साढ़े तीन लाख शिक्षकों की तबादला नीति पर वोट बैंक और विधायकों की राजनीति से ही होगा फैसला, उलझन में सरकार,70% ट्रांसफर विधायक-मंत्रियों की डिजायर से ही होते हैं, नीति बनी तो कम होगी पूछ
तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले को लेकर शिक्षक और सरकार आमने-सामने हैं। सरकार ने अब तक न तो शिक्षा नीति को लेकर स्थिति स्पष्ट की है और न ही तबादलों से बैन हटाया है। प्रदेश में साढ़े तीन लाख शिक्षक पिछले 6 साल से तबादलों का इंतजार कर रहे हैं। शिक्षक संगठन कई बार तबादला नीति बनाने की मांग कर चुके हैं। सरकार भी महज कमेटी का गठन कर शांत हो गई। हकीकत यह है कि अब तक जितनी बार भी तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले हुए हैं, उसमें से 70% मंत्रियों, विधायकों और सत्ताधारी दल के प्रमुख नेताओं की डिजायर पर ही हुए हैं। अगर नीति के तहत तबादला होते हैं तो विधायकों की पूछ कम हो जाएगी।
ऐसे में सरकार उलझी हुई है कि तबादला नीति बनाए या बीच का रास्ता निकालकर कुछ शर्तों के आधार पर तबादले किए जाए विधायक तबादला नीति क्यों नहीं चाहते हैं? इसका सीधा सा जवाब है- तबादला नीति से शिक्षकों के ट्रांसफर होंगे तो विधानसभा क्षेत्र में विधायकों को शिक्षकों से तवज्जो मिलना बंद हो जाएगी, क्योंकि शिक्षकों को इस बात का डर नहीं रहेगा कि विधायक नाराज हो गए तो ट्रांसफर करवा देंगे। वहीं, विधायकों का डिजायर में कोई दखल नहीं रहेगा और नीतिगत ट्रांसफर एक निश्चित समय पर ही होंगे। इस बीच होने वाले चुनाव में शिक्षकों की बड़ी भूमिका रहती है।
तबादला नीति बनी तो सर्वाधिक नाराजगी विधायकों की होगी
रिकॉल: कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा ने भी घेरा था सरकार को शिक्षक तबादलों को लेकर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने पिछले दिनों एक कार्यक्रम में सरकार को घेरा था। डोटासरा ने कहा था कि शिक्षकों के तबादले नहीं हुए तो ये लोग कपड़े फाड़ेंगे, हालांकि उनके इस बयान पर सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई, लेकिन अंदरखाने इस बयान की चर्चा जोरों पर रही। गौरतलब है कि अब तक 2010 में अशोक गहलोत सरकार ने और इसके बाद 2018 में वसुंधरा राजे सरकार ने ही शिक्षकों के तबादले किए है।
विभाग ने साध लिया मौन
मामले को लेकर सरकार और विभागीय अधिकारियों ने मौन साध लिया है। नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने सिर्फ इतना बताया कि सरकार इस मामले में पेसोपेश की स्थिति में है। इसलिए अब तक कोई निर्णय नहीं ले पाई। सरकार के स्तर पर भी यही कहा जा रहा है कि अन्य राज्यों की तबादला नीतियों का अध्ययन कर रहे हैं। इधर, शिक्षक संघ राष्ट्रीय के प्रदेश मीडिया संयोजक आशीष त्रिवेदी ने बताया कि चुनावी वर्ष है और सरकार को तबादले करने चाहिए, नहीं करेंगे तो इसका असर जरूर पड़ेगा।
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