34892 आंगनबाड़ी केन्द्रों के भवन नहीं, अंधेरे में चल रहे 47422 सेंटर
जयपुर। राज्य में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों में से 34892 के पास अपने स्वयं के भवन नहीं है। साथ ही आधुनिकता के दौर में 47 हजार केन्द्रों में तो बिजली के कनेक्शन तक नहीं है। पानी और शौचालय की सुविधाओं से भी कई केन्द्र अभी वंचित है। फिलहाल प्रदेश में संचालित 61873 आंगनबाड़ी केन्द्रों में से 26981 केन्द्र विभागीय भवनों तथा शेष 34892 आंगनबाड़ी केन्द्र अन्य भवनों में संचालित है। राज्य सरकार का तर्क है कि वर्ष 2017 से 2022 तक भारत सरकार से एक रुपए भी नहीं मिला है। जिन केन्द्रों के भवन नहीं है, उनमें पहले किराए के भवन, फिर नि:शुल्क भवन और अंत में सरकारी स्कूलों के भवनों की जगह आंगनबाड़ी केन्द्रों के लिए स्वयं के भवन निर्मित किए जाएंगे।
भवन निर्माण के लिए तय वरीयता
आंगनबाड़ी केन्द्रों के भवन निर्माण का कार्य पंचायतीराज, स्थानीय निकाय, राजस्व विभाग से नि:शुल्क भूमि आवंटन हो जाने पर विभाग की ओर से वित्तीय संसाधन की उपलब्धता के आधार पर प्राथमिकता से क्रमश: किराए के भवनों, नि:शुल्क भवनों, सामुदायिक केन्द्रों एवं अंत में राजकीय विद्यालयों की एवज में निर्धारित नॉर्म्स के अनुसार करवाया जाता है। विभाग की ओर से आंगनबाड़ी केन्द्रों का निर्माण भारत सरकार से अनुदान राशि प्राप्त होने के पश्चात नरेगा, 15वें वित्त आयोग आदि योजनाओं के कन्वर्जेंस से करवाया जाता है।
आंगनबाड़ी केन्द्रों के लिए भवन नहीं है, ज्यादातर किराए के भवनों में चल रहे है। ऐसे में केन्द्रों पर आने वाले बच्चों का कैसे विकास हो सकेगा।-मंजू देवी, विधायक (जायल)
पिछले पांच साल में भारत सरकार से एक रुपए भी नहीं आया है। जमीन उपलब्ध होने के बाद केन्द्रों के लिए भवनों का निर्माण हो सकेगा।-टीकाराम जूली, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री
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