विद्यार्थियों को मिलेगी विषय चुनने की उलझन से मुक्ति
बीकानेर. आमतौर पर दसवीं कक्षा पास करने के बाद विद्यार्थियों के सामने संकट खड़ा हो जाता है कि आगामी कक्षा में किस विषय का चयन करें, जो उनके भविष्य के लिए उपयोगी साबित हो। कई साल पहले तक नौवीं कक्षा में ही ऐच्छिक विषय का चयन किया जाता था, लेकिन बाद में दसवीं के बाद ग्यारहवीं कक्षा में ऐच्छिक विषय लेने की व्यवस्था कर दी गई। तभी से ही दसवीं के बाद विद्यार्थी कला संकाय, विज्ञान एवं वाणिज्य संकाय के विषयों का चयन करते हैं। इसके लिए विद्यार्थी अथवा अभिभावक या तो मोटिवेशनल गुरु के पास सलाह लेने जाते हैं या फिर घर में कोई उच्च पद पर परिवारीजन कार्यरत है, तो उससे सलाह ली जाती है। लेकिन समस्या उन विद्यार्थियों के सामने आती है, जिनके अभिभावक अनपढ़ या कम पढ़े लिखे होते हैं अथवा फिर सही विषय का चयन नहीं कर पाते। इस परेशानी से छुटकारा दिलाने के लिए शिक्षा विभाग ने हेल्प डेस्क लगाने का फैसला किया है।
तनाव से मुक्ति
विद्यार्थियों को विषय लेने की सही तथा उचित सलाह नहीं मिलती। इस वजह से वे कई बार तनाव में रहते हैं। विषय की समझ नहीं होने के कारण कई बार बच्चों को मनोदशा भी बिगड़ जाती है। हेल्प डेस्क से तनाव से मुक्ति मिलेगी।
यह होगा फायदा
विद्यार्थी के लिए चयनित विषय उनके भविष्य में आगे बढ़ने में काम आएगा। साथ ही बार-बार विषय बदलने की वजह से विद्यार्थी की पढ़ाई बाधित होने से भी बचाएगा। इससे परीक्षा में अंक कम आने की आशंका भी कम रहेगी।
सही मार्गदर्शन मिलेगा
स्कूलों में हेल्प डेस्क लगाने का उद्देश्य यह है कि नए विषय लेने वाले विद्यार्थियों को सही मार्गदर्शन मिल सके। इसके लिए संस्था प्रधान तथा विषय व्याख्याता विद्यार्थियों को विषय लेने के लिए गाइड करेंगे। - कानाराम, शिक्षा निदेशक
क्या काम होगा हेल्प डेस्क का
इस डेस्क पर संस्था प्रधान तथा संबंधित विषयों के व्याख्याता बैठेंगे। ये व्याख्याता विद्यार्थी के विभिन्न विषयों से संबंध में सवाल-जवाब करेंगे और उसकी मनोभावना को समझकर विद्यार्थी अथवा अभिभावक को विषय चुनने की सलाह देंगे।
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