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बुधवार, 16 अगस्त 2023

भर्ती में महिलाओं की छाती माप उनकी गरिमा के प्रतिकूल, राजस्थान हाईकोर्ट का बड़ा फैसला



भर्ती में महिलाओं की छाती माप उनकी गरिमा के प्रतिकूल, राजस्थान हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में वन रक्षक भर्ती के लिए आवेदन करने वाली महिला उम्मीदवारों के लिए शारीरिक मानकों में छाती के माप को एक मानदंड के रूप में शामिल करने की निंदा की है। राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने ऐसे शारीरिक मानकों को महिलाओं की गरिमा और उनके निजता के अधिकार पर स्पष्ट आघात माना है। न्यायमूर्ति दिनेश मेहता की अध्यक्षता वाली एकल पीठ ने राज्य के मुख्य सचिव, वन सचिव और कार्मिक विभाग के सचिव को ऐसे मानदंड का पुनर्मूल्यांकन करने का निर्देश दिया है। 



हालांकि भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के कारण अदालत ने तीन महिला याचिकाकर्ताओं की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा- भर्ती आयोजक महिला उम्मीदवारों के फेफड़ों की क्षमता का आकलन करने के लिए वैकल्पिक तरीकों का पता लगाने के लिए विशेषज्ञों की राय ले सकते हैं। अदालत ने उन तीन महिला याचिकाकर्ताओं की अर्जी पर सुनवाई की जिन्होंने शारीरिक मानक परीक्षण (पीएसटी) मापदंडों के आधार पर चयन प्रक्रिया से बाहर किए को चुनौती दी थी। 


इन महिलाओं उम्मीदवारों ने शारीरिक दक्षता परीक्षा सफलतापूर्वक उत्तीर्ण कर ली थी, लेकिन निर्धारित छाती माप मानदंडों को पूरा नहीं कर पाने के कारण उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था। अदालत ने कहा- छाती माप को मानदंड के रूप में स्थापित करना, विशेष रूप से महिला उम्मीदवारों के लिए स्पष्ट रूप से मनमाना और अपमानजनक है। यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत एक महिला की गरिमा और उसके गोपनीयता अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है।


अदालत ने कहा- एक महिला उम्मीदवार की छाती का आकार और विस्तार शारीरिक फिटनेस या फेफड़ों की क्षमता को प्रतिबिंबित नहीं करता है। इस तरह की माप एक महिला की गोपनीयता में हस्तक्षेप है। इस तरह के मानदंड लागू करना महिला की गरिमा, शारीरिक स्वायत्तता का उल्लंघन करता है। चूंकि भर्ती प्रक्रिया समाप्त हो गई है, इसलिए अदालत पूरी भर्ती को बाधित नहीं करेगी। महिला उम्मीदवारों के लिए छाती माप की जरूरत गहन समीक्षा का विषय है, चाहे वह वन रक्षकों, वनपालों या किसी अन्य पद की भर्ती क्यों ना हो...


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