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सोमवार, 21 अगस्त 2023

155 अंग्रेजी स्कूलों में 22011 नामांकन, डेढ़ माह बाद भी नहीं पहुंची आधी किताबें



 155 अंग्रेजी स्कूलों में 22011 नामांकन, डेढ़ माह बाद भी नहीं पहुंची आधी किताबें

नागौर |  सरकार ने भले ही शहरों और गांवों में 155 महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल खोल दिए हो, मगर सत्र शुरू होने के डेढ़ माह बाद अध्ययनरत विद्यार्थी किताबों के इंतजार में बैठे हैं। यह हाल नागौर की 155 अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में सामने आए हैं। शाला दर्पण पर इन स्कूलों के कक्षा एक से 12वीं तक में 22011 का नामांकन दर्शाया गया है। इन विद्यार्थियों में से आधों के पास भी किताबें नहीं पहुंची है। जिले में कक्षा एक से आठवीं तक की स्कूलों में 18642 का नामांकन बताया है। 


इस हिसाब से 95196 किताबों की जरूरत हैं, मगर अब तक वितरण केवल 39,544 किताबों का ही हो पाया है। यानी 55,652 किताबें नहीं पहुंची है। यह हालात तब हैं, जब शिविरा पंचांग के अनुसार 23 से 25 अगस्त तक कक्षा से 6 से 12वीं तक के बच्चों के फ़र्स्ट टेस्ट शुरू होने हैं। ऐसे में रिजल्ट भी प्रभावित होने के आसार हैं। सर्वाधिक किताबों की कमी कक्षा 6 से 12वीं तक की चल रही है। प्रदेश में सत्र शुरू होने के बाद 26 जुलाई को 164 स्कूल प्रदेश में और बना दिए गए। अगस्त में नागौर में 13 नए अंग्रेजी माध्यम स्कूल खुले हैं। विभाग ने इनकी डिमांड भेजी, लेकिन अभी तक किताबें नहीं मिली है।


पुरानी किताबें वापस लेने का नियम भी फेल, क्योंकि

पाठ्य पुस्तक मंडल का ही नियम है कि पास होने के बाद जो बच्चे टीसी लेकर अगली कक्षा में प्रवेश करते हैं, उनसे पुरानी किताबें वापस लेनी हैं। यानी कक्षा 3 से 12वीं तक 50 फीसदी पुरानी किताबें देनी होती है। वहीं कक्षा 1 व 2 में पूर्णतः नई किताबें देते हैं। मगर इसके उलट हो यह रहा है कि हर साल कुछ न कुछ बदलाव के साथ पूरा पाठ्यक्रम नया छापा जाता है। बड़ी संख्या में बच्चे भी किताबें नहीं लौटाते। अगर वे लौटाएं तो भी सिलेबस चेंज होने के कारण किसी काम की नहीं रह जाती। ऐसे में नई किताबें छापनी ही पड़ती हैं। लेकिन यहां तो बच्चों के पास किताबें ही नहीं आई, ऐसे में पास कैसे होंगे। इसको लेकर बच्चे भी परेशान नजर आ रहे हैं


स्कूलों में यह हालात ... यहां 4 से 6 कक्षाओं में किताबें नहीं, सवाल- बच्चे कैसे देंगे टेस्ट

केस-1: महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल ताऊसर के कक्षा 6 में 25, सात में 16, आठ में 8 तो कक्षा नौ में 9 का ही नामांकन है। मगर यहां बच्चों के पास एक भी नई किताब नहीं पहुंची है।

केस-2 : महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल बख्तसागर, यहां 9 से 12वीं तक जितना नामांकन है उससे आधे विद्यार्थियों के पास किताबें नहीं है। यहां 6 से 8वीं तक कक्षाओं में भी यही हालात है। ऐसे ही हालात ज्यादातर स्कूलों में बने हुए हैं। जिससे परेशानी है।


इन कारणों से स्कूलों में नहीं पहुंची किताबें

- अंग्रेजी स्कूल की तरफ से समय पर शाला दर्पण पर डिमांड नहीं की गई। 

-शिक्षा विभाग की तरफ से समय पर डिमांड आगे नहीं भेजी गई। 

-सत्र शुरू होने के बाद भी अंग्रेजी - स्कूल खोलने का सिलसिला अब भी जारी है।

- स्कूलों में प्रवेश जारी, जैसे-जैसे - नामांकन बढ़ रहा, डिमांड भी बढ़ रही 


पहले डिमांड के अनुसार किताबें भिजवाई थी। अब नई डिमांड आई तो उसके अनुसार कक्षा 1 से 5वीं तक सभी नोडल केंद्रों पर किताबें भिजवा दी है। जिन हिंदी माध्यम की स्कूलों को अंग्रेजी बनाया है उनका नामांकन ही पोर्टल पर दर्शाया है, जो पूरी तरह सही नहीं है। जैसे-जैसे नामांकन बढ़ रहा है वैसे डिमांड भी बढ़ रही है। मोहनराम चौधरी, नोडल प्रभारी जिला | 

जिले में कक्षा 9-12 के लिए 2 हजार किताबों की डिमांड अनुसार वितरण शेष है, जो वितरण केंद्र नागौर पर उपलब्ध नहीं है। कक्षा 1 से 8वीं तक 39544 किताबों की डिमांड अनुसार वितरण 19 अगस्त तक कर चुके। हाल में जो 28 नए खुले स्कूल खुले हैं उनके डिमांड अनुसार जल्द किताबें नोडल पर पहुंचेंगी। हम तो डिमांड अनुसार ही किताबें भिजवा रहे हैं। - नेमीचंद डिडेल, वितरण केंद्र

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