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गुरुवार, 15 जून 2023

ई-कॉमर्स के जमाने में कॉमर्स से मोहभंग : व्यापार के प्रति बढ़ा रुझान, वाणिज्य का नहीं ले रहे ज्ञान, पिछले कुछ सालों से कॉलेजों में खाली रह रही कॉमर्स की सीटें



ई-कॉमर्स के जमाने में कॉमर्स से मोहभंग : व्यापार के प्रति बढ़ा रुझान, वाणिज्य का नहीं ले रहे ज्ञान, पिछले कुछ सालों से कॉलेजों में खाली रह रही कॉमर्स की सीटें

बीकानेर. व्यापार में युवाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। कई जगह बिजनेस की बागडोर अब युवाओं के हाथों में आ गई हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि व्यापार के प्रति युवाओं का रुझान बढ़ा है, लेकिन नई पीढ़ी वाणिज्य का ज्ञान नहीं ले रही है।सुनने में यह अजीब लग रहा होगा, लेकिन कॉलेजों में कॉमर्स फैकल्टी के आंकड़े वाणिज्य की यही दास्तां बयां कर रहे हैं। एक समय था जब कॉलेजों में कॉमर्स लेने के लिए मारामारी रहती थी। वहीं अब सीटें ही पूरी नहीं भर पा रही हैं। कई विद्यार्थी ऐसे भी हैं, जो बारहवीं के बाद बीकॉम करने के लिए प्राइवेट फॉर्म भरते हैं और साथ में प्रतियोगी परीक्षाओं में जुट जाते हैं। महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय (एमजीएसयू) से प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन सालों में बीकॉम प्रथम वर्ष के परीक्षा फॉर्म में भी कमी देखने को मिली है।जानकारी के मुताबिक, दूसरी तरफ बीए-बीएससी की तरफ रुझान बढ़ गया है। इन दोनों संकायों में सीटों से बहुत ज्यादा आवेदन भरे जा रहे हैं।


डूंगर और महारानी कॉलेज में सीटें खाली

शहर के दोनों बड़े सरकारी कॉलेजों के वाणिज्य संकाय में सीटें खाली रह जाती हैं। जहां संभाग के सबसे बड़े राजकीय डूंगर महाविद्यालय में पिछले कुछ वर्षों से हर साल 250 तक सीटें खाली रह जा रही हैं। वहीं महारानी कॉलेज में सीटों जितने प्रवेश हो जाते हैं, लेकिन सीटें बढ़ने के बाद 30 से 40 सीटें खाली रह जाती हैं। यह स्थिति हैरान करती है।


आईना दिखाते आंकड़े: राजकीय डूंगर महाविद्यालय


वर्ष -----कुल ------सीट प्रवेश

2021---- 800 -------510

2022---- 800 ------469


गवर्नमेंट एम.एस. कॉलेज


2021 -----160+40 ----165

2022 -----160+40 ----161

( सीट बढ़ाकर 200 की गई थी)


महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर


वर्ष------ --प्राप्त परीक्षा फॉर्म

2021 -------4292

2022 -------3642

2023 -------3333

(संभाग से बीकॉम प्रथम वर्ष में प्राप्त परीक्षा फॉर्म)


ई-कॉमर्स का क्रेज

शहर में ऐसे युवक-युवतियों की बड़ी संख्या है जो घर बैठे ऑनलाइन बिजनेस कर रहे हैं। कपड़ों से लेकर खानपान से जुड़ी सामग्री तक का ई-व्यापार हो रहा है। उपभोक्ताओं में भी ई-कॉमर्स के प्रति क्रेज बढ़ा है। इसके बावजूद कॉमर्स सब्जेक्ट के प्रति नई पीढ़ी के कम होते रुझान को लेकर जानकार हैरान है।


टॉपिक एक्सपर्ट: सरकारी नौकरी में कम स्कोप बड़ी वजह

चार्टेड अकाउंटेंट, एमबीए और कंपनी सेक्रेटरी जैसे प्रतिष्ठित कोर्सेज की जननी कॉमर्स विषय में लगातार घटते एडमिशन चिंता का विषय है। सत्र 2022-23 में 12 वीं राजस्थान बोर्ड में 10,31,072 विद्यार्थियों ने पंजीयन करवाया। जिनमें से महज 29,030 विद्यार्थी ने कॉमर्स विषय का चुनाव किया। यानि कुल 3 प्रतिशत विद्यार्थियों ने ही कॉमर्स ली। देश में वर्ष 2012 में एआईसीटीई एप्रूव्ड एमबीए कॉलेजों की संख्या 3541 थी जो घट कर वर्ष 2022 में 3105 रह गई। अधिकतर युवा ग्रेजुएशन के बाद सरकारी नौकरी को प्राथमिकता देते हैं। आर्ट्स लेकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में जुट जाते हैं। कॉमर्स में कॉलेजों द्वारा सघन प्लेसमेंट ड्राइव मुहैया ना करवा पाना भी एडमिशन में कमी का एक बड़ा कारण है।- डॉ. नवीन शर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग कॉलेज बीकानेर

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