धर्मेंद्र प्रधान बोले: उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित होंगे 300 संस्थान; शिक्षकों की क्षमता बढ़ाने पर जोर
देश भर में तीन सौ संस्थानों को शिक्षकों की क्षमता निर्माण के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने रविवार को इसका एलान किया। वे अखिल भारतीय शिक्षा समागम में समापन समारोह में बोल रहे थे। भाषण के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य के लिए तैयार रहने के लिए भारतीय भाषाओं में कौशल के बारे में सोचना होगा।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों की क्षमता निर्माण हमारी प्राथमिकता है और इस शैक्षणिक वर्ष से 300 संस्थान, जिनमें स्कूली शिक्षा के 100, उच्च शिक्षा के 100 और कौशल संस्थानों के 100 संस्थान शामिल हैं, को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। उन्होंने केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान (सीआईसीटी) की दस प्रमुख परियोजनाओं की पुस्तकों का विमोचन भी किया।
अपने भाषण के दौरान प्रधान ने कहा कि राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ) दिशानिर्देशों को पाठ्यपुस्तकों में परिवर्तित करना हम सभी की जिम्मेदारी है। सभी शैक्षणिक और कौशल संस्थानों को इस पर रुचि के साथ काम करना होगा। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने युवाओं की क्षमता निर्माण और प्रभावी कॉलेज प्रशासन को सक्षम करने की दिशा में निरंतर प्रयास सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम एसएचआरआई) योजना के लिए चुने गए स्कूल नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के कार्यान्वयन के लिए प्राथमिक प्रयोगशाला हैं। इसके साथ ही उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुखों से स्कूल पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए ठोस प्रयास करने को भी कहा।
इससे पहले, नई शिक्षा नीति के तीन साल पूरे होने के उपलक्ष्य में शनिवार को पीएम मोदी की मौजूदगी में 'अखिल भारतीय शिक्षा समागम' का उद्घाटन किया गया था। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को दिल्ली के भारत मंडपम में अखिल भारतीय शिक्षा समागम नामक एक शैक्षिक सम्मेलन का उद्घाटन किया, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की तीसरी वर्षगांठ के अवसर पर हुआ। यह शिक्षा मंत्रालय और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था।
'अखिल भारतीय शिक्षा समागम' का उद्घाटन के साथ ही प्रधानमंत्री ने 6,207 स्कूलों के लिए पीएम श्री योजना के तहत 630 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी की। साथ ही उन्होंने 12 भारतीय भाषाओं में अनुवादित शिक्षा और कौशल पाठ्यक्रम की पुस्तकों का भी विमोचन किया था।
इस मौके पर उच्च, स्कूल और कौशल विकास में विभिन्न क्षेत्रों में करीब 106 समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। इसमें एनसीवीईटी के चेयरपर्सन डॉ. निर्मलजीत सिंह कलसी ने एनसीआरएफ और अप्पार, परख, इंडस्ट्री कनेक्ट, रोजगार, लॉजिस्टिक सेक्टर (पीएम गति शक्ति) और आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी कामकोटि ने डिजिटल सशक्तीकरण, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शासन तक पहुंच, समानता और समावेशन और वैश्वीकरण पर अपनी बात रखी। कार्यक्रम में करीब 3000 शिक्षाविदों और विशेषज्ञों ने भाग लिया।
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