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बुधवार, 28 जून 2023

शिक्षा विभाग ने 35 हजार निजी स्कूलों से मांगा आरटीई पोर्टल के संचालन का खर्चा



 शिक्षा विभाग ने 35 हजार निजी स्कूलों से मांगा आरटीई पोर्टल के संचालन का खर्चा

शिक्षा का अधिकार कानून के तहत निजी स्कूलों में ऑनलाइन आवेदन व प्रवेश की व्यवस्था के लिए बने आरटीई पोर्टल के संचालन का खर्चा शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों से मांगा है। इसके लिए प्रदेश के 35 हजार निजी स्कूलों से 14 करोड़ रुपए वसूलने की तैयारी है। प्रत्येक निजी स्कूल से सालाना एक हजार रुपए वसूले जाएंगे। विभाग ने नए सत्र के साथ-साथ पिछले 3 सूत्रों की राशि भी मांगी है। यानी प्रत्येक निजी स्कूल को 4 सत्रों के 4 हजार रुपए देने हैं।

इस प्रकार पोर्टल के संचालन का खर्चा वसूले जाने से निजी स्कूलों में आक्रोश है। उन्होंने इसका विरोध किया है। विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार आरटीई पोर्टल के सफल संचालन और रख रखाव के लिए और आधारभूत सुविधाएं विकसित करने की जरूरत है। इसके लिए प्रत्येक निजी स्कूल से एक हजार रुपए लिया जाएगा। प्रत्येक निजी स्कूल को पिछले तीन सत्रों सत्र 2020-21, सत्र 2021-22 और सत्र 2022-23 का शुल्क 3 हजार रुपए ई-ग्रास चालान के माध्यम से जमा कराना होगा। साथ ही नए सत्र 2023-24 का शुल्क आरटीई भुगतान में से काटा जाएगा। इसके बाद प्रत्येक वर्ष यह कटौती जारी रहेगी। विभाग की ओर से अचानक मांगा गया यह शुल्क कोरोना काल से ही लागू किया गया है। कोरोना काल का भी शुल्क वसूला जा रहा है।


कुल 3.5 करोड़ देने होंगे

प्रदेश में 35 हजार निजी स्कूल हैं। प्रत्येक स्कूल से एक हजार रुपए मांगे जा रहे हैं। इस प्रकार एक साल के 3.5 करोड़ रुपए होते हैं। विभाग एक साथ चार सालों का शुल्क मांग रहा है। यानी शिक्षा विभाग निजी स्कूलों से 14 करोड़ रुपए वसूलेगा। निजी स्कूलों का कहना है कि पोर्टल को बनाने और संचालन करने में इतना खर्चा होता ही नहीं है। ऐसे में यह वसूली गलत है। विभाग आरटीई के नियमों के अनुसार इस तरह की वसूली नहीं कर सकता।


पोर्टल पर आरटीई प्रवेश से जुड़ी हर जानकारी रहती है। छात्रों से आरटीई प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन लिए जाते हैं। प्रवेश के लिए स्कूल अलॉट भी इसी पोर्टल के जरिए होती है। आवेदन में लगने वाली आपत्ति का निस्तारण भी पोर्टल के जरिए ऑनलाइन होता है।


निजी स्कूलों को आरटीई पोर्टल फीस देनी होगी। यह पोर्टल के डवलपमेंट के लिए ली जा रही है। इसमें स्कूलों की सुविधा के लिए कई नए मॉड्यूल तैयार होंगे।- चंद्रकिरण, उपनिदेशक आरटीई, निदेशालय बीकानेर


पोर्टल के संचालन के लिए शुल्क लेना गलत है। हम इसका विरोध करते हैं। विभाग को यह शुल्क वसूलने का कानूनी अधिकार नहीं है।- दामोदर प्रसाद गोयल, अध्यक्ष, सोसायटी फॉर अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स ऑफ राजस्थान


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