शिक्षा विभाग: राज्य के 85 हजार अध्यापकों को 21 माह से तबादला सूची का इंतजार
धौलपुर. राज्य के सबसे बड़े विभाग शिक्षा विभाग में कार्यरत तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले को लेकर शिक्षक और सरकार आमने-सामने हैं। सरकार ने अब तक न तो शिक्षा नीति को लेकर स्थिति स्पष्ट की है और न ही तबादलों से बैन हटाया है। राज्य में कार्यरत में लाखों तृतीय श्रेणी शिक्षक शिक्षक पिछले लगभग 6 साल से तबादलों का इंतजार कर रहे हैं। अंतिम बार राज्य के 85 हजार तृतीय श्रेणी शिक्षकों ने अगस्त 2021 में तबादले के लिए आवेदन किया था लेकिन, करीब 22 माह बाद भी इनके तबादले अभी तक नहीं हुए हैं।
राज्य के विभिन्न शिक्षक संघ लंबे समय से स्थाई तबादला नीति बनाने व बिना विधायकों की सिफारिश के तबादले करने के मांग राज्य सरकार से लगातार कर रहा हैं। राज्य सरकार भी महज कमेटी का गठन कर शांत हो गई। हकीकत यह है कि अब तक जितनी बार भी तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले हुए हैं उसमें से 70 प्रतिशत मंत्रियों, विधायकों और सत्ताधारी दल के प्रमुख नेताओं की डिजायर पर ही हुए हैं। अगर नीति के तहत तबादला होते हैं तो विधायकों की पूछ कम हो जाएगी। ऐसे में सरकार उलझी हुई है कि तबादला नीति बनाए या बीच का रास्ता निकालकर कुछ शर्तों के आधार पर तबादले किए जाए।
साध लिया मौन
तृतीय श्रेणी शिक्षको के तबादले को लेकर राज्य सरकार और विभागीय अधिकारियों ने मौन साध लिया है। सरकार भी इस मामले में पसोपेश की स्थिति में है। इसलिए अब तक कोई निर्णय नहीं ले पाई। सरकार के स्तर पर भी यही कहा जा रहा है कि अन्य राज्यों की तबादला नीतियों का अध्ययन कर रहे हैं। शिक्षक संघों का कहना है कि राज्य सरकार के कार्यकाल का पांचवा व चुनावी वर्ष है इसलिए राज्य सरकार को तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले करने चाहिए। राज्य सरकार ने अन्य सभी संवर्गों के बंपर तबादले किए हैं।
इनका कहना है
राज्य सरकार को जल्द से जल्द तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले शुरू करने चाहिए। शिक्षकों में तबादले नहीं होने से कड़ा आक्रोश है।-राजेश शर्मा, प्रदेश महामंत्री, राजस्थान शिक्षक एवं पंचायती राज कर्मचारी संघ
शिक्षक संघों का आरोप है कि तबादला नीति से शिक्षकों के ट्रांसफर होंगे तो विधानसभा क्षेत्र में विधायकों को शिक्षकों से तवज्जो मिलना बंद हो जाएगी। क्योंकि शिक्षकों को इस बात का डर नहीं रहेगा कि विधायक नाराज हो गए तो ट्रांसफर करा देंगे। वहीं, विधायकों का डिजायर में कोई दखल नहीं रहेगा और नीतिगत ट्रांसफर एक निश्चित समय पर ही होंगे।
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