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शुक्रवार, 30 जून 2023

स्कूलों में प्रवेश दिलाने के लिए मां-बाप को रिझाने समेत सामाजिक संदेशों वाले नारों का लिया जा रहा है सहारा, स्लोगनों में दिख रही रूढ़िवादिता को तोड़ने की तड़प

 

स्कूलों में प्रवेश दिलाने के लिए मां-बाप को रिझाने समेत सामाजिक संदेशों वाले नारों का लिया जा रहा है सहारा, स्लोगनों में दिख रही रूढ़िवादिता को तोड़ने की तड़प

बीकानेर. सरकारी स्कूलों में बच्चों का नामांकन बढ़ाने के लिए शिक्षा विभाग ने प्रवेशोत्सव शुरू कर रखा है। विभाग का लक्क्ष्य है कि करीब एक करोड़ बच्चों का प्रवेश पूरे राजस्थान में हो सके। इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में अब स्लोगनों का सहारा लिया जा रहा है। साथ ही रैली भी निकालने एवं घर-घर जाकर बच्चों को लाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रवेशोत्सव 15 जुलाई तक चलेगा।


नारों में रोचकताऔर छिपे संदेश

स्लोगनों में कहीं पर बच्चे अभिभावकों पर स्कूल में नाम लिखाने के लिए मान-मनौव्वल करते दिख रहे हैं, तो किसी स्लोगन में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के संदेश भी दिए जा रहे हैं। मम्मी-पापा हमें पढ़ाओ, स्कूल में चलकर नाम लिखाओ, हम भी स्कूल जाएंगे, पापा का मान बढ़ाएंगे तथा पापा सुन लो विनय हमारी, पढ़ने की है उम्र हमारी तथा हम बच्चों का नारा है शिक्षा अधिकार हमारा है, जैसे संदेश स्लोगनों के माध्यम से दिए जा रहे हैं। स्लोगनों में रोचकता के साथ रूढ़िवाद को तोड़ने की तड़प भी देखी जा रही है। बहुत हुआ चूल्हा-चौका, लड़कियों को दो पढ़ने का मौका जैसे स्लोगनों से बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने की बात की जा रही है। इसके अलावा एक स्लोगन मिड-डे मील को लेकर भी लिखा गया है। इसमें कहा गया है मिड डे मील हम खाएंगे, स्कूल में पढ़ने जाएंगे तथा आधी रोटी खाएंगे, स्कूल जरूर जाएंगे, जैसे स्लोगनों से बच्चों को स्कूल से जोड़ा जा रहा है।


यह योजनाएं भी

स्कूलों में नामांकन की संख्या बढ़ाने के लिए सरकारी ने विद्यार्थियों के लिए पोषाहार की व्यवस्था के अलावा निशुल्क यूनिफॉर्म देने की योजना भी चला रखी है। साथ ही दूध एवं निशुल्क किताबें और भत्ता भी देने की योजना है। साथ ही प्रतिभावान विद्यार्थियों को लैपटॉप एवं स्कूटी के अलावा साइकिल भी दी जाती है। विभाग का मंशा है कि इन योजनाओं के सहारे नामांकन की संख्या में इजाफा हो सके।

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