OPS in CAPF: क्या अर्धसैनिक बलों के 11 लाख जवानों को मिलेगी पुरानी पेंशन, 20 हफ्ते बाद क्या मोड़ लेगा ये मामला
केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में 'पुरानी पेंशन' लागू करने को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने जो फैसला सुनाया था, उसमें अब नया मोड़ आ सकता है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 11 जनवरी को दिए अपने फैसले में कहा था कि 'सीएपीएफ' में आठ सप्ताह के भीतर पुरानी पेंशन लागू कर दी जाए। मार्च के दूसरे सप्ताह में जब अदालत की यह अवधि खत्म हुई, तो ऐसी संभावना नजर आने लगी कि अब हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार, सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है। उस वक्त केंद्र सरकार, सुप्रीम कोर्ट में तो नहीं गई, मगर अदालत से 12 सप्ताह का समय मांग लिया। खास बात ये रही कि केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट के समक्ष जो दलील दी है, उसमें 12 सप्ताह में 'ओपीएस' लागू करने की बात नहीं कही थी। इस मुद्दे पर महज सोच-विचार के लिए केंद्र ने समय मांगा था। इस अवधि में केंद्र सरकार, दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी जा सकती है या कानून के दायरे में कोई दूसरा रास्ता भी अख्तियार कर सकती है। केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में दी अपनी याचिका में ये सब अधिकार अपने पास सुरक्षित रखे थे। अब 12 सप्ताह की अवधि भी निकल गई है। केंद्र की ओर से सीएपीएफ में न तो पुरानी पेंशन लागू करने की कोई घोषणा की गई और न ही सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की गई।
11 जनवरी को आया था एतिहासिक फैसला
दिल्ली हाई कोर्ट ने 11 जनवरी को दिए अपने एक एतिहासिक फैसले में 'सीएपीएफ' को 'भारत संघ के सशस्त्र बल' माना है। इन बलों में लागू 'एनपीएस' को स्ट्राइक डाउन करने की बात कही गई। अदालत ने अपने फैसले में कहा था, चाहे कोई आज इन बलों में भर्ती हुआ हो, पहले कभी भर्ती हुआ हो या आने वाले समय में भर्ती होगा, सभी जवान और अधिकारी, पुरानी पेंशन स्कीम के दायरे में आएंगे। इसके बाद लग रहा था कि केंद्रीय गृह मंत्रालय इस फैसले को लागू करने बाबत कोई निर्णय लेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। संसद सत्र के दौरान भी वित्त मंत्रालय से यह सवाल पूछा गया था कि यह फैसला कब लागू होगा। उसके जवाब में कहा गया कि यह मामला केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आता है। विपक्षी दलों के कई सांसदों ने भी इस मुद्दे पर आवाज उठाई। मार्च में जब आठ सप्ताह की अवधि खत्म हुई, तो सरकार ने दोबारा से 12 सप्ताह का समय मांग लिया। यह माना जा रहा था कि इस अवधि में केंद्र सरकार, कोई न कोई सकारात्मक कदम उठाएगी। सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है, अभी ऐसी कोई सकारात्मक घोषणा होने की उम्मीद बहुत कम है। संभव है कि सरकार, हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च अदालत में अपील करे। अभी तक सरकार की तरफ अपील फाइल नहीं की गई है, लेकिन दूसरी तरफ ओपीएस की घोषणा भी नहीं हो सकी है।
लाखों पैरामिलिट्री परिवारों में बैचेनी व रोष व्याप्त
केंद्र सरकार को होली तक दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले का पालन करना था, मगर ऐसा नहीं हुआ। अब 12 सप्ताह भी निकल गए हैं। कॉन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस मार्टियरस वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन एवं पूर्व एडीजी 'सीआरपीएफ' एचआर सिंह कह चुके हैं, अगर केंद्र सरकार इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में जाती है, तो 'पैरामिलिट्री परिवार', पीएम आवास का घेराव करेंगे। एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि पुरानी पेंशन बहाली के लिए दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा सुनाए गए एतिहासिक फैसले पर केंद्र सरकार ने संशय की स्थिति बना रखी है। आखिर इन जवानों को पेंशन से वंचित क्यों रखा जा रहा है। देश में आतंकवाद, माओवादी घटनाएं, कानून व्यवस्था, प्राकृतिक आपदा, वीआईपी सुरक्षा और निष्पक्ष चुनाव, ऐसे सभी कार्यों में सीएपीएफ ने अपना लोहा मनवाया है। इसके बावजूद केंद्रीय गृह मंत्रालय, उच्च न्यायालय के फैसले पर मौन है। इस वजह से लाखों पैरामिलिट्री परिवारों में बैचेनी व रोष व्याप्त है। एसोसिएशन के महासचिव रणबीर सिंह कहते हैं कि सरकार ने सीएपीएफ को ओपीएस नहीं दिया तो 14 फरवरी को जंतर मंतर पर अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू किया जाएगा। सरकार को इस बाबत ज्ञापन दिया जा चुका है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें