सोसायटी के तहत चल रहे 300 कॉलेज फीस पूरी, सुविधाएं आधी-अधूरी
सीकर. राज्य सरकार ने पिछले चार साल में प्रदेशभर की ज्यादातर तहसीलों में करीब 300 कॉलेज खोल दिए हैं। इसके बाद भी युवाओं के सपनों को पंख नहीं लग पा रहे है। इन कॉलेजों में संसाधन, सुविधाएं, भवन, कक्षाकक्ष, स्टाफ का अभाव है। सरकार इन कॉलेजों को सोसायटी के तहत संचालित कर रही है। आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा की ओर से इन माविद्यालयों में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं से पूरी फीस ली जा रही है, जबकि सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं दिया जा रहा है। कॉलेज में एक-एक कक्षा कक्ष में दो गुना से अधिक स्टूडेंट्स बैठने को मजबूर हो रहे हैं। पिछले तीन साल पहले खोले गए कॉलेजों को अभी तक नए भवन नहीं मिल पाए हैं।
यहां तक कि कई कॉलेजों को जमीन आवंटित करने के बाद भवन निर्माण के लिए बजट तक जारी नहीं किया जा रहा है। ज्यादातर कॉलेज पुराने खंडहर स्कूलों के भवनों में चल रहे हैं। ऐसे में स्टूडेंट्स और अभिभावक दोनों परेशान हो रहे हैं। ऐसे में कॉलेज में प्रवेश लेने वाले स्टूडेंट्स को स्कूल जितनी सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही है।
सोसायटी के अधीन खोले इन कॉलेजों के लिए राज्य सरकार पर्याप्त बज भी जारी नहीं कर रही है। आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार ने प्रदेश में इस सत्र 2023-24 में भी बहुत से नए कॉलेज खोले हैं, सीकर जिले के अजीतगढ़ कस्बे में भी कई महाविद्यालय खोले गए हैं लेकिन इन्हें भी स्कूल भवन में ही संचालित किया जा रहा है। उक्त कॉलेजों को संचालित करने और इनमें एडमिशन प्रक्रिया पूरी करने के लिए सरकार ने इन्हें नोडल कॉलेज के अधीन कर रखा है। नोडल कॉलेज का का प्रिंसिपल व स्टाफ ही इस कॉलेज की सारी व्यवस्थाएं देख रहा है। ऐसे में नोडल कॉलेजों में भी स्टाफ का संकट बढ़ गया है।
लाइब्रेरी, स्टाफ कक्ष, लैब, खेल मैदान नहीं
प्रदेशभर में अब सरकारी व सोसायटी के तहत खोले गए संपूर्ण कॉलेजों की संख्या 500 से अधिक हो गई है। सोसायटी के तहत खोले गए इन कॉलेजों में गिने चुने कक्षाकक्ष हैं। प्रिंसिपल कक्ष लाइब्रेरी, स्टाफ कक्ष, खेल सामग्री, खेल मैदान, लैब्स सहित अन्य सुविधाओं के नाम पर कुछ भी सुविधाएं उपलब्ध नहीं करवाई गई है। कॉलेजों को खाले हुए ज्यादा समय नहीं हुआ है ऐसे में इनका स्वयं का फंड भी एकत्रित नही हुआ है। गिने-चुने कमरों में ये कॉलेज संचालित किए जा रहे हैं।
इनका कहना है...
राज्य सरकार सिर्फ वाहवाही लूटने के लिए हर तहसील स्तर पर सोसायटी के तहत नए कॉलेज खोल रही है, लेकिन इनके लिए भवन, संसाधन, स्टाफ व बजट की व्यवस्था नहीं कर रही है। सरकार को चाहिए कि शैक्षणिक व अशैक्षणिक पदों पर जल्द भर्ती कर इन कॉलेजों में नियमित स्टाफ लगाया जाए, तभी बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा मिल सकेगी।-दीपक शर्मा, प्रदेशाध्यक्ष, अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ
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