RPSC नहीं मानता सरकारी आदेश !:एग्रीकल्चर लेक्चरर भर्ती के नियमों में संशोधन को नहीं मान रहा, सैकड़ों बेरोजगारों की नियुक्ति अटकी
सरकारी स्कूल्स में एग्रीकल्चर पढ़ाने वाले लेक्चरर की भर्ती राज्य सरकार और आरपीएससी के बीच फुटबॉल बन गई है। खास बात ये है कि इस भर्ती के लिए नियमों में परिवर्तन के शिक्षा विभाग और राज्य सरकार के आदेशों को भी आरपीएससी मानने के लिए तैयार नहीं है। नतीजा ये है कि पिछले साल भी स्कूल्स को एग्रीकल्चर टीचर नहीं मिले और ऐसा ही रवैया रहा तो इस बार भी ये टीचर्स उपलब्ध नहीं होंगे। वहीं चुनावी साल में एग्रीकल्चर से जुड़े सैकड़ों केंडिडेट्स का विरोध भी सरकार को सहना पड़ेगा।
दरअसल, आरपीएससी से स्कूल लेक्चरर भर्ती के लिए शिक्षा विभाग और आरपीएससी के बीच विवाद हो गया है। शिक्षा विभाग का कहना है कि किसी भी विषय में एग्रीकल्चर ग्रेजुएट को इस भर्ती में शामिल कर सकते हैं जबकि आरपीएससी सिर्फ तीन विषयों एग्रोनॉमी , हॉर्टिकल्चर तथा एनीमल हसबेंडरी के केंडिडेट्स को ही योग्य मानने की जिद पर अड़ा। राज्य सरकार ने एक कमेटी बनाकर नियमों में संशोधन कर दिया। भर्ती के नए नियमों में सभी विषयों को शामिल कर दिया, इसके बाद भी आरपीएससी इसे मानने के लिए तैयार नहीं है। खास बात ये है कि पूर्व में हुई भर्ती में सभी विषयों को शामिल करते हुए खुद आरपीएससी आदेश कर रहा है। सिर्फ 2022 की नियुक्ति इसी एक आधार पर रोक दी गई।
ये है मामला
एक ही पद पर नियुक्ति के लिए दो तरह के नियमों के चलते सैकड़ों कृषि स्नातकोत्तर बेरोजगार अपात्र हो रहे हैं । शिक्षा विभाग की डिमांड के आधार पर राजस्थान लोक सेवा आयोग ने साल 2018 में विज्ञापन जारी करते हुए 370 एग्रीकल्चर स्कूल लेक्चरर के लिए आवेदन मांगे थे । इसकी योग्यता एग्रीकल्चर के किसी भी विषय में एमएससी होना था। बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने आवेदन किए और इसी आधार पर नियुक्ति हो गई । अभी तक भी कई पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है । इसी बीच वर्ष 2022 में 280 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी हुआ तो शिक्षा विभाग ने सिर्फ तीन विषयों में एमएससी करने वालों को ही अवसर दिया। राजस्थान लोक सेवा आयोग ने वर्ष 1970 में बने नियमों के कॉपी पेस्ट हुए 2021 के नियम का हवाला देते हुए तीन विषयों को ही पात्र माना है । जबकि 2018 की नियुक्ति में सभी विषयों को पात्र मानकर नियुक्ति अभी भी दी जा रही है।
एक पद पर दो नियम?
एक ही पद पर नियुक्ति के लिए दोहरे नियम है। दरअसल वर्ष 2018 की नियुक्ति के समय भी आरपीएससी ने शिक्षा विभाग से योगयता के बारे में पूछा तो विभाग ने योग्यता निर्धारण के लिए विषय समकक्षता निर्धारण कमेटी बना दी । जिसमें एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधि तथा अन्य विषय विशेषज्ञ शामिल थे । इस कमेटी की सिफारिश के आधार पर कृषि स्नातकोत्तर के सभी विषयों को मान्यता दी गई । इस आधार पर आरपीएससी ने नियुक्ति दे दी । अब नई नियुक्ति में आरपीएससी अड़ंगा लगा रहा है कि सरकार ने वर्ष 2021 में नियम बना दिया कि सिर्फ तीन विषयों एग्रोनॉमी , हॉर्टिकल्चर तथा एनीमल हसबेंडरी में पोस्ट ग्रेजुएट ही शिक्षा विभाग में एग्रीकल्चर लेक्चरर बन सकेंगे। ऐसे में 2022 की भर्ती विज्ञप्ति जारी करते हुए इसी नियम का पालन किया गया।
पहली गलती शिक्षा विभाग की
दरअसल, शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने वर्ष 1970 के नियमों को ही कॉपी पेस्ट कर दिया। नियमावली में जो योग्यता डाली गई थी वह 52 साल पुरानी व्यवस्था रख दी गई । शिक्षा विभाग ने 2022 की भर्ती के लिए भी गठित विषय समकक्षता समिति की रिपोर्ट के आधार पर गलती सुधारी और बाद में आरपीएससी को लिख दिया कि 2018 की भर्ती की तर्ज पर 2022 की भर्ती में भी कृषि स्नातकोत्तर के सभी विषयों में पोस्ट ग्रेजुएटस को इस भर्ती में भी पात्र माना जावे । इस पत्र को आरपीएससी ने महत्व नहीं दिया। आरपीएससी का कहना है कि 2021 के नियम मे संशोधन के बाद पात्र माना जावेगा।
एक साल से परेशान बेरोजगार!
पिछले एक साल से अधिक समय हो जाने के बावजूद बेरोजगार इधर से उधर चक्कर काट रहे हैं। इस दरमियान आरपीएससी ने इस संदर्भ में शिक्षा विभाग से दिशा निर्देश मांगे। तब शिक्षा विभाग ने एक और पत्र जारी कर आयोग को निर्देशित किया कि नियम संशोधन एक समय साध्य कार्य है, जो प्रक्रियाधीन एवं अंतिम चरण में है । ऐसे में तीन विषयों के अलावा विषयों में कृषि स्नातकोत्तर अभ्यर्थियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए पूर्व की भर्ती 2018 की भांति सभी विषयों को समतुल्य मानते हुए पात्र मानकर शामिल किया जावे।
नियुक्ति का इंतजार
कृषि पीजी बेरोजगार डेलिगेशन प्रमुख पवन कुमार बिश्नोई एवं डॉ.दिनेश गोदारा का कहना है कि जब शिक्षा विभाग और सरकार बार बार आरपीएससी को सभी को शामिल करते हुए नियुक्ति के निर्देश दे रही है तो भी आरपीएससी नियुक्ति नहीं कर रहा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें