आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहयोगिनों के हाथ खाली,4 हजार महिला कार्मिकों को आधे मानदेय पर करना पड़ रहा गुजारा
बांसवाड़ा जिले में संचालित दो हजार से अधिक केंद्रों पर कार्यरत आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं पर बीते दो माह से आर्थिक संकट मंडरा रहा है। महज आधे मानेदय से गुजारा करने के कारण इनका घर चलाना मुश्किल हो गया है। बताते चलें कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को आधा वेतन राज्य सरकार और आधा वेतन केंद्र सरकार देती है। जानकार बताते हैं कि अप्रेल और मई माह का आधा वेतन राज्य सरकार ने जारी कर दिया है, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से दिया जाने वाला मानदेय दो माह से अटका है। जानकारी के अनुसार कार्यकर्ताओं को लगभग 9054 रुपए प्रतिमाह मानदेय दिया जाता है। जिसमें 4500 रुपए केंद्र सरकार के द्वारा और 4554 रुपए राज्य सरकार प्रतिमाह देती है। वहीं, सहायिकाओं को तकरीबन 5200 रुपए प्रतिमाह दिया जाता है। सहायिकाओं के भी आधे मानदेय का भुगतान केंद्र और आधे का भुगतान राज्य सरकार करती है।
’सरकार रोक के बैठी है आधा मानेदय ’
भारतीय आंगनवाड़ी कर्मचारी संघ संबंध भारतीय मजदूर संघ के जिला प्रभारी सब्बल सिंह सजवाण बताते हैं कि राज्य सरकार अपना पैसा समय से दे देती है और केंद्र सरकार का पैसा रोक लेती है। केंद्र की ओर से बजट जारी कर दिया गया है। पूरे प्रदेश में कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं का आधा वेतन रुका हुआ है।
फैक्ट फाइल
1987 आंगनवाड़ी केंद्र हैं बांसवाड़ा जिले में
132 मिनी केंद्र संचालित हैं बांसवाड़ा में
04 हजार तकरीबन आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका कार्यरत हैं जिले में
02 माह से रुका है आधा मानदेय
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