4 हजार से अधिक बच्चों के फाॅर्म निरस्त:51 हजार बच्चों के फाॅर्म ही रिजेक्ट कर दिए, 44 हजार पेंडिंग, स्कूलों में प्रवेश आज से
शिक्षा का अधिकार कानून(आरटीई) के तहत प्रदेश के 51 हजार से अधिक बालक इस साल प्राइवेट स्कूलों में निशुल्क पढ़ाई नहीं कर पाएंगे। शिक्षा विभाग ने उनके फार्म ही रिजेक्ट कर दिए हैं। जानकारी के अभाव में अभिभावकों को डॉक्यूमेंट करेक्शन करने का मौका तक नहीं मिला। प्रवेश प्रक्रिया बुधवार से शुरू हो जाएगी।आरटीई के तहत प्राइवेट स्कूलों में 25 प्रतिशत आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को निशुल्क प्रवेश देने का नियम है। इसके तहत प्रदेश भर में प्री प्राइमरी और पहली कक्षा में प्रवेश के लिए इस बार 5.50 लाख बच्चों के लिए अभिभावकों ने ऑन लाइन आवेदन भरे हैं। स्क्रूटनी के दौरान 51044 फार्म रिजेक्ट कर दिए गए हैं। इसके अलावा 44 हजार 545 फार्म सीबीईओ के यहां पेंडिंग हैं। इनकी जांच समय पर नहीं हो सकी। तिथि भी निकल चुकी है। इन्हें लेकर निदेशालय स्तर पर कोई फैसला नहीं लिया जा सका है।
अलबत्ता इसकी सूचना मांगी जरूर मांगी गई है। अधिकांश फार्म आधार कार्ड या मूल निवास प्रमाण पत्र में वार्ड संख्या नहीं दर्ज होने चलते निरस्त किए गए हैं। हैरत की बात ये है कि शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला के गृह जिले बीकानेर में ही 4471 बच्चों के फार्म निरस्त कर दिए गए हैं। सबसे ज्यादा जयपुर में 26 हजार फार्म निरस्त हुए हैं।
सीबीईओ के पास पेंडिंग 44 हजार फाॅर्म, री-अपलोड करने का विकल्प समाप्त
जयपुर-जोधपुर में सबसे ज्यादा फाॅर्म निरस्त हुए
आरटीई के तहत आवेदन पत्रों की स्क्रूटनी के दौरान प्रदेश के छह जिलों में सबसे ज्यादा जयपुर के 26477, जोधपुर के 9233, कोटा 8046, भीलवाड़ा 4724, उदयपुर 4516, बीकानेर में 4471 बच्चों के फार्म निरस्त हुए हैं।
इसलिए हुए निरस्त : आरटीई के तहत प्रवेश के आवेदन दस्तावेजों की कमी के कारण निरस्त हुए हैं। आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, मूल निवास प्रमाण पत्र आवेदन तिथि से पहले के मांगे थे। जिन्होंने बाद की तिथि के लगाए उनके निरस्त हो गए। इसके अलावा वार्ड संख्या को लेकर काफी समस्या हुई। विभाग ने इसके लिए प्रपत्र संख्या पांच भरने को कहा था। लेकिन अधिकांश लोगों को इसकी जानकारी नहीं थी। दरअसल निदेशालय ने पोर्टल पर 25 पेज की आरटीई की गाइड लाइन प्राइवेट स्कूलों के फीस पुनर्भरण को लेकर जारी कर रखी है। आम आदमी तक यह पहुंच नहीं पा रही। स्कूल जाने पर उन्हें फार्म निरस्त होने का पता चलता है।
निशुल्क प्रवेश का कार्यक्रम
ऑन लाइन लॉटरी से वरियता निर्धारण और रिपोर्टिंग 19 मई से दो जून तक हुआ। आवेदन पत्रों की जांच स्कूल स्तर पर छह जून तक हुई। आवेदन पत्रों में संशोधन 12 जून तक किए गए। दस्तावेजों में संशोधन करने के लिए अभिभावकों को 19 मई से 12 जून तक का टाइम दिया गया था। उसके बाद पोर्टल लॉक हो गया। जिन अभिभावकों को पता चला वे ही संशोधन करा सके।
19 मई से 23 जून तक का समय स्कूलों को फार्म रि-अपलोड करने करने का था। इसी दौरान सीबीईओ को भी इनकी जांच करनी थी। उसके बाद राज्य स्तर पर 26 जून को ऑटो वेरिफाई कर दिए गए। अब 28 से 30 सितंबर तक एडमिशन होंगे।आरटीई के तहत निशुल्क प्रवेश लेने वाले बालकों के फार्म रिजेक्ट करने का अधिकार स्कूलों को नहीं है। सीबीईओ ने सुनवाई के बाद रिजेक्ट किए हैं। उनका कुछ नहीं हो सकता। सीबीईओ से पेंडिंग फार्म मंगवाए गए हैं। कानाराम, शिक्षा निदेशक
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