शिक्षा विभाग के एक लाख कर्मचारियों से जुड़ा मामला, वेतन विसंगति सुधारने 15 साल में 1000 ज्ञापन, 200 धरने दिए, वो संशोधन 10 साल पूर्व हो गया
जोधपुर | प्रदेश में तृतीय श्रेणी अध्यापक, प्रबोधक, शारीरिक शिक्षक व पुस्तकालयाध्यक्ष के पद पर 2006 से 2009 के मध्य एक लाख कर्मचारियों की भर्ती हुई थी। छठे वेतनमान की वेतन विसंगति को लेकर 15 साल तक छह से अधिक संगठनों ने राज्य सरकार को 1 हजार से अधिक ज्ञापन दिए। 200 से अधिक बार धरने दिए। कभी सीएम, कभी शिक्षामंत्री तो कभी स्थानीय एमएलए के सामने वेतन बढ़ाने के लिए घंटों खड़े रहे। कोर्ट भी गए, जहां इनके पक्ष में निर्णय हुए, सरकार से निस्तारण करने के निर्देश मिले। एक शिक्षक संगठन ने एक सप्ताह पहले वित्त विभाग के अधिकारियों के साथ वार्ता की तो वित्त विभाग ने शिक्षकों को छठे वेतनमान में किसी भी विसंगति से इनकार कर दिया। साथ ही आदेश की कॉपी थमाते हुए कहा कि छठे वेतनमान में विसंगति नहीं, बल्कि संशोधन था। वर्ष 2013 में ये संशोधन करते हुए तृतीय श्रेणी व प्रबोधकों का ग्रेड-पे 2800 से 3600 करते हुए वेतनमान 11170 से 12900 कर दिया है।
7 दिन पूर्व पता चला
राजस्थान शिक्षक एवं पंचायतीराज कर्मचारी संघ के शंभूसिंह मेड़तिया ने कहा कि छठे वेतनमान की विसंगति को लेकर संगठन की 7 दिन पहले सचिव वित्त विभाग, शासन सचिव बजट वित्त विभाग के साथ बैठक की। हमें लिखित में बताया कि वेतन विसंगति नहीं रही, बल्कि 2013 में छठे वेतनमान में ग्रेड-पे व बेसिक में आवश्यक संशोधन कर दिया। अब हम मुख्यमंत्री से छठे वेतनमान में संशोधन की कार्रवाई को वर्ष 2013 के बजाय 2006
जानिए.....क्या थी मांग, और कब-कैसे किया संघर्ष
-2006 में छठा वेतनमान लागू हुआ। 2006 से 2009 तक 1 लाख तृतीय श्रेणी की नियुक्ति ।
-वर्ष 2006 भर्ती वालों का 2008 और 2009 वालों का 2011 में परीवीक्षाकाल पूर्ण हुआ।
-मार्च 2008 में 60 हजार थर्ड ग्रेड व प्रबोधक नियुक्त। इंक्रीमेंट व भत्ता जुलाई 2011 से लागू ।
-2013 में छठे वेतनमान में संशोधन करते बेसिक 11,170 से 12,900 कॉमन कर दिया।
-2006 से 2009 तक जितने भी कर्मचारी भर्ती हुए वे स्वयं को ठगा से महसूस करने लगे।
-ज्ञापन, धरने-प्रदर्शन हुए। हाईकोर्ट में भी गए, शिक्षा विभाग मामले में वित्त विभाग के साथ कोई निर्णय नहीं कर पाया ना बैठकें की।
-छठे वेतनमान में तृतीय श्रेणी शिक्षकों को वेतनमान 11,170 तो दूसरे को 12,9001 इसे लेकर एक ही वेतनमान समय में नियुक्त शिक्षकों में भी दो धड़े हो गए। जबकि असल में छठे वेतनमान संशोधन में शिक्षकों की वेतन विसंगति नहीं बल्कि ग्रेड पे और बेसिक की थी।
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