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रविवार, 18 जून 2023

उप प्रधानाचार्य की पदौन्नति में अंतरिम रूप से सम्मिलित करने का आदेश



 उप प्रधानाचार्य की पदौन्नति में अंतरिम रूप से सम्मिलित करने का आदेश

जोधपुर । राजस्थान उच्च न्यायालय के अवकाशकालीन न्यायाधीश मदन गोपाल व्यास ने डूंगरपुर जिले के माध्यमिक शिक्षा विभाग में विभिन्न स्कूलों मे स्कूल व्याख्याता के पद पर कार्यरत प्रवीण जैन, दिनेश चन्द्र मनात एवं गजेन्द्र सिंह चौहान की संयुक्त रिट याचिका को अंतरिम रूप से ग्राहय करते हुए उन्हें स्कूल व्याख्याता से उप प्रधानाचार्य (वाइस प्रिंसीपल) के पद पर हो पदोन्नति में अंतरिम रूप से सम्मिलित करने का आदेश किया है।


डूंगरपुर जिले में माध्यमिक शिक्षा विभाग के तहत संचालित विभिन्न विधालय मे प्रवीण जैन स्कूल व्याख्याता (इतिहास), दिनेश चन्द्र मनात स्कूल व्याख्याता (जीव विज्ञान) व गजेन्द्र सिंह चौहान, स्कूल व्याख्याता (इतिहास) के पद पर कार्यरत है। माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा स्कूल व्याख्याता के पद से उप प्राचार्य के पद के लिए पदोन्नति के लिए पात्रता सूची दिनांक 21.11.2022 को जारी की। इस पात्रता सूची में तीनों याचिकाकर्ताओं का नाम क्रमश: 984, 5586 व 5801 पर दर्ज था। इस वरिष्ठता सूची के साथ विभाग द्वारा प्रत्येक कर्मचारी से संतान सम्बधी घोषणा पत्र भी सभी स्कूल व्याख्याताओं से मांगा गया।


विभाग द्वारा घोषणा पत्र में यह मांगा गया कि किसी कर्मचारी के दिनांक 01.06.2002 के बाद तीसरी संतान नहीं है। इस घोषणा पत्र को इस प्रारूप में भरकर विभाग के समक्ष प्रस्तुत करना है इसका प्रारूप भी जारी किया गया। तीनों प्रार्थियों द्वारा विभाग द्वारा जारी प्रारूप को भरकर विभाग के समक्ष दिनांक 23.11.2022 को घोषणा पत्र प्रस्तुत कर दिया गया। इस घोषणा पत्र मे तीनों प्रार्थियों ने स्पष्ट अंकित किया कि तीनों के केवल दो–दो संतान ही है। कोई तीसरी संतान तीनों याचिकाकताओं के है ही नहीं।


निदेशक माध्यमिक शिक्षा राजस्थान बीकानेर द्वारा दिनांक 21.02.2023 को पदोन्नति के लिए अपात्र स्कूल व्याख्याताओं की सूची जारी की गई। इस सूची में इन तीनों के नाम के आगे विभाग द्वारा स्पष्ट रूप से अंकित किया गया कि इन तीनों के दिनांक 1 जून 2002 के बाद तीन संतान होने के कारण इन्हें पदोन्नति से वचिंत किया जा रहा है। दिनांक 21.02.2023 के आदेश से उन्हें विभाग द्वारा जब पदोन्नति से वचित किया गया तब इन तीनों ने दिनांक 22.02.2023 को विभाग के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत किया व साथ ही पुनः संतान सम्बधी घोषणा पत्र नोटेरी करवाकर प्रस्तुत किया व विभाग को निवेदन किया कि हमारे दो ही संतान है तीन संतान है ही नहीं।


विभाग द्वारा इनके अभ्यावेदन पर कोई विचार न कर जब पदोन्नति बाद पदस्थापन की कार्यवाही अमल मे लाई जाने लगी तब विभाग के इस कृत्य से व्यथित होकर इन्होंने अपने अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा के माध्यम से रिट याचिका उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की। उच्च न्यायालय में इनके अधिवक्ता का तर्क था कि प्रथमतया इन तीनों याचिकाकर्ताओं के तीन संतान है ही नहीं, ये बात याचिकाकर्ताओं ने वरिष्ठता सूची जारी होने के बाद व पदोन्नति से पूर्व ही विभाग को प्रस्तुत की थी। साथ ही उनको पदोन्नति के लिए अपात्र मानने के तुरन्त बाद इन तीनों ने पुनः संतान सम्बधी घोषणा पत्र पुनः प्रस्तुत किया व उसमे बच्चों के जन्म की तारीख का भी स्पष्ट उल्लेख किया। मगर विभाग द्वारा जान–बूझकर मनमाने तरीके से उन्हे पदोन्नति से वंचित किया जा रहा है।


राजस्थान उच्च न्यायालय के अवकाश कालीन न्यायाधीश मदनगोपाल व्यास ने तीनों याचिकाकर्ता के अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए उनकी रिट याचिका को अंतरिम रूप से ग्राहय करते हुए तीनों याचिकाकर्ताओं का माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा उप प्राचार्य के पद पर वर्ष 2022-2023 के विरूद्ध की जा रही पदोन्नति में सम्मिलित करने व पदस्थापन के लिए काउंसलिंग में भी सम्मिलित करने का आदेश शिक्षा विभाग को प्रदान किया व साथ ही पदोन्नति को याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत रिट याचिका के निर्णयाधीन रखने का आदेश प्रदान किया।


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