं 1995 में तृतीय श्रेणी शिक्षकों की नियुक्ति आदेश जारी हुए थे। 7 शिक्षकों ने पिछले 9 माह के दौरान जिला परिषद में आवेदन कर कहा, नियुक्ति आदेश में उनके और उनके पिता के नाम गलत हैं। दो अभ्यर्थियों ने खुद के नाम के साथ पिता के नाम में भी संशोधन के लिए आवेदन किए। शेष पांच अध्यापकों ने केवल खुद के नाम में ही संशोधन कराया। 28 साल तक खुद के पिता के गलत नाम होने के कारण राजकीय सेवा में बाधा नहीं आई और इस दौरान लगातार अध्यापकों की ओर से वित्तीय लाभ लिए गए। इसी दौरान अध्यापकों को 9 साल, 18 साल व 27 साल की एसीपी का लाभ भी मिला, अब रिटायरमेंट के पास आकर अध्यापकों ने बताया कि उनका नाम या उनके पिता का नाम नियुक्ति आदेश में गलत है। 28 वर्षों तक इस बात को किसी ने चैक ही नहीं किया।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें