ओपीएस लागू करने में कर्मचारियों को भरोसे में ले सरकार
कर्मचारियों का यह तर्क वाजिब लगता है कि रिटायरमेंट से पहले उनका अंशदान ब्याज सहित वसूल लिया जाए पेंशन का मुद्दा आर्थिक ही नहीं बल्कि सामाजिक सुरक्षा से भी जुड़ा है। इसीलिए राजस्थान सरकार ने जब अपने कार्मिकों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू करने का ऐलान किया तो कर्मचारी वर्ग ने इसका भरपूर स्वागत किया था। अपने कार्मिकों को इस सामाजिक सुरक्षा का भरोसा देकर पुरानी पेंशन योजना की बहाली की घोषणा करने में राजस्थान सरकार ही सबसे आगे रही थी। पर जब इसे लागू करने का वक्त आ रहा है तो वसूली के पैटर्न को लेकर उलझनें सामने आने लगी हैं, खास तौर से बोर्ड-निगम व विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों के सामने विकल्प देते समय ही एनपीएस का अंशदान ब्याज सहित वापस मांगने के मसले पर। इसी के चलते सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या इनमें ओपीएस को धरातल पर लाने में वित्त का प्रबंध बड़ी समस्या बनने वाला है? इसकी वजह यह है कि सरकार चाहती है कि पुरानी पेंशन का लाभ लेने से पहले ही कर्मचारी 15 जुलाई से पहले सरकार के अंशदान का 12 प्रतिशत ब्याज सहित जमा करवा दे। नई पेंशन योजना की पक्षधर रही भाजपा को भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने का मौका मिल गया है।
दरअसल, लोकलुभावन घोषणा को अमल में लाने के लिए राजस्थान सरकार तय ही नहीं कर पा रही है कि वह अपनी ओर से जमा करवाया गया अशंदान किस तरह से वापस ले? कर्मचारियों का तर्क वाजिब लगता है कि उनके रिटायरमेंट से पहले उनका अंशदान ब्याज सहित वसूल कर लिया जाए पर 15 जुलाई से पहले ही जमा करवाने की शर्त आखिर क्यों थोपी जा रही है? यह इसलिए भी कि जब कर्मचारियों का पैसा सरकार के पास जमा है और वह सेवानिवृति पर उन्हें ही मिलेगा। उससे पहले कर्मचारी क्या कर्ज लेकर अशंदान ब्याज सहित जमा कराएगा? ओपीएस लागू करने वाले हिमाचल प्रदेश व छत्तीसगढ़ में कार्मिकों से सेवानिवृति से पहले अशंदान जमा करने का शपथ पत्र लिया जा रहा है। ऐसा ही फार्मूला भला राजस्थान में लागू क्यों नहीं किया जा सकता? दूसरा पहलू यह है कि इस मामले में जब बोर्ड, निगम, निकायों व विश्वविद्यालयों की यह जिम्मेदारी है तो कार्मिकों को बाध्य क्यों किया जा रहा है? यह बात और है कि केन्द्र सरकार राज्यों को एनपीएस के तहत जमा राशि वापस न करने का दो टूक जवाब दे चुकी है। कर्मचारियों की सबसे बड़ी चिंता गुजर-बसर की ही है। सरकार को ओपीएस के मसले पर कर्मचारी संगठनों को भरोसे में लेकर समाधान खोजना चाहिए।
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