कला शिक्षा की दुर्दशा... कक्षाएं लगती हैं, परीक्षा भी होती है लेकिन प्रदेश में 31 साल में कभी शिक्षक नहीं लगाए,1992 में कक्षा 6 से 10 तक लागू की कला शिक्षा औपचारिक बनकर रह गई
कोटा | माध्यमिक शिक्षा के सरकारी स्कूलों में कला शिक्षा की उपेक्षा हो रही है। स्थिति ये है कि 31 साल से बिना पढ़ाए स्कूलों में परीक्षा हो रहीं है। जबकि, इसके साथ में शुरू हुई शारीरिक शिक्षा में शिक्षक भी लगा दिए थे। अब एक दशक पहले शुरू हुई कंप्यूटर शिक्षा में लैब भी लगा दी गई। कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्ति कर दी गई है। ऐसे में स्कूलों में क्लास 6 से 10वीं तक अनिवार्य कला शिक्षा की परीक्षा पर सवाल खड़े हो रहे है। साथ ही तीनों अनिवार्य विषय होने के बावजूद एक के शिक्षकों की नियुक्ति नहीं है।
आदेश के बाद भूल गया शिक्षा विभाग
राजस्थान बेरोजगार चित्रकला संगठन के प्रदेशाध्यक्ष महेश गुर्जर का कहना है कि इस मामले को लेकर कोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा विभाग को 2020 में आदेश दिए थे। इसके बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग ने नियमित भर्ती करने की बात कही लेकिन तीन साल हो गए है। इसके बावजूद भर्ती नहीं की। अब जुलाई से स्कूल शुरू हो रहे है। इस साल भी बिना शिक्षकों के पढ़ाई होगी। जब अनिवार्य अन्य विषयों के शिक्षक है तो कला के भी होने चाहिए
1992 से पहले द्वितीय श्रेणी शिक्षकों की भर्ती होती थी: डॉ. शालिनी भारती, विभागाध्यक्ष
आरटीई एक्ट के तहत स्कूलों में कला शिक्षक चला रखी है, लेकिन पढ़ाई के लिए शिक्षक नहीं है। बोर्ड परीक्षाओं में ग्रेड दी जाती है। 1992 से पहले स्कूलों में शिक्षकों की नियमित भर्ती होती थी। द्वितीय श्रेणी के शिक्षक इसको पढ़ाते थे, लेकिन अब भर्ती नहीं हो रही है। जिसके चलते प्रदेश में कला के लाखों के बेरोजगार है। विदेशों में कला को सबसे प्रथम प्राथमिकता दी जाती है। यहां समझ से परे है।
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