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बुधवार, 23 अगस्त 2023

112 अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में 25 से पहला टेस्ट; 66 हजार किताबों में से अब तक 29 हजार ही वितरित

 

112 अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में 25 से पहला टेस्ट; 66 हजार किताबों में से अब तक 29 हजार ही वितरित

चूरू | राज्य सरकार अंग्रेजी माध्यम स्कूल तो खोल रही है लेकिन इन स्कूलों में सभी विद्यार्थियों को अभी तक पुस्तकें भी नहीं मिली हैं। स्टाफ भी पूरा नहीं है। इधर, 25 अगस्त से जिले के अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में कक्षा छह से 12वीं तक का पहला टेस्ट शुरू हो रहा है। किताबें नहीं मिलने और स्टाफ के अभाव में स्कूलों में पढ़ाई ही नहीं हो पा रही। इस कारण टेस्ट को लेकर विद्यार्थी और उनके अभिभावक परेशान हैं। जिले में अब तक 114 महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम राजकीय स्कूल खोले गए हैं। 


शिक्षा विभाग के रिकॉर्ड में 112 स्कूलों में 14209 विद्यार्थियों का नामांकन हो चुका है। नया सत्र शुरू होने के करीब डेढ़ महीना बीत जाने के बाद भी विद्यार्थी किताबों का इंतजार कर रहे हैं। नामांकन के हिसाब से करीब 66 हजार किताबें बांटी जानी थी, लेकिन पाठ्य पुस्तक मंडल से अभी तक करीब 29658 किताबों का ही वितरण हो पाया है। करीब 10 हजार किताब की और डिमांड की गई है। दूसरी तरफ स्टाफ की स्थिति भी ज्यादा ठीक नहीं है। शिक्षा विभाग के हिसाब से 114 स्कूलों में से 106 स्कूलों में 1083 का स्टाफ स्वीकृत किया गया है। इसमें भी 69 पद अभी खाली हैं। आठ स्कूलों में अभी तक पद ही स्वीकृत नहीं हुए हैं।


हिंदी मीडियम स्कूलों व मदरसों में 95 फीसदी किताबों का वितरण

राज्य पाठ्य पुस्तक मंडल चूरू के मैनेजर समीर खान ने बताया कि अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में अभी तक कक्षा एक से 12 तक के लिए 29678 पुस्तकों का वितरण किया जा चुका है। इनमें एक से आठ तक के लिए 26038 किताबें व कक्षा नौ से 12वीं तक के लिए 3620 किताबों का वितरण किया है। दस हजार किताबों की डिमांड की हुई है। कक्षा दो में कोर्स चेंज होने के कारण पुरानी किताबें काम में नहीं आ पाई। 


नई किताबें कुछ देरी से मिली, लेकिन उनका वितरण कर दिया है। इधर, हिन्दी माध्यम सरकारी स्कूलों व मदरसों में 95 प्रतिशत किताबों का वितरण हो चुका है। राज्य पाठ्य पुस्तक मंडल चूरू के मैनेजर समीर खान ने बताया कि सरकारी स्कूलों व मदरसों के लिए समय पर डिमांड भेजने और किताबें आने के चलते 95 प्रतिशत में उनका वितरण किया जा चुका। इसके चलते सरकारी स्कूलों व मदरसों के बच्चों को इतनी परेशानी नहीं होगी।




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