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बुधवार, 30 अगस्त 2023

15 स्कूलों के सभी शिक्षकों को प्रशासन ने चुनाव के काम में लगाया, जूनियर बच्चों को सीनियर पढ़ा रहे



 15 स्कूलों के सभी शिक्षकों को प्रशासन ने चुनाव के काम में लगाया, जूनियर बच्चों को सीनियर पढ़ा रहे

विधानसभा चुनाव को लेकर जिला प्रशासन तैयारियों में जुटा है। विभागों के कर्मचारियों की इसमें ड्यूटियां लगाई जा रही है। इसमें एक बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। प्रशासन ने जिस स्कूल में केवल एक ही शिक्षक है, उसे भी बीएलओ बना दिया। इसके चलते स्कूल में शिक्षण कार्य पूरी तरह से बाधित हो गया है। हालात तो ऐसे है कि शिक्षक के नहीं होने पर सीनियर विद्यार्थी जूनियर कक्षाएं संभाल रहे हैं। ऐसे में उनकी खुद की पढ़ाई प्रभावित हो रही हैं। इतना ही नहीं कई स्कूलों में तो वहां पर कार्यरत सभी शिक्षकों को बीएलओ बना दिया गया है। बीएलओ को आधा दिन स्कूल में शैक्षणिक कार्य करना है और आधा दिन चुनाव संबंधी। कालांश पूरा होने से पहले छुट्टी कर नहीं सकते हैं, अगर ऐसा करते हैं तो विभागीय कार्रवाई भी तय है। अधिकारियों द्वारा कार्यवाही का डर ताता रहता है।



सवाल: चुनाव आयोग के आदेश 10 विभागों के कर्मचारियों को बीएलओ बनाने का, लेकिन डूंगरपुर में सिर्फ शिक्षक ही क्यों?

सभी प्रकार के चुनावों से पहले शिक्षकों को ही बीएलओ बनाए जाने को लेकर राजस्थान निर्वाचन विभाग से सूचना के अधिकार के तहत एक कर्मचारी ने वर्ष 2021 में सूचना चाही थी, तब उसे संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी एवं राज्य लोक सूचना अधिकारी नीतू राजेश्वर ने पत्र से बताया था कि आंगनबाड़ी कर्मचारी, पटवारी-अमीन, लेखपाल, पंचायत सचिव, ग्रामीण स्तर कर्मचारी, विद्युत बिल रीडर, पोस्टमैन, आक्जीलरी नर्स एंड मिड-वाइव्स, स्वास्थ्य कर्मचारी, मिड-डे मील वर्कर, अनुबंधित शिक्षक, कर संग्रहक सहकारिता, शहरी क्षेत्र के यूडीसी | व एलडीसी को बीएलओ बना सकते हैं


गैर शैक्षणिक कार्यों में नहीं लगा सकते: शिक्षक संघ

राजस्थान शिक्षक संघ सियाराम लोकतांत्रिक के जिला अध्यक्ष हरिओम पंचाल का कहना है कि निशुल्क एवं बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 27 के अंतर्गत शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में नहीं लगाया जा सकते हैं। लेकिन डूंगरपुर जिले में बीएलओ के कार्य में अनुमानित 98 प्रतिशत शिक्षक ही कार्य कर रहे हैं। जबकि बीएलओ का कार्य चुनाव संबंधी है ही नहीं, क्योंकि ये पर्यन्त चलने वाला कार्य है। इसीलिए इसे चुनावी कार्य नहीं मान सकते।


बीएलओ बनने वालों में 98% शिक्षक

जिले में राजकीय स्कूलों की कुल संख्या 2500 से अधिक है। शिक्षक संघों के आंकड़ों के अनुसार डूंगरपुर जिले में 100 प्रतिशत शिक्षकों को बीएलओ बनाने वाले स्कूल करीब 500 से अधिक है। जबकि जिले में कुल बीएलओ में से 98 प्रतिशत शिक्षक ही है। स्कूल की शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित होती है, परिणाम कमजोर रहता है तो नोटिस शिक्षक को मिलता है, बीएलओ कार्य करने का हवाला दें तो अधिकारी सुनते नहीं हैं


जिन स्कूलों में सभी शिक्षकों को बीएलओ बनाया गया है। मैं इसके लिए लिस्ट की रिव्यू करवाता हूं अगर ऐसा है तो इसको दिखाया जाएगा। बुधवार को जिले के सभी एसडीएम को निर्देश देता हूं। - हेमेंद्र नागर, उप जिला निर्वाचन अधिकारी एवं एडीएम, डूंगरपुर।


इन स्कूलों के सभी शिक्षक बीएलओ

-प्रावि पियौला बेडसा कार्यरत शिक्षक 2, बीएलओ 2

-जीएसएस पाटनपुर कार्यरत शिक्षक 5, बीएलओ 5 -

-प्रावि आहरी फला साबला शिक्षक 2, बीएलओ 2

 -प्रावि करकोली कार्यरत शिक्षक 1, बीएलओ 1 

- प्रावि माताजी का फला आरा शिक्षक 1, बीएलओ 1

 - प्रावि साइयो का तालाब शिक्षक 1, बीएलओ 1 -

प्रावि दिवोड आसपुर कार्यरत शिक्षक 1, बीएलओ 1 

-प्रावि वाडा लिपडा कार्यरत शिक्षक 2, बीएलओ 2 

-प्रावि दिवोड गामड़ी सागवाड़ा शिक्षक 1, बीएलओ 1 

-प्रावि डोडा फला कार्यरत शिक्षक 1, बीएलओ 1 

- प्रावि बाघपुरा भचड़िया शिक्षक 1, बीएलओ 1 

- प्रावि नई बस्ती कार्यरत शिक्षक 1, बीएलओ 1 

-प्रावि माली कार्यरत 1, बीएलओ 1 

-प्रावि गड़ा मालजी कार्यरत 1, बीएलओ 1 

-जीएसएस पारदा मेहता 2 शिक्षक, दोनों बीएलओ

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