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मंगलवार, 20 जून 2023

निजी को सीधे भुगतान, सरकारी स्कूलों को खर्च करना पड़ रहा विकास शुल्क

 निजी को सीधे भुगतान, सरकारी स्कूलों को खर्च करना पड़ रहा विकास शुल्क

जयपुर. आरपीएससी और राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की भर्ती परीक्षाओं के परीक्षा केंद्रों को किए जाने वाले भुगतान में भेदभाव किया जा रहा है। भर्ती संबंधी एजेंसी निजी स्कूलों को परीक्षा तैयारी के लिए भुगतान करती है, लेकिन सरकारी स्कूलों को कुछ नहीं दिया जाता। ऐसे में सरकारी स्कूलें विकास शुल्क के जरिए ही परीक्षा कराने की तैयारी करती है। जबकि भर्ती संबंधी एजेंसियां अभ्यर्थियों से करोड़ों रुपए का शुल्क लेती है।


राजधानी की बात करें तो करीब 85 सरकारी स्कूलों में परीक्षा केन्द्र बनाए जाते हैं। इनमें करीब 25 हजार से अधिक अभ्यर्थी बैठते हैं। ऐसे में एक परीक्षा में शहर के स्कूल करीब ढाई लाख रुपए विकास शुल्क से खर्च कर देते हैं। साल में औसत 20 परीक्षा भी होती है तो करीब 50 लाख रुपए का खर्चा हो जाता है। इससे स्कूलों के विकास पर विपरीत असर पड़ रहा है। सरकारी स्कूलों के संस्था प्रधानों ने इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी के यहां आपत्ति दर्ज कराई है।


ये है गणित

चयन बोर्ड जिला प्रशासन को भुगतान कर देता है। जिला प्रशासन अपने स्तर पर ही स्कूलों को फंड जारी करता है।- हरिप्रसाद शर्मा, चेयरमैन, राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड


परीक्षा के दौरान जो भी खर्चा आता है उसका भुगतान विकास एवं प्रबंधन समिति के खाते में दिया जाना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं होता। स्कूलों का विकास प्रभावित होता है।- राजेन्द्र शर्मा हंस, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक


कार्मिक विभाग का आदेश है कि सरकारी भवनों में परीक्षा आयोजन का भुगतान सरकारी खाते में ही जमा कराया जाए। लेकिन स्कूल ये पैसा नहीं लेते। हम यह भुगतान वापस भर्ती एजेंसी को भेज देते हैं।- अमृता चौधरी, एडीएम


25,500 अभ्यर्थी बैठते एक परीक्षा में

2,55,000 रुपए सरकारी स्कूलों के एक परीक्षा में खर्च हो जाते


बच्चों से लिया जाता है विकास शुल्क


खर्च विकास शुल्क से जमा सरकारी खाते में

निजी स्कूलों को तो सीधे परीक्षा तैयारी का भुगतान कर दिया जाता है। लेकिन सरकारी स्कूलों को यह भुगतान सरकारी खाते में देने का नियम है। जबकि स्कूल विकास शुल्क से खर्चा करते हैं। स्कूलों की ओर से विकास शुल्क में भुगतान की मांग की जाती है।


सरकारी स्कूलों में बच्चों से विकास शुल्क लिया जाता है। स्कूल स्तर पर बनी कमेटी तय करती है कि बच्चों से कितना शुल्क लिया जाए। कक्षा एक से आठवीं तक विकास शुल्क देने के लिए बच्चों को बाध्य नहीं किया जाता। लेकिन कक्षा नौवीं से 12 वीं तक के छात्रों को विकास शुल्क देना अनिवार्य होता है। बच्चों से 50 से 300 रुपए तक भी विकास शुल्क लिया जाता है।


निजी स्कूलों में गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए अधिकतर परीक्षा केंद्र सरकारी स्कूलों में ही दिए जाते हैं। ऐसे में एक परीक्षा केन्द्र पर फर्नीचर मेंटिनेंस से लेकर लाइट, पानी, सफाई सहित अन्य व्यवस्थाओं पर एक हजार से 1500 रुपए तक खर्चा आता है। सरकारी स्कूल यह खर्चा विकास शुुल्क से करते हैं।

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