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गुरुवार, 31 अगस्त 2023

41 अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के बच्चों को दो महीने बाद भी नहीं मिली पढ़ा रहे, जिलेभर में 23 से 25 अगस्त तक कक्षा 6 से 12वीं के विद्यार्थियों ने बिना किताबों के दिए प्रथम टेस्ट



41 अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के बच्चों को दो महीने बाद भी नहीं मिली पढ़ा रहे, जिलेभर में 23 से 25 अगस्त तक कक्षा 6 से 12वीं के विद्यार्थियों ने बिना किताबों के दिए प्रथम टेस्ट

राजसमंद। प्रदेश में शहरों की भांति ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा सुधार के लिए राज्य सरकार ने भले ही हिन्दी माध्यम स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में बदलते हुए जिलेभर में 68 महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल खोल दिए हैं, लेकिन सत्र आरंभ के दो माह बीतने के बाद भी विद्यार्थियों को किताबें नसीब नहीं हुई। छात्रों ने बिना किताबों के हो प्रथम टेस्ट दिया। 68 अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में सबसे अधिक प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूल हैं। इनमें से इसी सत्र में 41 हिंदी से अंग्रेजी मीडियम किए स्कूलों में एडमिशन अभी तक चालू होने से विद्यार्थियों को किताबों का इंतजार है। अभिभावक भी बच्चों को स्कूल भेजने के बजाय वापस हिंदी मीडियम स्कूलों में भेज रहे हैं।  


शाला दर्पण में इन स्कूलों के कक्षा 1 से 12वीं तक में साढ़े 5 हजार विद्यार्थियों का नामांकन है, लेकिन इन विद्यार्थियों में गत वर्ष के नामांकन से 50 प्रतिशत किताबें ही पहुंची हैं। शिविरा पंचांग के अनुसार 23 से 25 अगस्त तक कक्षा 6 से 12वीं तक के बच्चों के प्रथम टेस्ट हुए। ऐसे में बिना किताबों के रिजल्ट भी प्रभावित होंगे। गत वर्ष अंग्रेजी माध्यम में पढ़ने वाले बच्चों के पास होने के बाद किताबें जमा होती हैं, जिनमें से आधी किताबें पुनः वितरित करने के साथ नामांकन के अनुसार आधी नई किताबें उपलब्ध होती हैं। इससे गत वर्ष संचालित हुए स्कूलों के लिए किताबें मिली हैं, लेकिन इस वर्ष हिंदी से अंग्रेजी माध्यम बने करीब 41 स्कूलों के विद्यार्थियों के पास पुरानी किताबें भी उपलब्ध नहीं हैं, जिससे ऑनलाइन नोट्स बनाकर शिक्षक पढ़ाने को विवश हैं।


नगर स्कूल में गत वर्ष खुला विज्ञान संकाय, किताबें नहीं मिलने से ऑनलाइन नोट्स बना करवा रहे पढ़ाई

शहर के राजनगर स्थित महात्मा गांधी स्कूल में विज्ञान संकाय गत वर्ष खोला गया, जिसमें कक्षा 11वीं का संचालन हुआ। इस वर्ष छात्र पास होकर 12वीं में पहुंच गए, लेकिन सत्र शुरू हुए दो माह बीतने के बाद भी किताबें नहीं मिलने से शिक्षक ऑनलाइन नोट्स बनाकर छात्रों को उपलब्ध करवा कर पढ़ाई करवा रहे हैं. लेकिन छात्र इससे खुश नहीं हैं। बिना संसाधन इस प्रकार अंग्रेजी माध्यम खोलने पर नाराजगी जताई हैं। इसी वर्ष हिंदी माध्यम में चलने वाले सभी विषयों को अंग्रेजी माध्यम में खोल दिया, जिससे किताबें शायद ही उपलब्ध होंगी। राज्यावास में कक्षा 1 से 5 के 26 बच्चों को पुराने पाठ्यक्रम से ही पढ़ाया जा रहा है। प्रिंसिपल ओमप्रकाश गोठवाल ने बताया कि अभी तक नई पुस्तकें नहीं आई है। मोही स्कूल से गत वर्ष की शेष रह गई पुस्तकों को लाकर बच्चों को अध्ययन कराया जा रहा हैं। नई पुस्तकें अभी तक नहीं आई है।


सत्र समाप्ति के बाद जमा करवानी है किताबें

पाठ्य पुस्तक मंडल का नियम है कि पास होने के बाद जो बच्चे अगली कक्षा में प्रवेश करते हैं, उनसे पुरानी किताबें वापस ली जाती हैं। कक्षा 3 से 12वीं तक 50 फीसदी पुरानी किताबें देनी होती है। वहीं कक्षा 1 व 2 में पूर्णतः नई किताबें देते हैं। मगर इसके उलट हो यह रहा है कि हर साल कुछ न कुछ बदलाव के साथ पूरा पाठ्यक्रम नया छापा जाता है। बड़ी संख्या में बच्चे भी किताबें नहीं लौटाते अगर वे लौटाएं तो भी सिलेबस बदलने के कारण किसी काम की नहीं रह जाती। ऐसे में नई किताबें छापनी ही पड़ती हैं, लेकिन यहां तो बच्चों के पास किताबें ही नहीं आई, ऐसे में पास कैसे होंगे। इसको लेकर बच्चे व अभिभावक भी परेशान नजर आ रहे हैं।


पुराने अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में डिमांड के अनुसार पुस्तकें उपलब्ध करवाई दी गई हैं। नए स्कूलों में किताबों के लिए डिमांड भेज रखी है। आते ही वितरण करवा दी जाएंगी। विज्ञान संकाय की पुस्तकों के लिए भी सरकार को डिमांड भेज रखी है। -रानी कुंवर राठौड़, डीपो मैनेजर, राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल, राजसमंद


सरकार अभी भी अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने की घोषणा कर रही है, जिस कारण अंग्रेजी विद्यालय में अभी तक नामांकन भी रहा है। देरी से नामांकन होने के कारण डिमांड सही तरीके से नहीं भेज पा रहे हैं। जैसे-जैसे स्कूल खुल रहे हैं, वैसे-वैसे नामांकन के आधार पर डिमांड भेज रहे हैं।-नूतनप्रकाश जोशी, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक, राजसमंद



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