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शनिवार, 10 जून 2023

आंकड़ों की गवाही : अधिक शिक्षित लोगों में तीन गुना ज्यादा बेरोजगारी, कम पढ़े-लिखों के पास काम, ग्रेजुएट सबसे ज्यादा बेरोजगार



आंकड़ों की गवाही : अधिक शिक्षित लोगों में तीन गुना ज्यादा बेरोजगारी,  कम पढ़े-लिखों के पास काम, ग्रेजुएट सबसे ज्यादा बेरोजगार

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) . आम धारणा है कि ‘जितना पढ़ोगे, उतना कमाओगे’ लेकिन देश के श्रम और रोजगार के आंकड़े तो इसके विपरीत चाल चल रहे हैं। इन आंकड़ों के हिसाब से देश में सबसे कम बेरोजगारी निरक्षरों में है। इसके बाद जैसे-जैसे शिक्षा का स्तर बढ़ता जाता है, बेरोजगारी का प्रतिशत भी बढ़ता जाता है।


आंकड़ों के अनुसार पीजी यानि पोस्ट ग्रेजुएट्स में बेरोजगारी काफी है लेकिन ग्रेजुएट से कम ही है। अर्थशास्त्रियों के हिसाब से उपलब्ध कौशल और उपलब्ध रोजगार के बीच असंतुलन प्रमुख कारण है। वहीं, दूसरी ओर समाजशास्त्री कहते हैं कि समाज में काम को सिर्फ काम की नजर से नहीं देखा जाता। इसे बड़ा काम, छोटा काम, बड़ी नौकरी, छोटी नौकरी जैसे मानकों में तौला जाता है, यह भी प्रमुख कारण है।


वहीं इस मामले में श्रम और रोजगार मंत्रालय के मुताबिक कुछ अध्ययनों ने पता चला है कि उपलब्ध नौकरियों के लिए आवश्यक कौशल और रोजगार ढूंढने वालों के कौशल के बीच एक असंतुलन की स्थिति है। इसके कारण उच्च गुणवत्ता वाली नौकरियों की तलाश में उच्च शिक्षित लोगों के बीच उच्च बेरोजगारी है।


देश में बेरोजगारी दर (प्रतिशत में)

शिक्षा का स्तर--- 2019-20 ---20-21 ----21-22

निरक्षर ------------ 0.6 --------0.4 -------0.4

प्राइमरी -----------1.4 --------1.4 --------1.0

मिडिल ------------3.4 -------2.5 ---------2.6

सेकेंडरी ----------4.1 ------3.8 ---------3.4

हायर सेकेंडरी --7.9 ------6.6 ----------6.3

डिप्लोमा, सर्टिफिकेट -14.2-- 14.2---- 13.0

ग्रेजुएट ----------17.2---- 15.5------ 14.9

पीजी या अधिक ---12.9 --12.5--- 11.4


तीन साल में बेरोजगारी घटने का दावा

राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय की श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) की एक रिपोर्ट में तीन वर्ष के आंकड़ों का हवाला देकर बेरोजगारी दर कम होने का दावा किया गया है। हालांकि, इसमें भी वहीं ट्रेंड दिख रहा है कि जैसे-जैसे पढ़ाई का स्तर बढ़ रहा है, पढ़े-लिखे लोगों के बीच बेरोजगारी भी बढ़ रही है। गौरतलब है कि यह सर्वेक्षण 2017-18 से हर वर्ष करवाया जाता है। इसमें रोजगार और बेरोजगारी के आंकड़े एकत्रित किए जाते हैं।


काम को छोटा-बड़ा मानने वाली सोच

जैसे-जैसे शिक्षा स्तर बढ़ रहा है बेरोजगारी दर बढ़ रही है। इसके पीछे दो कारण हैं। पहला पूर्व की हमारी शिक्षा नीति जो सिर्फ नौकरी को फोकस करती थी और दूसरा हमारे समाज में बड़ा काम और छोटा काम की मानसिकता है। हमारे यहां छात्र पढ़ाई के साथ कोई दूसरा काम नहीं कर सकते। विदेशों में पढ़ाई के साथ पार्ट टाइम जॉब, वीकेंड जॉब तक का चलन है। पढ़ाई केवल नौकरी का ही माध्यम नही,ं यह कई मार्ग खोलती है। वहीं रोजगार का अर्थ केवल नौकरी ही नहीं है इसमें भी कई आयाम हैं। जिन्हें समझना होगा। -डा. आलोक चक्रवाल, कुलपति, सेंट्रल यूनिवर्सिटी, बिलासपुर

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