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रविवार, 20 अगस्त 2023

अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में से 53% फर्जी, 145 करोड़ का घोटाला

 अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में से 53% फर्जी, 145 करोड़ का घोटाला

नई दिल्ली. अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में करोड़ों की छात्रवृत्ति के घोटाले का मामला सामने आया है, जिसमें फर्जी अल्पसंख्यक संस्थानों और फर्जी छात्रों के जरिए अब तक हजारों करोड़ों रुपए लूटे जाने का अंदेशा है। शुरुआती जांच में 100 जिलों के 1572 अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों में से 53 फीसदी संस्थान फर्जी पाए गए हैं। यह संस्थान या तो अस्तित्व में ही नहीं हैं या लंबे समय से बंद हैं। इनमें ज्यादातर मदरसे हैं। इन 830 फर्जी अल्पसंख्यक संस्थानों को पिछले पांच सालों में करीब 145 करोड़ की छात्रवृत्ति दी गई।


मामले की गंभीरता को देखते हुए अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने इन सभी संस्थानों के खातों को फ्रीज कर दिया गया है। मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी है। फर्जी पाए गए इन अल्पसंख्यक संस्थानों में सबसे ज्यादा असम, झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, पंजाब और कर्नाटक के हैं।


अल्पसंख्यक.

गौरतलब है कि अल्पसंख्यक बच्चों को शिक्षित करने के लिए मंत्रालय कमजोर आय वर्ग वाले परिवार के बच्चों को शत-प्रतिशत छात्रवृत्ति देता है। यह केंद्र की ओर से दी जाती है। इसके लिए पात्र अल्पसंख्यक संस्थानों को नेशनल स्कालरशिप पोर्टल पर खुद को रजिस्टर्ड कराना होता है। साथ ही छात्रों का ब्योरा जिला स्तर पर पदस्थ नोडल आफिसर से प्रमाणित कराकर बैंक खाते के साथ ही मंत्रालय को देता है। इसके बाद मंत्रालय छात्रों के खाते में सीधे छात्रवृत्ति का पैसा भेज देता है। देश में करीब 1.80 लाख अल्पसंख्यक संस्थान हैं।


ऐसे हुआ खुलासा


इस मामले का खुलासा तब हुआ जब अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने वर्ष 2022 में अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को दी जाने वाली पहली से आठवीं तक की छात्रवृत्ति बंद की। मंत्रालय को आशंका थी कि इसे लेकर हंगामा होगा। लेकिन कहीं से कोई आवाज नहीं उठी। मंत्रालय ने पड़ताल की तो पाया कि एक ही बैंक में लाखों छात्रों की छात्रवृत्ति जा रही है। इस पर देश के सौ संदिग्ध जिलों का चयनकर जांच का जिम्मा नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) को सौंपा। जांच में 53% संस्थान अस्तित्व में ही नहीं पाए गए या बंद मिले।


34 राज्यों के 100 जिलों में पूछताछ


40%


मध्यप्रदेश


68%


असम


64%


कर्नाटक


60%


उत्तराखंड


39%


जांच सीबीआइ को

सूत्रों के मुताबिक, अल्पसंख्यक कार्य मंत्री स्मृति ईरानी ने 10 जुलाई को ही मामले को सीबीआइ को सौंप दिया। अल्पसंख्यक संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए छात्रवृत्ति की शुरुआत वर्ष 2007-08 से की गई थी। इसमें पहली कक्षा से पीएचडी तक के छात्रों को चार हजार से लेकर 25 हजार सालाना तक छात्रवृत्ति दी जाती है।


प. बंगाल सबकी जांच तो हजारों करोड़ का घोटाला

देेश में 1.80 लाख अल्पसंख्यक संस्थान हैं। इन संस्थानों के जरिए 22 हजार करोड़ की छात्रवृत्ति दी गई है। अनुमान है कि सभी संस्थानों की जांच की जाए तो घोटाले की रकम हजारों करोड़ तक पहुंच सकती है।

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