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गुरुवार, 31 अगस्त 2023

दो माह से सरकारी शिक्षक 50 से ज्यादा गैर शैक्षणिक कार्यों में उलझे, नतीजा - 20 फीसदी कोर्स भी पूरा नहीं



 दो माह से सरकारी शिक्षक 50 से ज्यादा गैर शैक्षणिक कार्यों में उलझे, नतीजा - 20 फीसदी कोर्स भी पूरा नहीं

सरकारी स्कूलों में पढ़ाई के लिए जुलाई और अगस्त का महीना महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इन दो महीनों में वर्किंग डे ज्यादा होते हैं। इन दो महीनों में करीब 40 फीसदी कोर्स पूरा करवा देते हैं, लेकिन इस सत्र में सर्वे, शिविर, खेल, प्रशिक्षण जैसे 50 से ज्यादा गैर शैक्षणिक कार्यों की ड्यूटी में शिक्षक उलझे रहे। अमूमन हर साल पहले सत्र की शुरुआत के दो ढाई महीनों में केवल स्कूली खेलकूद प्रतियोगिताओं से जुड़ा कामकाज ही होता था। इस बार स्कूली खेलकूद से पहले ही शिक्षक ग्रामीण व शहरी ओलिंपिक में व्यस्त हैं।


शिक्षक संघ राष्ट्रीय के संभाग मंडल मंत्री राजवीरसिंह राठौड़ के अनुसार शिक्षकों के गैर शैक्षणिक में बिजी रहने से कक्षाएं प्रभावित हो रही है। उनका कहना है कि अगस्त के अंत तक 40 फीसदी से ज्यादा सिलेबस पूरा करवाने की कोशिश रहती है, जिससे आगे दूसरे टेस्ट एवं अर्द्धवार्षिक परीक्षा के लिए रिवीजन करवाया जा सके, लेकिन अब तक अधिकतर स्कूलों में 20 फीसदी कोर्स ही हो सका है। शिक्षक संघ शेखावत के जिलाध्यक्ष विजय पोटलिया का कहना है कि जुलाई-अगस्त में कक्षाएं ज्यादा लगती है। इन दो महीने में आधा कोर्स पूरा हो जाता है, जबकि इस बार 90 फीसदी स्कूलों में 15 से 20 फीसदी कोर्स भी नहीं हुआ है।


अब तक शिक्षा सत्र प्रवेशोत्सव और खेल गतिविधियों में बीता : शिक्षक संघ

राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ, रेस्टा के प्रदेश प्रवक्ता बसंत कुमार ज्याणी ने बताया कि पिछले कुछ समय से शिक्षकों पर निरंतर गैर शैक्षणिक कार्यों का जिम्मा डाला जा रहा है, जिसके कारण शिक्षक पढ़ाने के मूल काम से दूर हो रहे हैं। पहले तो शुरुआती दो महीने में केवल स्कूली खेलकूद गतिविधियों में शिक्षक व्यस्त रहता था, अब तो पंचायत से जिलास्तर तक ओलिंपिक प्रतियोगिता में शिक्षक बिजी हैं। ऐसे में शिक्षा सत्र से लेकर अब तक का समय प्रवेशोत्सव, खेल आयोजन आदि में ही बीता है।  


शिक्षक संघ शेखावत के प्रदेश उपाध्यक्ष भंवरलाल कस्वां ने बताया कि 26 जनवरी 2022 को संघ के शैक्षिक सम्मेलन में शिक्षामंत्री डॉ. बीडी कल्ला की मौजूदगी में हमने मांग की थी कि शिक्षक को गैर शैक्षणिक कार्य से दूर रखा जावें, पर प्रशासन हमें मूल काम नहीं करने दे रहा, जिससे स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित हो रही है। गैर शैक्षणिक काम किसी एजेंसी के माध्यम से करवाए जा सकते है। हमारा आंदोलन इसी मांग को लेकर चल रहा है


ज्यादातर काम स्कूलों से जुड़े हुए हैं : निदेशक

समय के साथ स्कूल एजुकेशन में काम बढ़ रहे हैं. इसका मतलब ये नहीं है कि ये स्कूल और शिक्षक से जुड़े नहीं हैं। कुछ काम एक्सट्रा हो सकते हैं। सरकारी स्कूल का शिक्षक बेस्ट देने का प्रयास कर रहा है। जहां सिलेबस का सवाल फ़र्स्ट टेस्ट जितना कोर्स तो स्कूलों में हुआ है। ग्रामीण-शहरी ओलिंपिक स्कूलों से जुड़े हुए हैं। -कानाराम, शिक्षा निदेशक, बीकानेर


. शिक्षकों को बीएलओ के कार्य से मुक्त करने की मांग को लेकर जिलेभर में पिछले दो महीने से प्रदर्शन चल रहे हैं। शिक्षक संघ शेखावत की हमें पढ़ाने दो मुहिम को सभी शिक्षक संगठनों ने समर्थन किया। शिक्षक संघ राष्ट्रीय, शिक्षक संघ अंबेडकर सहित अन्य संगठन बीएलओ कार्य से मुक्त करने की मांग करने लगे हैं


पढ़ाने के बजाय सर्वे, शिविर, खेल, आदि में ज्यादा समय दे रहे शिक्षक

पिछले दो माह में शिक्षकों ने 50 से भी ज्यादा ऐसे काम किए हैं, जिनका पढ़ाई से वास्ता नहीं था, इनमें से कई कार्य तो अब भी किए जा रहे हैं। इनमें हाउस होल्ड सर्वे, महंगाई राहत शिविर, प्रशासन गांवों के संग शिविर, युवा महोत्सव, एफएलएन व प्रधानाचार्य ट्रेनिंग, गुड टच बैड टच ट्रेनिंग, आईपीआर अचल संपत्ति, स्वीप कार्यक्रम, मतदाता जागरूकता, दूध वितरण, मोबाइल वितरण, सड़क सुरक्षा व संविधान की शपथ, आधार ऑथेंटिकेशन, जनाधार ऑथेंटिकेशन आदि कार्य संपादित किए हैं। 


स्कूल से जुड़े ये काम, जो पूरे साल पढ़ाई के साथ कर रहे शिक्षक : कई ऐसे कार्य हैं जो शिक्षकों को रेगुलर करने पड़ रहे हैं। हालांकि यह कार्य व गतिविधियां शिक्षा से ही जुड़ी हुई हैं, इनमें आईसीटी लैब, ब्रॉड बैंड कनेक्शन, नवोदय फॉर्म, इंस्पायर अवॉर्ड, नो बैग डे, अब्दुल कलाम व्यक्तित्व विकास योजना, निशुल्क पुस्तक वितरण, उड़ान सैनेटरी नेपकिन योजना, डिजिटल प्रवेशोत्सव, विधानसभा प्रश्न, शाला सिद्धि, उपचारात्मक शिक्षण, छात्रवृत्ति, पालनहार योजना, बोर्ड आवेदन फॉर्म, शाला दर्पण पर विद्यार्थी व स्टाफ उपस्थिति आदि शामिल हैं।

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