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शुक्रवार, 18 अगस्त 2023

150 से अधिक शिक्षकों की सामाजिक सुरक्षा पर संकट:सेवाकाल का विवाद, नहीं कर रहे शामिल अनुदानित शिक्षण संस्थाओं का कार्यकाल

 

150 से अधिक शिक्षकों की सामाजिक सुरक्षा पर संकट:सेवाकाल का विवाद, नहीं कर रहे शामिल अनुदानित शिक्षण संस्थाओं का कार्यकाल


2011 में सरकारी सेवा में समायोजित हुए अनुदानित शिक्षण संस्थाओं के झुंझुनूं शिक्षकों के सेवाकाल का विवाद झुंझुनूं के 150 से अधिक शिक्षकों पर भरी पड़ रहा है। सेवाकाल में अनुदानित शिक्षण संस्थाओं का कार्यकाल शामिल नहीं करने पर ये शिक्षक पुरानी पेंशन योजना की पात्रता पूरी नहीं कर पा रहे हैं। जिसके चलते उन्हें इस योजना के लाभ से वंचित कर दिया गया है।आर्थिक व सामाजिक न्याय की मांग को लेकर शिक्षक पेंशन की जंग को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाकर अपने पक्ष में फैसला भी पा चुके हैं। पर सरकार की पुनर्विचार याचिका पेश करने पर मामला अब भी अधर में ही अटका है।


ये है मामला

राज्य सरकार ने 2011 में अनुदानित शिक्षण संस्थाओं के 11 हजार से ज्यादा कर्मचारियों का सरकारी सेवा में समायोजन किया था। इसके लिए राजस्थान सुरक्षा ग्रामीण अधिनियम 2010 बनाया गया था। जिसमें यह प्रावधान किया गया कि समायोजित कर्मचारियों के अनुदानित शिक्षण संस्थाओं के कार्यकाल की गणना नहीं की जाएगी। इधर, पुरानी पेंशन योजना फिर से लागू कर सरकार ने इसका लाभ कम से कम दस वर्ष की सेवा अवधि पूरा करने वाले कर्मचारियों को ही देना तय किया है।


ऐसे में जो समायोजित शिक्षक 2021 से पहले ही सेवानिवृत हो गए उन्हें 10 साल का सेवाकाल पूरा नहीं होने पर पुरानी पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल रहा।इसके अलावा अनुदानित स्कूलों में 10 साल सेवा कर 2011 से पहले सेवानिवृत हुए अनुदानित शिक्षकों को भी इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा। लिहाजा ऐसे हजारों शिक्षकों की सामाजिक सुरक्षा संकट में है।


वरिष्ठता व ग्रेच्युटी की भी समस्या

राजस्थान ग्रामीण स्वेच्छया अधिनियम के चलते सभी 11 हजार शिक्षक वरिष्ठता के लाभ से भी वंचित हैं। अधिनियम में समायोजित शिक्षकों को भविष्य में किसी भी पदोन्नति का लाभ नहीं देने का प्रावधान भी रखा गया था। जिसके चलते इन शिक्षकों की पदोन्नति नहीं हो रही और अन्य जूनियर शिक्षक भी पदोन्नति पाकर इनसे सीनियर हो गए हैं। वहीं, सैंकड़ो समायोजित शिक्षक अनुदानित स्कूलों से ग्रेच्युटी का लाभ अब तक नहीं मिलने से भी परेशान है।


हाइकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में जीते,सरकार ने लगाई पुनर्विचार याचिका

सेवाकाल में अनुदानित स्कूलों का कार्यकाल भी शामिल कर पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने की मांग को लेकर समायोजित शिक्षकों ने पहले हाइकोर्ट में लड़ाई लड़ी। इस पर जोधपुर पीठ ने 1 फरवरी 2018 को शिक्षकों की प्रथम नियुक्ति तिथि से राजस्थान सिविल पेंशन नियम 1996 के तहत पुरानी पेंशन देने के निर्देश सरकार को दिए। इसके विरुद्ध सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की तो उसे निरस्त करते हुए कोर्ट ने 13 सितंबर 2018 को हाइकोर्ट के निर्णय से सहमति जताते हुए सरकार को पुरानी पेंशन देने का निर्देश दिया। पर राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ फिर पुनर्विचार याचिका जोधपुर हाइकोर्ट में दायर कर दी। जिसके बाद से शिक्षकों की पेंशन का मामला अधर में अटका हुआ है।


पीएमफ की राशि देने को तैयार


पुरानी पेंशन योजना के लिए हाइकोर्ट के फैसले के अनुसार समायोजित शिक्षक पीएफ की राशि छह फीसदी ब्याज सहित देने को भी तैयार है। करोड़ों रुपए के चैक इस संबंध में दिए भी जा चुके हैं। जो अवधिपार होने के बाद फिर से देने को भी तैयार हैं। समायोजित शिक्षकों की यही मांग है कि सेवाकाल में अनुदानित शिक्षण संस्थान का कार्यकाल भी शामिल कर उन्हें पुरानी पेंशन योजना व वरिष्ठता दोनों का लाभ दिया जाए।


राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार से मांग है कि समायोजित शिक्षकों के सेवाकाल में अनुदानित स्कूलों का सेवाकाल शामिल कर 2011 से पहले व बाद में सेवानिवृत होने वाले सभी शिक्षकों को ओपीएस व वरिष्ठता का लाभ प्रदान करे। ताकि हम राज्य सरकार की पुर्नविचार याचिका के विरुद्ध हमारी एसएलपी वापस ले सके।

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