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शुक्रवार, 30 जून 2023

छह साल के सरकारी स्कूल में नामांकन का हाल : लक्ष्य पूरे करते तो कोरोना के बाद बढ़े बच्चों की संख्या होती नब्बे हजार ज्यादा, तो सरकारी स्कूल में औसतन एक बच्चा ही बढ़ा हर साल

छह साल के सरकारी स्कूल में नामांकन का हाल : लक्ष्य पूरे करते तो कोरोना के बाद बढ़े बच्चों की संख्या होती नब्बे हजार ज्यादा, तो सरकारी स्कूल में औसतन एक बच्चा ही बढ़ा हर साल

नागौर. सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाने की तमाम कोशिश सिरे नहीं चढ़ पा रही है। जिले के तीन हजार से अधिक स्कूलों में छह साल बाद भी करीब अठारह हजार विद्यार्थी का अंतर बढ़ा दिख रहा है यानी तीन हजार प्रति साल। इसका आकलन ऐसे करें तो औसतन एक बच्चा भी हर स्कूल में हर साल नहीं बढ़ा, वो इसलिए कि जिले के सरकारी स्कूलों की संख्या तीन हजार 25 है। कोरोना काल में निजी स्कूलों की फीस वसूली के चलते जरूर एक बारगी बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ था, लेकिन हालात सामान्य होते ही उन्होंने वहां वापसी कर ली।


सूत्रों के अनुसार नागौर जिले के 3025 स्कूलों में वर्ष 2017-18 में विद्यार्थियों की संख्या तीन लाख पचास हजार 305 रही, जबकि वर्ष 2022-23 में यह संख्या तीन लाख 68 हजार 725 थी। यानी छह साल में 18 हजार 420 विद्यार्थियों की बढ़ोत्तरी हुई। हर साल प्रवेशोत्सव में लगने वाले बीस हजार से अधिक शिक्षकों की मेहनत के परिणाम से शिक्षा विभाग के आला अफसर तो क्या मंत्री तक संतुष्ट नहीं है। वर्ष 2022-23 में हर ब्लॉक के सीबीइओ को दस-दस फीसदी की वृद्धि का लक्ष्य भी दिया गया था। लक्ष्य तो पूरा हुआ नहीं बल्कि जो विद्यार्थी पढ़ रहे थे, उनमें से ही काफी संख्या में टीसी कटाकर निजी स्कूल में भर्ती हो गए। नोटिस पर नोटिस दिए गए पर इसका कोई लाभ स्कूलों को तो नहीं मिला।


हर बार बेटों से ज्यादा बेटियां

सूत्रों का कहना है कि सत्र 2023-24 के लिए तो प्रवेशोत्सव अभी शुरू ही हुआ है, लेकिन हर जिले के सरकारी स्कूलों में बेटों की तुलना में बेटियां ज्यादा हैं। वर्ष 2022-23 में जहां छात्रों की संख्या एक लाख 71 हजार 597 जबकि बेटियां एक लाख 97 हजार 125 रहीं, यानी करीब 26 हजार अधिक। इसे जागरूकता कहें या बालिकाओं का नसीब कि सरकारी स्कूलों में छात्राओं का प्रवेश हमेशा ही अधिक रहता है। कहते भी हैं कि ग्रामीण इलाकों में आज भी बेटियों को पढ़ाने सहित अन्य क्षेत्रों में आगे लाने की सोच विकसित नहीं हो पाई। आलम यह है कि जिले में वर्ष 2017-18 में 17 हजार, सत्र 2018-19 में 22 हजार, वर्ष 19-20 में 27 हजार, वर्ष 20-21 में 21 हजार तो वर्ष 21-22 में 18 हजार से अधिक बेटियां सरकारी स्कूलों की विद्यार्थी रहीं।


अबकी बार भी मुश्किल अपार

इस सत्र के लिए प्रवेशोत्सव शुरू हो गया है। शिक्षक हाउस होल्ड सर्वे कर रहे हैं, लेकिन तीन दिन की रिपोर्ट कोई उत्साहजनक नहीं है। मजे की बात यह कि इस बार सीबीइओ अथवा किसी भी जिम्मेदारों को कोई टारगेट भी नहीं दिया है। सीधा-सीधा हाउसहोल्ड सर्वे में चिह्नित बच्चों का नामांकन पहली प्राथमिकता रखी गई है। सर्वे भी पहले एप के जरिए होना था, इसके लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित भी किया गया था, हालांकि हाउस होल्ड सर्वे ऑफ लाइन ही प्रारंभ हुआ। अब बुधवार को नए आदेश के तहत शिक्षा से वंचित बच्चों को एप के माध्यम से दर्ज किए जाने को कहा है। हालांकि यह अभी किसी ब्लॉक के एक उच्च माध्यमिक विद्यालय पर एप तो शेष पर ऑफलाइन सर्वे की छूट दी गई है। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी, इन शिक्षकों के अन्य कार्य में लगे रहने, पढ़ाई ना होने के साथ स्टेटस गिरने से जैसे कई कारण/मानसिकता अभी भी बरकरार है, ऐसे में नामांकन में कोई ज्यादा इजाफा होना नजर नहीं आता।


नए नामांकन हुए ना पुराने रुके, 90 हजार का घाटा

सूत्र बताते हैं कि कोरोना काल में वर्ष 2021-22 में जिले के सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या चार लाख दो हजार 833 हो गई थी। वर्ष 2020-21 में यह संख्या तीन लाख 67 हजार 981 थी, यानी 35 हजार से अधिक विद्यार्थियों की वृद्धि दर्ज की गई। वर्ष 2022-23 में दस-दस फीसदी बढ़ाने का लक्ष्य दिया गया। बारहवीं उत्तीर्ण के विद्यार्थियों के निकलने के बाद सबकुछ ठीक रहता तो यह संख्या चार लाख दो हजार 833 से बढ़कर चार लाख साठ हजार का आंकड़ा पार करती। जिन्हें स्कूल छोड़ना था वो तो चले ही गए और नामांकन का लक्ष्य भी धरा का धरा रह गया तो विद्यार्थियों की संख्या रह गई तीन लाख 68 हजार 725 यानी करीब नब्बे हजार नामांकन का टोटा पड़ गया।



इनका कहना

प्रवेशोत्सव चल रहा है, अभी रिपोर्ट तो पूरा होने के बाद ही आएगी। इस बार किसी तरह का टारगेट नहीं दिया है, सिर्फ शिक्षा से वंचित बच्चों का नामांकन करना है। हाउसहोल्ड सर्वे के तहत प्रथम चरण एक जुलाई तक पूरा होगा। कोरोना काल में तो काफी संख्या में विद्यार्थियों की वृद्धि हुई थी।-बस्तीराम सांगवा, एडीपीसी समग्र शिक्षा, नागौर

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