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सोमवार, 21 अगस्त 2023

जिले में बालिका शिक्षा की राह में रोड़ा बन रहे हैं ‘डर्टी शिक्षक’



जिले में बालिका शिक्षा की राह में रोड़ा बन रहे हैं ‘डर्टी शिक्षक’


बलात्कार, अश्लील हरकतें व छेड़छाड़ के बढ़ रहे हैं मामले

सरकारी हो या प्राइवेट दोनों ही तरह के शिक्षण संस्थाओं से कमोबेश ऐसे मामले दर्ज हो रहे हैं। जिले में पिछले एक साल में छात्राओं से छेड़छाड़ व अश्लील हरकतें करने की आधा दर्जन घटनाएं हो चुकी हैं। इन बढ़ती घटनाओं पर लगाम जरूरी है। बालिकाओं को इसका दोहरा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। सुरक्षा की फिक्र में परेशान अभिभावक अक्सर बच्चियों को पढ़ाई से दूर करने का निर्णय ले लेते हैं।


गुड टच-बैड टच की जानकारी जरूरी

अभी माध्यमिक स्तर की बालिकाओं की शिकायतों के कारण ज्यादातर मामले दर्ज हो रहे हैं। क्योंकि बालिकाएं समझदार होने से अभिभावकों से शिकायत कर पाती हैं। लेकिन प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्तर पर ऐसा होने पर यह अपराध जल्दी से सामने भी नहीं आ पाता है। ऐसे में विद्यालयों में गुड टच-बैड टच जैसे कार्यक्रम निरंतर चलने चाहिए।


इसलिए जरूरी है निगरानी

शिक्षण संस्थान सीसीटीवी कैमरों से लैस होने चाहिए। स्कूलों के सुंदर द्वार से ज्यादा कैमरे जरूरी हैं। इससे एक तो विद्यालय परिसर में बालिकाओं से छेड़छाड़ सरीखी घटनाओं पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। वहीं छेड़छाड़ के आरोपों की सत्यता जांच में भी कैमरे सहायक साबित होंगे। जांच में यह तथ्य सामने आने पर आरोपों की पुष्टि आसानी से हो सकी।


पिछले एक साल की प्रमुख घटनाओं पर एक नजर...

10 अगस्त को बौंली क्षेत्र में एक छात्रा का शव कुएं में मिला था । मामले में सरकारी अध्यापक पर अपहरण, बलात्कार व हत्या का मामला दर्ज किया गया।


8 मार्च 2022 को खैरदा में एक निजी स्कूल शिक्षक की ओर से चार साल की बालिका के साथ छेड़छाड़ का मामला सामने आया था। परिजनों ने महिला थाने में शिक्षक के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।


27 मई 2022 को जिले के बौंली थाना क्षेत्र के एक गांव में नाबालिग किशोरी के साथ चार साल तक ब्लैकमेलिंग करते हुए देह शोषण करने का मामला सामने आया था


21 अगस्त 2022 को जिले के एक विद्यालय में कक्षा दसवीं में अध्ययनरत दो छात्राओं के साथ सरकारी वरिष्ठ अध्यापक ने छेड़छाड़ की। ग्रामीणों ने स्कूल में ताला लगा दिया।


टॉपिक एक्सपर्ट

बालिका विद्यालयों में शारीरिक शिक्षक के रूप में महिला ही नियुक्त होनी चाहिए। मगर नहीं हो रहा है। इसलिए जरूरी है कि शारीरिक शिक्षक भर्ती में महिलाओं का कोटा हो, ताकि बालिकाओं के लिए प्रशिक्षक व शारीरिक शिक्षक महिला ही नियुक्त हो सकें। स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे होना चाहिए। स्कूल व कॉलेजों में गुड टच बेड की जानकारी देनी चाहिए। इससे छात्राएं विपरित परिस्थितियों में आत्म सुरक्षा कर सकें। ऐसे शिक्षक जिनके खिलाफ भले ही मामला दर्ज ना हुआ हो, मगर गलत व्यवहार आदि की शिकायतें हो, तो कभी भी बालिका विद्यालयों में नियुक्त नहीं किया जाए। ऐसे मामलों में पुलिस को भी सख्त होना जरूरी है।


विद्यालयों में बालिकाओं से छेड़छाड़ की घटनाएं चिंताजनक ढंग से बढ़ी हैं। इस संबंध में कानून बहुत सख्त है। लेकिन जरूरी यह है कि शिक्षण संस्थान प्रबंधन संवेदनशीलता दिखाए। छेड़छाड़ की शिकायत मिलने पर मामला दबाए नहीं। इससे आरोपी का दुस्साहस बढ़ता है। मोबाइल फोन का इस्तेमाल शिक्षक भी संस्थान में नहीं करें। अभिभावकों को भी बालिकाओं को लेकर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।-अनिल कुमार जैन, विशिष्ट लोक अभियोजक, पोक्सो कोर्ट, सवाईमाधोपुर

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