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मंगलवार, 20 जून 2023

वाणिज्य विषय का मामला: अध्यापक जता रहे हैं चिंता व्यापार के प्रति बढ़ा रुझान पर वाणिज्य का नहीं ले रहे ज्ञान



 वाणिज्य विषय का मामला: अध्यापक जता रहे हैं चिंता व्यापार के प्रति बढ़ा रुझान पर वाणिज्य का नहीं ले रहे ज्ञान

अलवर. जिले में पिछले कई वर्षों से लगातार वाणिज्य वर्ग के कोर्सेज में कमी देखी गई है। युवाओं की भागीदारी लगातार व्यापार में बढ़ रही है। कई क्षेत्रों में अब देखा गया है कि व्यापार की बागडोर युवाओं के हाथों में आ गई है। इसमें कोई संदेह नहीं कि व्यापार के प्रति युवाओं का रुझान बढ़ा है, लेकिन नई पीढ़ी वाणिज्य का ज्ञान नहीं ले रही है। वहीं जिले की वाणिज्य कॉलेज से चौंकाने वाले आंकडे सामने आए हैं। पिछले लगभग सात वर्षों में (2016 के बाद) वाणिज्य कॉलेज की सीटें 50 फीसदी से 60 फीसदी तक रिक्त रह जाती हैं। एक समय था जब कॉलेजों में कॉमर्स लेने के लिए मारामारी रहती थी। वहीं अब सीटें ही पूरी नहीं भर पा रही हैं। कई विद्यार्थी ऐसे भी हैं, जो बारहवीं के बाद बीकॉम करने के लिए प्राइवेट फॉर्म भरते हैं और साथ में प्रतियोगी परीक्षाओं में जुट जाते हैं। जानकारों का कहना है बीकॉम की सीटों पर दाखिले की तुलना में आर्ट्स विषय की ओर से युवाओं का क्रेज बढ़ा है। इस संकायों के लिए सबसे ज्यादा आवेदन भरे जाते हैं।


ई-कॉमर्स का क्रेज: शहर में ऐसे युवक-युवतियों की बड़ी संख्या है जो घर बैठे ऑनलाइन बिजनेस कर रहे हैं। कपड़ों से लेकर खानपान से जुड़ी सामग्री तक का ई-व्यापार हो रहा है। उपभोक्ताओं में भी ई-कॉमर्स के प्रति क्रेज बढ़ा है। इसके बाद भी कॉमर्स विषय के प्रति नई पीढ़ी का रुझान कम है।


शहर में वाणिज्य संकाय की सरकारी कॉलेज में 1180 सीटें खाली हैं। वाणिज्य महाविद्यालय प्राचार्य स्मिता मिश्रा ने बताया कि केवल एक बार 2016 में कॉमर्स की सीटों पर दाखिला आया। उसके बाद सीटों पर दाखिला गिरता ही जा रहा है। महाविद्यालय में बीकॉम की कुल एक हजार सीटें हैं। 180 सीटें एमकॉम और अन्य विषयों की हैं। इसमें प्रतिवर्ष 60 फीसदी सीटें खाली रह जाती हैं। सीटें न भरना चिंता का विषय है। वहीं, कला कॉलेज में सभी कोर्सेंज में 2500 सीटें हैं जो प्रतिवर्ष भर जाती हैं। आर्ट्स विषय में विद्यार्थियों का रुझान बढ़ा है।

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