राजस्थान में पेपर लीक पर होगी उम्रकैद की सजा, गहलोत सरकार विधानसभा सत्र में लाएगी बिल
राजस्थान में गहलोत सरकार पेपर लीक करने वालों पर सख्त हो गई है। सरकार पेपर लीक के खिलाफ बनाए गए कानून में भी अधिकतम सजा का प्रावधान उम्रकैद करने के लिए आगामी विधानसभा सत्र में बिल लाने का फैसला किया है। राज्य में प्रतियोगी परीक्षाओं में और पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से मुख्य सचिव को निर्देशित किया है कि RPSC, DOP, RSSB एवं अन्य हितधारकों के साथ चर्चा कर बेहतर प्रक्रिया तैयार करें। सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। बता दें गहलोत सरकरा का आखिरी विधानसभा सत्र 14 जुलाई से शुरू हो रहा है।
सरकार ने सत्र की तैयारियां शुरू की
राज्य सरकार ने विधानसभा सत्र की तैयारियां शुरू कर दी हैं। अशोक गहलोत सरकार का यह आखिरी बजट सत्र 14 जुलाई से शुरू होने की संभावना है। सत्र शुरू होने की कभी भी अधिसूचना जारी हो सकती है। सूत्रों के अनुसार सभी विभागों को विधानसभा सत्र की तैयारियों के निर्देश दे दिए हैं। यह भी बताया जा रहा है कि जो सत्र बुलाया जाएगा। पिछले सत्र का विस्तारित रूप होगा। बजट सत्र का अवसान नहीं हुआ है। अभी तक सत्र अवसान की फाइल राज्यपाल को नहीं भेजी गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार सत्र का अवसान नहीं करवाएगी। इसी सत्र को आगे चलाएगी। यह विस्तारित सत्र आठ से दस दिन चल सकता है। पन्द्रहवीं विधानसभा का आठवां सत्र 23 जनवरी से 21 मार्च तक चला था।
ज्यादा प्रश्न पूछने का मौका नहीं मिलेगा
विपक्ष के निशाने पर गहलोत
बता दें, राजस्थान में पेपर लीक बड़ा सियासी मुद्दा रहा है। प्रदेश में सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद भी पेपर लीक की घटनाओं पर रोक नहीं लग पाई। पेपर लीक की वजह से विपक्ष के निशाने पर गहलोत सरकार रही है।ॉयदि सरकार बजट सत्र का विस्तारित रूप में ही इस सत्र को बुलाती है तो विधायकों को ज्यादा प्रश्न पूछने का मौका नहीं मिलेगा। नए सत्र की शुरुआत होने पर ज्यादा प्रश्न पूछने का मौका मिलता है। पुराने सत्र को आगे बढ़ाने पर विधायक पहले ही प्रश्न पूछ लेने की स्थिति में सत्र के दूसरे चरण में ज्यादा प्रश्न नहीं पूछ पाते। एक विधायक नए सत्र में सौ सवाल पूछ सकते हैं।
पायलट का युवाओं से जुड़ी मांगों पर जोर था, उन्हें पूरा करने के लिए बीच का रास्ता निकाला
सचिन पायलट ने पेपरलीक से प्रभावित युवाओं को मुआवजा देने , आरपीएससी को भंग करके पुनर्गठन करने और बीजेपी राज के करप्शन की जांच के लिए हाईपावर कमेटी बनाने की मांग की थी। सीएम ने प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता लाने के लिए RPSC, कर्मचारी चयन बोर्ड की कामकाज की शैली और प्रोसेस को सुधारने की शुरुआत करने की घोषणा की है। आज की सीएम की घोषणा को पायलट की मांग को मानने के लिए बीच का रास्ता निकालने से जोडुकर देखा जा रहा है।
सीएम ने पहले बुद्धि का दिवालियापन बताया था, अब रुख बदला
सचिन पायलट की तीन मांगों को मानने से पहले सीएम अशोक गहलोत ने साफ इनकार कर दिया था। पेपरलीक से प्रभावित बेरोजगारों को मुआवजा देने की मांग को गहलोत ने बुद्धि का दिवालियापन बताया था। आरपीएससी को भंग करने की मांग पर गहलोत ने कहा था कि पायलट हमारे परिवार के मेंबर हैं, उन्होंने बात उठाई है तो हमने परीक्षण करवाया तो सामने आया कि कानून में इस तरह का प्रावधान ही नहीं है। वसुंधरा राजे सरकार के करप्शन की जांच की मांग पर गहलोत ने कहा था कि कोई मामला हो तो जांच करवाने को तैयार हैं।
वसुंधरा राजे के खिलाफ एक ही मामला है और वह ईडी से जुड़ा है, उसमें राज्य सरकार का अधिकार क्षेत्र नहीं है, खान आवंटन से जुड़े मामलों का निस्तारण हो चुका है। सीएम के रुख में अब बदलाव आया है और आज के ट्वीट से यह तय संकेत माना जारहा है कि पायलट की मांगों को मानने की शुरुआत हो गई है।
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